समस्तीपुर जिले में विभिन्न जगहों से बिना परमिट के संचालित हो रही लंबी दूरी की बसें
बिथान सिंघिया हसनपुर उजियारपुर के महिसारी दलसिंहसराय मोहिउद्दीननगर समेत अन्य जगहों से प्रतिदिन लंबी दूरी की बसें खुलती है। दिल्ली पंजाब आदि जगहों के लिए खुलती हैं बसें उंची रसूख वालों की बसें होने के कारण कार्रवाई से बचते हैं पदाधिकारी
समस्तीपुर, जासं। पिछले दो साल से पंजाब, दिल्ली समेत अन्य राज्यों के लिए भी बसें संचालित हो रही है। यह बसें बिना परमिट के संचालित होती है। लंबी दूरी की एक भी बसों का परमिट समस्तीपुर से नही है। बावजूद करीब दर्जनभर बसें यहां से प्रतिदिन खुलती है। इन बसों का संचालक सफेदपोश एवं उंची रसूख वाले हैं। ऐसे में प्रशासन भी इसके विरुद्ध कार्रवाई करने से बचती है।
बता दें कि जिले के बिथान, सिंघिया, हसनपुर, उजियारपुर के महिसारी, दलसिंहसराय, मोहिउद्दीननगर समेत अन्य जगहों से प्रतिदिन लंबी दूरी की बसें खुलती है। ये बसें पंजाब, दिल्ली समेत अन्य राज्यों तक जाती है। लेकिन इन बसों के पास सरकार की ओर से जारी परमिट नहीं है। बगैर परमिट बसों का संचालन करना गैरकानूनी है। इसमें जुर्माना के साथ-सजा का भी प्रावधान है। एक तो यात्रियों से मनमाना किराया वसूल किया जाता है, वहीं दूसरी ओर सरकार के राजस्व का भी चूना लगाया जाता है। बताया जाता है कि समस्तीपुर से दिल्ली का किराया यात्रियों से 12 सौ से 14 सौ रुपये तक वसूल किया जाता है। वहीं पंजाब के लिए 16 सौ से 18 सौ रुपये तक किराया वसूल किया जाता है।
ये बसें जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से खुलती है। उजियारपुर के महिसारी, बिथान, ङ्क्षसघिया, रोसड़ा के अलावा बेगूसराय के बछवाड़ा से बसें खुलती है। ये बसें समस्तीपुर जिले से सवारियों को लेकर दिल्ली, पंजाब समेत अन्य राज्यों तक जाती है। जगह-जगह इन बसों का स्टॉङ्क्षपग प्वाइंट बना हुआ है,जहां पहले से यात्रियों का सीट बुक किया जाता है। फिर नियत समय पर वहां से यात्रियों का पिकअप किया जाता है। कोरोना काल में जब अधिकांश ट्रेनें बंद रही तो लोग बसों से ही लोग सफर करते थे। ट्रेनों में आरक्षित सीट नहीं मिलने की वजह से भी लोग बसों का सहारा लेते हैं। हालांकि अब अधिकांश ट्रेनें खुल गई है। ऐसे में पहले की तरह तो बसें नियमित रूप से नहीं खुल पाती है। परंतु अब भी सप्ताह में तीन से चार दिन बसें चलती है।
पंजाब, हरियाणा से बसों को भेजकर मजदूरों को ले जाते हैं किसान
बताया जाता है पंजाब एवं हरियाणा के बहुत सारे बड़े-बड़े किसान एवं फैक्ट्री मालिकों के द्वारा मजदूरों को बुलाया जाता है। उनको ले जाने के लिए वहां से बसें भेजी जाती है, जिससे वे सभी जाते हैं। फोरलेन और एक्सप्रेस वे सड़क होने के कारण बसों को आवागमन में कोई परेशानी तो नही होती है लेकिन दुर्घटना होने का खतरा जरूर बना रहता है। एक दिन पहले बाराबंकी में हुए हादसे में बिहार के 18 मजदूरों की मौत हो गई। बताया जाता है कि ये सभी धान रोपनी करने के लिए गए हुए थे। जहां से लौटने के क्रम में यह हादसा हो गया। इस तरह की घटनाएं अक्सर होती रहती है। ऐसे में लंबी दूरी की यात्रा बसों से करना कहीं से भी उचित प्रतीत नहीं होता है।
कहते हैं अधिकारी
जिले से चलने वाली लंबी दूरी की एक भी बसों का परमिट सरकार के द्वारा निर्गत नहीं किया गया है। यदि चल रही है तो वह पूरी तरह अवैध है। इन बसों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वरीय पदाधिकारियों से विमर्श कर इसके विरुद्ध एक्शन लिया जाएगा। - राजेश कुमार, जिला परिवहन पदाधिकारी, समस्तीपुर।