Bihar News: बगहा में सब्जी के निर्यात पर लॉकडाउन का ब्रेक, किसानों को नहीं मिल रहा वाजिब मूल्य
सुबह छह से 10 बजे तक दुकानें खुल रही हैं। ऐसे में किसान औने-पौने मूल्य पर सब्जी बेचने को विवश हैं। इतना ही नहीं शादी विवाद तो अब सीमित संख्या के कारण लोग मंदिरों में ही करने लगे है। कोई आयोजन भी नहीं हो रहा है।
पश्चिम चंपारण, जासं। सब्जी के निर्यात पर लॉकडाउन का ब्रेक लगने से किसानों को वाजिब मूल्य नहीं मिल रहा है। सब्जी की खेती से जुड़े किसानों को वाजिब मूल्य मिल रहा था। अब, अचानक मौसम भी बदलने लगा है। बारिश के बाद खेतों में जलजमाव से सब्जी की फसल नष्ट हो गई है। तरबूज की खेती को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। इस बीच लॉकडाउन के कारण लोग घरों से नहीं निकल रहे हैं।
सुबह छह से 10 बजे तक दुकानें खुल रही हैं। ऐसे में किसान औने-पौने मूल्य पर सब्जी बेचने को विवश हैं। इतना ही नहीं शादी विवाद तो अब सीमित संख्या के कारण लोग मंदिरों में ही करने लगे है। कोई आयोजन भी नहीं हो रहा है। ऐसे में सब्जी की डिमांड लगातार कम से कमतर हो गई है। टमाटर, बैंगन, ङ्क्षभडी, कद्दू, खीरा, नेनुआ, तिरोई, साग, मिर्ची आदि के मूल्य में गिरावट हुई है। इसका मुख्य कारण अब यहां से बाहर सब्जियों का जाना भी पूरी तरह से लॉकडाउन के कारण बंद हो गया है। डिमांड से अधिक सब्जी उपलब्ध होने से मूल्य कम से कमतर मिलने लगा है। सब्जी उत्पादक परेशान है। पूर्व में कॉमन सेंटर से खरीद की व्यवस्था फिलवक्त कहीं नजर नहीं आ रही है।
कहते हैं किसान :-
तारकेश्वर राम का कहना है कि मजदूरी के साथ ही सब्जी की खेती करता हूं। प्रत्येक साल इससे लाभ होता रहता है। इस साल लॉकडाउन के कारण सब्जी का मूल्य ही नहीं मिल रहा है। हम लोग परेशान हैं। कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं है। अब्दुल गफ्फार का कहना है सब्जी की खेती से ब'चों की पढ़ाई व जीविका चलती है। इस साल सब्जी उत्पादन में भी बेमौसम बरसात के कारण हुई है। इसके बाद लॉकडाउन के कारण सब्जी बाहर ही नहीं जा रही है। ऐसे में लागत निकलना भी मुश्किल है।
मो. अयूब अंसारी का कहना है कि रत्नमाला सब्जी के खेती के लिए ही पहचाना जाता है। इस साल सब्जी की खेती अ'छी हुई है। लॉकडान के कारण थोक मंडी में मांग नहीं है। ऐसे में लोकल में भी औने पौने मूल्य पर बेचने से किसानों को घोर परेशानी हो रही है।