देश के छह राज्यों में विकसित होगी मुजफ्फरपुर की लीची

शाही चाइना और बेदाना के बाद अब योगिता ललिमा व संपदा प्रभेद के पौधे भेजे जाएंगे। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में तैयार किए जा रहे इन प्रभेद के पांच-पांच सौ पौधे। वहां की मिट्टी एवं वातावरण के अनुसार इन्हें विकसित किया जाएगा।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 11:44 AM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 11:44 AM (IST)
देश के छह राज्यों में विकसित होगी मुजफ्फरपुर की लीची
नर्सरी में इन प्रजातियों के पांच-पांच सौ पौधे विकसित किए जा रहे हैं। फाइल फोटो

मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र त‍िवारी ]। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (एनआरसीएल) मुजफ्फरपुर में विकसित लीची की तीन प्रजातियां गंडकी योगिता, गंडकी लालिमा और गंडकी संपदा देश के सात अन्य राज्यों के किसानों को आसानी से उपलब्ध हो सकेंगी। अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना के तहत इन प्रजातियों के 50-50 पौधे वहां भेजे जाएंगे। वहां की मिट्टी एवं वातावरण के अनुसार इन्हें विकसित किया जाएगा। 

ये पौधे बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर, भागलपुर, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना, बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय मोहनपुर, पश्चिम बंगाल, गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर, उत्तराखंड, आरसीइआर रिसर्च सेंटर नामकुम रांची झारखंड, डॉ. यशवंत सिंघ परमार यूनिवॢसटी ऑफहाॢटकल्चर एंड फोरेस्ट्री सोलन, हिमाचल प्रदेश और सेंट्रल हाॢटकल्चरल एक्सपेरिमेंट स्टेशन, चेट्टाली, कर्नाटक भेजे जाएंगे। एनआरसीएल में इसकी तैयारी की जा रही है। नर्सरी में इन प्रजातियों के पांच-पांच सौ पौधे विकसित किए जा रहे हैं। अगले साल फरवरी में इन्हें भेजा जाएगा।

वहां की मिट्टी में उत्पादन और गुणवत्ता को परखा जाएगा

लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डा. एसडी पांडेय का कहना है कि शाही, चाइना व बेदाना प्रभेद के बहुत से पौधे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, केरल, कर्नाटक व तमिलनाडु जैसे राज्यों में किसानों ने पहले से लगाए हैं। गंडकी योगिता, गंडकी लालिमा और गंडकी संपदा के पौधे भी अन्य राज्यों में लगे, इसके लिए काम किया जा रहा है। इन पौधों को वहां की मिट्टी में फलन और अन्य गुणवत्ता को परखा जाएगा। समय-समय पर यहां के विज्ञानी वहां जाएंगे। खरा उतरने के बाद सभी अनुसंधान केंद्र अपने यहां इन पौधों की नर्सरी विकसित करेंगे। इससे वहां के किसानों को आसानी से ये पौधे उपलब्ध हो सकेंगे। अभी बाहर के किसानों को इन पौधों के लिए लीची अनुसंधान केंद्र से संपर्क करना पड़ता है।  

अधिकारियों ने किया कटाव का निरीक्षण

सिवाईपट्टी (मुजफ्फरपुर), संस : मीनापुर प्रखंड के घोसौत में हो रहे कटाव की सूचना पर जल संसाधन विभाग की उच्चस्तरीय टीम ने पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया। टीम में फ्लड फाइटिंग के चेयरमैन नलीनी रंजन सिंह, अधीक्षण अभियंता राजीव कुमार चौरसिया, सहायक अभियंता विजय कुमार प्रिंस व कनीय अभियंता उमाशंकर पाल शामिल थे। निरीक्षण के बाद टीम ने हरशेर पंचायत का दौरा किया। कटाव को लेकर टीम ने फ्लड फाइटिंग के लिए जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता को रिपोर्ट दी है। कनीय अभियंता उमाशंकर पाल ने बताया कि शीघ्र ही वहां कटाव निरोधी कार्य शुरू कर दिया जाएगा। बताते चलें कि घोसौत पंचायत के वार्ड नंबर-13 में बूढ़ी गंडक नदी के कटाव से ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है। दो दर्जन से अधिक घर कटाव की जद में आ गए हैं। दहशत के कारण कई लोग अपना आशियाना उजाड़ कर सुरक्षित स्थानों के लिए पलायन कर गए हैं। शेष लोग भी तेजी से हो रहे कटाव से दहशत में हैं। ग्रामीणों ने बताया कि कटाव निरोधी कार्य शुरू नहीं हुआ तो कई घर कटाव की चपेट में आ जाएंगे।

chat bot
आपका साथी