बांध पर गुजरती विस्थापितों की जिंदगी

औराई में बागमती परियोजना उत्तरी और दक्षिणी बाध से विस्थापित हुए एक दर्जन गाव के 500 विस्थापित परिवार की जिंदगी बागमती परियोजना उत्तरी और दक्षिणी बाध पर गुजर रही है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 03:07 AM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 03:07 AM (IST)
बांध पर गुजरती विस्थापितों की जिंदगी
बांध पर गुजरती विस्थापितों की जिंदगी

मुजफ्फरपुर : औराई में बागमती परियोजना उत्तरी और दक्षिणी बाध से विस्थापित हुए एक दर्जन गाव के 500 विस्थापित परिवार की जिंदगी बागमती परियोजना उत्तरी और दक्षिणी बाध पर गुजर रही है। ये लोग बाध के बगल में झोपड़ीनुमा घर बनाकर बाढ़ के समय में वहा चले आते हैं। वहीं, बाढ़ खत्म होने के बाद फिर अपने गाव चले जाते हैं। विदित हो कि मधुबन प्रताप, पटोरी टोला, बारा बुजुर्ग, बारा खुर्द, बभनगामा पश्चिमी, हरनी टोला, भरथुआ दक्षिण टोला, चहुंटा दक्षिण टोला, चैनपुर, राघोपुर, तरबन्ना गाव के 40 फीसद लोगों को अबतक मकान मय सहन का भुगतान नहीं हो पाया है। वहीं, 60 फीसद लोगों को मकान मय सहन का भुगतान हो चुका है। बारा बुजुर्ग, बारा खुर्द समेत कई गाव के 500 परिवार को मकान मय सहन का भुगतान इसलिए नहीं हो सका, क्योंकि वे लोग मालिक की जमीन में बसे हुए थे। विदित हो कि वर्ष 2007 से ही ये लोग बागमती परियोजना उत्तरी और दक्षिणी बाध के बगल में बसे हुए हैं। बभनगामा पश्चिमी, हरनी टोला, चहुंटा दक्षिण टोला से अस्पताल की दूरी एक किलोमीटर है। जबकि मधुबन प्रताप ,पटोरी टोला, बारा बुजुर्ग, बारा खुर्द से भी एक से दो किलोमीटर की दूरी पर अस्पताल व स्वास्थ्य उपकेंद्र है। विस्थापितों को स्वच्छ पेयजल के लिए जगह- जगह पर चापाकल लगाया गया है। अधिकतर लोगों के बच्चे विद्यालय नहीं जाते। अतरार पंचायत की मुखिया अंजू देवी ने बताया कि बारा बुजुर्ग व बारा खुर्द गाव के 50 फीसद लोगों को अपनी जमीन में घर नहीं होने के कारण पुनर्वास का पैसा नहीं मिला। इनलोगों के पुनर्वास का पैसा देने के लिए कई बार सरकार से माग की गई, परंतु अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है। बागमती पुनर्वास संघर्ष समिति के संयोजक आफताब आलम ने बताया कि बचे लोगों के मकान मय सहन का भुगतान लॉकडाउन के कारण नहीं हो पाया है। फाइनल नोटिस नहीं मिल पाया है। विस्थापितों की जमीन का भी अधियाचना बन चुका है। बारा खुर्द के मिथिलेश माझी व बारा बुजुर्ग के गहनू दास ने बताया कि हमलोग का घर मालिक की जमीन में था। इसलिए हम लोगों को मकान मय सहन व पुनर्वास का रुपया नहीं मिल पाया है।

वर्जन

हमारे स्तर से पत्राचार किया गया है। सभी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। लॉकडाउन के कारण विस्थापितों को पुनर्वास व मुआवजे का रुपया नहीं मिल पाया है। विभाग से स्वीकृति मिल चुकी है। दो महीने के अंदर सभी को मुआवजे का भुगतान कर दिया जाएगा।

रामसूरत राय, स्थानीय विधायक सह राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री।

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