सूबे की राजनीति की दिशा व दशा तय करती थी यजुआर

मुजफ्फरपुर कटरा प्रखंड के पूर्वोत्तर भाग में अवस्थित यजुआर मध्य पंचायत अनेक क्षेत्रों में पिछड़ गई है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Nov 2019 01:57 AM (IST) Updated:Wed, 20 Nov 2019 01:57 AM (IST)
सूबे की राजनीति की दिशा व दशा तय करती थी यजुआर
सूबे की राजनीति की दिशा व दशा तय करती थी यजुआर

मुजफ्फरपुर : कटरा प्रखंड के पूर्वोत्तर भाग में अवस्थित यजुआर मध्य पंचायत अनेक क्षेत्रों में पिछड़ गई है। प्रखंड की सर्वाधिक आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली यह पंचायत कभी बिहार की राजनीति की दिशा व दशा तय करती थी। केंद्र की राजनीति में धूरी रहे स्व. ललित नारायण मिश्रा हों या बिहार की राजनीति को दिशा देने वाले डॉ. जगन्नाथ मिश्रा, सबकी राजनीतिक दशा यह पंचायत तय करती थी। पूर्व मंत्री गणेश प्र. यादव का कर्मक्षेत्र रही है। किन्तु परिसीमन में इस पंचायत के तीन टुकडे़ कर दिए गए और यजुआर पूर्वी, पश्चिमी व मध्य के नाम से तीन पंचायत बन गई। आज यजुआर मध्य पंचायत अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए अस्तित्व की जंग लड़ रही है। मंगलवार को दैनिक जागरण द्वारा आयोजित चौपाल में ग्रामीणों का दर्द छलक पड़ा। यजुआर स्थित अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र तीन दशकों से बदहाली का दंश झेल रहा है। यहां न तो चिकित्सक रहते हैं और न दवा मिलती है। एक एएनएम के सहारे वर्षो से स्वास्थ्य केंद्र संचालित हो रहा है। पूर्व में निर्मित भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है। इसे लेकर समय-समय पर यहां के युवाओं ने आंदोलन कर सरकार के सामने अपनी मांगें रखीं, लेकिन निदान नहीं हुआ। शिक्षा के क्षेत्र में लगातार गिरावट आई है। प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों के अनुपात में शिक्षकों की भारी कमी है। निवर्तमान सरपंच महावीर झा ने बताया कि मध्य विद्यालय में शिक्षकों के 13 पद सृजित हैं, किन्तु महज 3 शिक्षक कार्यरत हैं। मध्याह्न भोजन में मेन्यू का पालन नहीं होता। एक हाईस्कूल है जहां शिक्षक नियमित उपस्थित नहीं रहते। कई शिक्षक सप्ताह भर की हाजिरी एक रोज ही बना लेते हैं।

पंचायत में 10 आंगनबाड़ी केंद्र हैं जिनमें 2-3 ही नियमित चलता है। शेष सेविकाएं अपने घर पर चलाती हैं जहां पोषाहार व ड्रेस कोड का पालन नहीं किया जाता। सेविकाओं को राशि का भुगतान बगैर मुखिया व वार्ड सदस्य की अनुशंसा के ही कर दिया जाता है जिससे अनियमितता जारी है। पंचायत की चार दर्जन महिलाओं की उज्ज्वला योजना का लाभ लंबित है। बार-बार प्रयास के बाद भी हाथ खाली रहा। ग्रामीणों ने बताया कि पंचायती राज व्यवस्था में सड़कों की दशा में सुधार हुआ है। किन्तु प्रखंड मुख्यालय जाने का मार्ग दुरुह बना हुआ है। बाढ़ के समय चार महीने बागमती पर पुल नहीं होने से आवागमन बाधित रहता है। लोगों को 10 किमी की दूरी 80 किमी वाया बिठौली तय करनी पड़ती है। पूर्व में निर्मित सड़कें जर्जर हो गई हैं जिसे मरम्मत की जरूरत है। ग्रामीणों ने बताया कि अर्से की प्रतीक्षा के बाद पंचायत में बिजली आई, किन्तु काम अधूरा है। बिजली बिल अनियमित मिलता है। महावीर झा ने बताया कि मेरे घर में पहले से ही मेरे नाम कनेक्शन है, जबकि गांव के रामश्रेष्ठ महतो के घर लगा कनेक्शन मेरे नाम बिल आता है। ऐसी गड़बड़ी अन्य लोगों के साथ भी है। नाम किसी का बिल किसी और के घर आता है। ग्रामीणों ने बताया कि हमारे यकं महज एक ग्रामीण बैंक है जिसपर 5 पंचायतों का भार है। बैंक में महज दो कर्मी हैं जिससे काम प्रभावित होता है और बराबर विवाद होता रहता है। एक अतिरिक्त बैंक की जरूरत है। ग्रामीणों की शिकायत रही कि वार्ड सं. 17 अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्र है, जहां एक भी शौचालय निर्माण नहीं हुआ है। यहां गरीबी के कारण शौचालय बनाने में लोग सक्षम नहीं हैं। सरकारी नियमों के अनुसार बगैर निर्माण कराए भुगतान नहीं हो सकता। पंचायत में 1300 परिवार अब भी राशन कार्ड से वंचित हैं जिससे खाद्यान्न नहीं मिलता। इसी तरह वृद्धापेंशन योजना से 400 लोग वंचित हैं। अधिकारी सुध नहीं लेते। पंचायत में अवस्थित एक पुराना खादी भंडार है जिसके भवन पर दबंगों ने कब्जा जमा लिया है। ग्रामीणों में इसे लेकर आक्रोश है।

बोले मुखिया-

पंचायत के विकास के लिए सतत प्रयत्‍‌नशील हूं। हर गली की सड़कें बन चुकी हैं। जर्जर पंचायत भवन का जीर्णोद्धार कराया है। हाईस्कूल व स्वास्थ्य केंद्र में जलजमाव को देखते हुए मिटृी भराई कराई गई है। पंचायत में महज दो सड़कें बची हैं जिनका निर्माण राशि मिलते ही पूरा कर लिया जाएगा।

सुमन नाथ ठाकुर, मुखिया।

ये हुए चौपाल में शामिल-

महाबीर झा निवर्तमान सरपंच, विनोद ठाकुर पंसस, वार्ड सदस्य कन्हाई झा, महेश्वर लाल कर्ण, वीणा देवी, बिंदेश्वर राम, मंजू देवी, रोजी देवी, रतनी देवी, रामस्वार्थ साह, मन्नू ठाकुर, राघवेंद्र झा, राजीव ठाकुर, विनोद ठाकुर आदि।

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