शिवहर के क्वारंटाइन कैंप में आवश्यक सुविधाओं की कमी, कुप्रबंधन के खिलाफ अनशन पर बैठीं मुखिया

घर पर ही कर रहीं अनशन। व्यवस्था पर उठाए कई सवाल। सरकार व आपदा प्रबंधन विभाग के निर्देशों को स्पष्ट करने की रखी मांग।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sun, 31 May 2020 01:43 PM (IST) Updated:Sun, 31 May 2020 01:43 PM (IST)
शिवहर के क्वारंटाइन कैंप में आवश्यक सुविधाओं की कमी, कुप्रबंधन के खिलाफ अनशन पर बैठीं मुखिया
शिवहर के क्वारंटाइन कैंप में आवश्यक सुविधाओं की कमी, कुप्रबंधन के खिलाफ अनशन पर बैठीं मुखिया

शिवहर, जेएनएन। प्रवासी श्रमिकों के लिए बनाए गए क्वारंटाइन कैंप में जरूरी सुविधाओं की कमी है। वहां इन सुविधाओं को उपलब्ध कराने तथा इस संबंध के सरकार के निर्देशों के बारे में स्पष्ट जानकारी की मांग को लेकर अभिराजपुर बैरिया पंचायत की मुखिया रूबी देवी विगत पांच दिनों से अनशनरत हैं।

अब तक निर्देश स्पष्ट नहीं

उनका कहना है कि क्वारंटाइन सेंटर पर दी जाने वाली सुविधाओं के संदर्भ में सरकार व आपदा प्रबंधन विभाग के निर्देश स्पष्ट नहीं है। डीएम को इसे स्पष्ट करना चाहिए। मुखिया ने बताया कि क्वारंटाइन सेंटर/कैंप संचालन एवं व्यय की जा रही राशि को लेकर स्पष्ट दिशा निर्देश से लोग अनजान हैं। नतीजतन उन्हें खुद को मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी नहीं है। आवासित प्रवासियों को जो वेलकम किट मिलनी थी, वह नहीं दी गई। अब जब आधे से अधिक लोग होम क्वारंटाइन में चले गए हैं तब किट वितरण किया जा रहा।

स्पष्ट मेन्यू निर्धारित नहीं

इतना ही नहीं, प्रवासियों को दिए जा रहे भोजन में भी अनियमितता है। इसका स्पष्ट मेन्यू निर्धारित नहीं है। इसके अलावा कौन-कौन सी सुविधाएं देनी हैं। इसके लिए कोई मद है या नहीं? इसमें पंचायत और जिला आपदा प्रबंधन क्या भूमिका है? प्रदत जिम्मेदारी का कहां और कैसे निर्वहन किया जा रहा? इसमें पारदर्शिता नहीं दिख रही। कहा, सरकार हमें क्या सुविधा दे रही, यह जानने का हक सबको है। जब तक जिला पदाधिकारी इसे स्पष्ट नहीं करेंगे, तब तक क्वारंटाइन सेंटरों पर व्यवस्था सुदृढ़ नहीं होगी और मेरा अनशन जारी रहेगा। पीएचसी प्रभारी डाॅ. त्रिलोकी शर्मा ने अनशन पर बैठी मुखिया का स्वास्थ्य परीक्षण किया।

इस बीच पूर्व सैनिक संगठन वेटरंस इंडिया प्रदेश प्रभारी कर्नल सुधीर कुमार सिंह, सीतामढ़ी संयोजक अनिल कुमार एवं विकास मिश्रा ने अभिराजपुर बैरिया पहुंच आंदोलनरत मुखिया का हाल जाना। उनलोगों ने भी मुखिया की मांग का समर्थन किया।  

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