जानें, मोतिहारी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति के खिलाफ राष्ट्रपति को भेजी गई रिपोर्ट क्या है

Motihari KVV में कुव्यवस्था से क्षुब्ध हैं कुलाधिपति। नियुक्तियों में भी गड़बड़ी का आरोप। राष्ट्रपति के आदेश के दो माह बाद भी मंत्रालय द्वारा कोई कार्रवाई नहीं हुई।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Fri, 10 Jul 2020 08:09 AM (IST) Updated:Fri, 10 Jul 2020 08:09 AM (IST)
जानें, मोतिहारी केंद्रीय विश्वविद्यालय  के कुलपति के खिलाफ राष्ट्रपति को भेजी गई रिपोर्ट क्या है
जानें, मोतिहारी केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति के खिलाफ राष्ट्रपति को भेजी गई रिपोर्ट क्या है

पू.चंपारण, [अनिल तिवारी]। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर स्थापित केंद्रीय विश्वविद्यालय कुव्यवस्था का शिकार हो गया है। इसको लेकर पहले कुलपति को हटाया गया था। अब वर्तमान कुलपति के खिलाफ गड़बड़ी का मामला राष्ट्रपति तक पहुंच गया है। इस बाबत केविवि के कुलाधिपति महेश शर्मा ने राष्ट्रपति को पत्र भेजा है। कहा कि लगातार दो अयोग्य कुलपतियों के कारण यह महत्वपूर्ण संस्थान शैशवावस्था में ही कुव्यवस्था का शिकार हो गया। अफसोस जताते हुए कहा कि यह सब जानकारी होने के बाद मानव संसाधन मंत्रालय की चुप्पी उसकी सहभागिता की ओर इंगित करता है।

केंद्रीय विश्वविद्यालय में हस्तक्षेप का अनुरोध

राष्ट्रपति को भेजे पत्र में कहा कि उन्होंने 11 मई 2020 को महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय में उनसे हस्तक्षेप का अनुरोध किया था। इस आलोक में राष्ट्रपति ने समुचित कार्रवाई के लिए मंत्रालय को आदेश दिया था। लेकिन, दो माह बाद भी मंत्रालय द्वारा कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस बीच विश्वविद्यालय की स्थिति में और गिरावट आ गई।

विश्वविद्यालय एक्ट के प्रावधानों का खुला उल्लंघन

केविवि कार्यकारी परिषद की एक वरिष्ठ सदस्य प्रो. किरण घई ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री को पत्र लिखकर बताया कि यहां विश्वविद्यालय एक्ट के प्रावधानों का खुला उल्लंघन हो रहा है। यूजीसी के मान्य नियमों का उल्लंघन करते हुए कई नियुक्तियां की गई हैं। कुलाधिपति ने बताया कि गांधी अध्ययन विभाग की कई नियुक्ति इसका ज्वलंत उदाहरण है। चार वर्ष बीतने के बाद भी अभी तक रजिस्ट्रार, वित्त अधिकारी व परीक्षा नियंत्रक के पदों पर किसी को पदस्थापित नहीं किया गया है।

तदर्थ ओएसडी कई साल से प्रशासन चला रहा

संविदा पर बहाल एक तदर्थ ओएसडी कई साल से प्रशासन चला रहा है। यही स्थिति अब तक के कुलपतियों को रास आता रहा है। इस दिशा में मानव संसाधन मंत्रालय उदासीन बना है। वर्तमान कुलपति द्वारा चयन समिति की सही जानकारी छिपाने के कारण नियुक्ति में गड़बड़ी हुई है। पहले के कुलपति के मामले में भी यही हुआ था। उसे बीच में हटाना पड़ा। केविवि की बदइंतजामी से गांधीवादियों में निराशा व आक्रोश है। मोतिहारी के प्रबुद्ध लोग आंदोलित हैं। जानकारी मिली है कि नौ अगस्त से इसको लेकर यहां लोक अभियान भी छिडऩेवाला है।

छुट्टी पर भेजकर हो निष्पक्ष जांच

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय कार्यकारी परिषद की वरिष्ठ सदस्य प्रो. किरण घई ने कहा कि पांच वर्ष पूरा होने से पहले ही विवि में नियुक्त दूसरे कुलपति उन्हीं कारणों से कुख्यात हो गए हैं, जिन कारणों से पहले कुलपति को सरकार ने हटाया था। विश्वविद्यालय में आधारभूत संरचना से जुड़ी समितियों में विशेषाधिकार के नाम पर कुलपति द्वारा शीर्ष निकायों की भी अवहेलना की जा रही है। केविवि की कार्यकारी परिषद की 17 वीं और 18वीं बैठकों के आधार पर वे यह मान रही है कि यह सब सिर्फ रस्म अदायगी के लिए होती है।

प्रतिकुलपति का खुद ही किया चयन

बैठकों में कुलपति डॉ. संजीव शर्मा व सचिव सह विशेष कार्य पदाधिकारी पद्माकर मिश्र द्वारा गलत सूचना देने, संबंधित दस्तावेज पेश नहीं करने और अधिकारों के उल्लंघन व हठधर्मिता जैसे खेदजनक प्रयासों की खुद साक्षी रही हैं। 30 जून की बैठक के बारे में कहा कि यह वीडियोकॉन्फ्रेंसिंग से हुई थी। कुलपति ने शिक्षकों की नियुक्ति के लिए चयन समिति के लिए संकाय अध्यक्षों की सूची अनुमोदित कराने की जगह कुलपति को अधिकृत किए जाने का प्रस्ताव कराया। जबकि, उन्होंने और मानव संसाधन विभाग के संयुक्त सचिव चंद्रशेखर कुमार व यूजीसी के जितेंद्र त्रिपाठी ने इसका विरोध किया। एक्ट, प्रकिया व पारदर्शिता की मांग करने पर बैठक स्थगित कर दी गई। इसे अगली बैठक में लाने से इन्कार कर दिया गया। प्रतिकुलपति जैसे शीर्ष पद पर नाम का चयन भी खुद कर लिया। उन्होंने इससे संबंधित पत्र मानव संसाधन मंत्रालय को भी भेजा है। प्रो. घई ने मामले में कुलपति को लंबी छुट्टी पर भेजकर संपूर्ण मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। 

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