दरभंगा में अंतहीन सफर के मुसाफिर को सद्गति दे रहा कबीर सेवा संस्थान

प्रशासनिक और मेडिकल टीम के सहयोग से निभाई सामाजिक भूमिका। सामान्य दिनों में लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करनेवाले कबीर सेवा संस्थान के सदस्य कोरोना काल में बिना अपनी जान की परवाह किए फ्रंटलाइन वॉरियर के रूप में खड़े रहे।

By Ajit kumarEdited By: Publish:Wed, 27 Jan 2021 08:52 AM (IST) Updated:Wed, 27 Jan 2021 08:52 AM (IST)
दरभंगा में अंतहीन सफर के मुसाफिर को सद्गति दे रहा कबीर सेवा संस्थान
अब तक कोरोना से मृत 27 लोगों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। फोटो : कबीर सेवा संस्थान

दरभंगा, [विभाष झा]। जब पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण के कहर से त्रस्त थी। बेवक्त लोग मौत के मुंह में समा रहे थे। अंत समय में अपनों का साथ छूट रहा था, तब जीवन के अंतहीन सफर में 'कबीर' अपनों की तरह खड़े रहे। सामान्य दिनों में लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करनेवाले 'कबीर सेवा संस्थान' के सदस्य कोरोना काल में बिना अपनी जान की परवाह किए फ्रंटलाइन वॉरियर के रूप में खड़े रहे। मार्च, 2020 से लेकर अब तक कोरोना से मृत 27 लोगों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। 

मृत व्यक्ति के स्वजन के लिए भारी था पल

कबीर सेवा संस्थान के संरक्षक नवीन सिन्हा बताते हैं कि कोरोना से मृत लोगों के दाह संस्कार को लेकर दो पक्ष जुड़े थे। हमें कोरोना प्रोटोकॉल भी देखना था और लोगों की भावनाओं का भी ख्याल रखना था। मृत व्यक्ति के स्वजन के लिए यह पल बेहद भारी होता था। एक तो उन्हेंं अपने को खोने की पीड़ा थी और दूसरा खुद अंतिम संस्कार न कर पाने की। संस्थान ने ऐसे शवों को सद्गति देने का निर्णय लिया। हालांकि, यह आसान नहीं था। श्मशान घाट पर स्थानीय लोग विरोध करने लगे। रास्ता रोक दिया। इसकी परवाह किए बगैर दो-चार शवों का अंतिम संस्कार किया गया। लेकिन, लोगों के भारी आक्रोश को देखते हुए जिला प्रशासन ने मदद शुरू की। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और डॉक्टरों के समझाने पर लोग माने। इसमें जिला प्रशासन की ओर से मदद भी की जाने लगी।

सदस्यों को उपलब्ध कराई गई पीपीई किट

नवीन सिन्हा बताते हैं कि संक्रमण का डर उनकी टीम के सदस्यों को भी सता रहा था। अनजान बीमारी और कोरोना प्रोटोकॉल मृत व्यक्ति के स्वजन की राह में बड़ी बाधा थी। अस्पताल वाले उन्हेंं शव नहीं सौंप रहे थे। कई बार स्वजन भी आगे नहीं आ रहे थे। अगर, कोरोना से मृत लोगों का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता तो संक्रमण फैलने का डर था। सदस्यों के लिए पीपीई किट, ग्लव्स, जूते, फेस शील्ड, मास्क आदि की व्यवस्था की गई। अंतिम संस्कार के बाद ये खुद क्वारंटाइन रहते और कोविड-19 गाइडलाइन का पालन करते रहे। सदस्य सचिन राम, अशोक श्रीवास्तव, राजन कुमार, मो. उमर, मुकेश राय, अनिल राम, सुरेंद्र महतो आदि सहयोग में तत्पर रहे।

2014 से शुरू हुआ सफर

वर्ष 2014 से कबीर सेवा संस्थान के सदस्य लावारिस शवों का उनके धर्मानुसार अंतिम संस्कार कर रहे हैं। अब तक 90 से अधिक शवों को संस्कार कर चुके हैं। इस पर होनेवाला खर्च संस्था खुद वहन करती है। हालांकि, हाल के दिनों में कुछ लोगों ने दान देना भी शुरू किया है। 

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