जेपी ने नक्सल प्रभावित क्षेत्र में बोए ग्राम विकास व शांति के बीज, जानिए मुजफ्फरपुर में इनका योगदान
50 साल पहले आज ही के दिन जेपी आए थे मुशहरी। दिन में जनसंवाद और रातों को संकटग्रस्त किसानों व भूमिगत नक्सलियों से करते थे मुलाकात।
मुजफ्फरपुर [अमरेंद्र तिवारी]। 1970 में जिले में नक्सली आंदोलन चरम पर था। जयप्रकाश नारायण (जेपी) ने अखबार में पढ़ा कि मुशहरी में नक्सलियों ने तेपरी के स्वतंत्रता सेनानी गोपालजी मिश्र व कोरलहिया के भूदान कार्यकर्ता बद्रीनारायण सिंह की हत्या की चेतावनी दी है। यह जानकारी होते ही जेपी मुजफ्फरपुर के लिए चल दिए थे।
5 जून 1970 को पहुंचे
जेपी के करीबी रहे सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय मंत्री रमेश पंकज बताते हैं कि 5 जून 1970 को जेपी मुजफ्फरपुर पहुंचे थे। 9 जून को उन्होंने कन्हौली स्थित सर्वोदय ग्राम परिसर में सामाजिक, राजनीतिक, भूदान-सर्वोदय कार्यकर्ताओं की बैठक की। बैठक के बीच ही खबर आई कि नक्सलियों ने जेपी को मुजफ्फरपुर छोड़ने की धमकी दी है। लेकिन, धमकी की परवाह छोड़ जेपी गांव-गांव में शिविर लगाकर ग्रामीण विकास और शांति के बीज बोने में लग गए।
गांव में बनी ग्राम सभा
उक्त वक्त शिविर में सहयोग करने वाले परमहंस बताते हैं कि शेरपुर, छपरा, मणिका , नरौली , सलाहां, जमालाबाद समेत कई गांवों में जेपी ने महीनों कैंप किया। दिन में गांवों में जन संवाद और रातों को संकटग्रस्त किसानों व भूमिगत नक्सलियों से मुलाकात करते थे। उसी बीच नक्सली नेता मोहम्मद तसलीम की लाश बूढ़ी गंडक नदी के किनारे मिली थी। तस्लीम की चार व 6 साल की 2 बेटियां अनाथ हो गईं। जेपी ने इनको बोल दिया और पालन-पोषण के लिए बोधगया के समन्वय आश्रम। इस पहल से जेपी ने नक्सलियों का दिल जीत लिया और फिर नक्सलियों को शांति की राह पर लौटाने में उन्हें ऐतिहासिक सफलता मिली।
मुजफ्फरपुर में जेपी का योगदान
* 107 ग्राम सभाओं की स्थापना की
* मुजफ्फरपुर विकास मंडल का गठन किया
* ग्रामीण उद्योग परियोजना की स्थापना की
उद्योगों से युवाओं को जोड़ा
जेपी के स्थापित संस्था मुजफ्फरपुर विकास मंडल के मंत्री तारकेश्वर मिश्र कहते हैं कि नलकूप , बिजली की व्यवस्था के साथ कुटीर उद्योगों के विस्तार के लिए ग्रामीण उद्योग परियोजना से जोड़ा गया है। युवाओं को उद्योग के प्रति प्रेरित करना लक्ष्य था।
आज होगा यह आयोजन
समाजवादी रमेश पंकज बताते हैं कि जेपी के आगमन के 50 साल पूरे होने पर यहां बड़े आयोजन की तैयारी थी। लेकिन कोरोना संकट के कारण सर्वोदय ग्राम परिषद में एक छोटी गोष्ठी का आयोजन कर उनको याद किया जाएगा।