JPJayanti: मुजफ्फरपुर में जयप्रकाश नारायण ने नक्सलियों के खिलाफ लड़ी थी लंबी लड़ाई
मुशहरी आते ही जेपी नक्सलियों के निशाने पर आ गए। पर्चा गिराकर उन्हें धमकाया गया लेकिन वे अपने अभियान में लगे रहे। वर्ष 1970 के अंत में नक्सलियों ने जमालाबाद पंचायत में उनके प्रवास के दौरान ही स्थानीय बेचू राय की हत्या कर दी।
मुशहरी (मुजफ्फरपुर), उमाशंकर। जयप्रकाश नारायण ने मुजफ्फरपुर में नक्सलियों के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी थी। मुशहरी को केंद्र बना करीब 10 महीने तक ठहरे थे। नक्सलियों की धमकी के बावजूद जमे रहे और ग्रामीण विकास की धार से उनके विस्तार को कमजोर करते रहे। उन्होंने घोषणा की कि मुशहरी से नक्सलवाद समाप्त होगा या यहीं मेरी हड्डी गिरेगी। वह दौर 1970 का था। कुछ विषमताओं के कारण समाज में असंतोष का माहौल विकसित हो रहा था। इससे नाराज एक वर्ग हिंसा की राह पर चल पड़ा। उनका विस्तार कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती पैदा कर रहा था। उस समय जेपी का सर्वोदय आंदोलन सामाजिक समरसता और ग्रामीण व्यवस्था को सुदृढ़ करने में लगा था। नक्सली इसे अपने विस्तार में रोड़ा मानने लगे।
नक्सलियों ने दी थी सर्वोदय कार्यकर्ताओं की हत्या की धमकी
मुशहरी निवासी और जेपी के सहयोगी रहे मंडलेश्वर तिवारी बताते हैं कि मई, ़1970 में जेपी देहरादून में थे। वहां एक सूचना ने उन्हें उद्वेलित कर दिया था। पता चला कि मुजफ्फरपुर के दो सर्वोदय कार्यकर्ता बद्री नारायण सिंह व गोपालजी मिश्र को हत्या की धमकी दी गई है। धमकी के कुछ दिन बाद ही गोपालजी मिश्र को गोली मार दी थी, जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए। जयप्रकाश नारायण पांच जून, 1970 को समाजवादी नेता ध्वजा प्रसाद साहू के यहां पहुंचे। दो दिन बाद मुशहरी के सलहा मध्य विद्यालय में पहुंचे। इसे उन्होंने कार्यस्थल बनाया।
नक्सली की बेटी की शादी में की थी आर्थिक मदद
मुशहरी आते ही जेपी नक्सलियों के निशाने पर आ गए। पर्चा गिराकर उन्हें धमकाया गया, लेकिन वे अपने अभियान में लगे रहे। वर्ष 1970 के अंत में नक्सलियों ने जमालाबाद पंचायत में उनके प्रवास के दौरान ही स्थानीय बेचू राय की हत्या कर दी। बाद में उसी परिवार के एक अन्य सदस्य मुखिया राजदेव शाही की भी हत्या कर दी। इन घटनाओं के बावजूद जेपी विचलित नहीं हुए। वर्ष 1971 में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए एक नक्सली की पुत्री की शादी में आर्थिक मदद की। नक्सलियों में इसका व्यापक प्रभाव पड़ा। उन्होंने 117 ग्रामसभा का गठन कराया। रोजगार के अवसर, स्वास्थ्य और शिक्षा का अभियान चलाया। उसके सकारात्मक परिणाम सामने आए। कई युवा नक्सली सर्वोदय आंदोलन के साथ हो गए।