बगहा के जगदंबा की सोच ने बदल दी महिलाओं की तकदीर, संवर रही आर्थिक सेहत

मदरहनी गांव निवासी जगदंबा देवी ने पेश की मिसाल। महिलाओं को निशुल्क देती हैं सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण। व्हाट्सएप एवं यू-ट्यूब के जरिए पहले खुद को हुनरमंद बनाया। आज वे इलाके में महिला सशक्तीकरण का पर्याय बन गई हैं।

By Ajit kumarEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 09:56 AM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 09:56 AM (IST)
बगहा के जगदंबा की सोच ने बदल दी महिलाओं की तकदीर, संवर रही आर्थिक सेहत
गरीब महिलाओं के लिए निशुल्क प्रशिक्षण केंद्र खोला। फोटो : जागरण

पश्चिम चंपारण, [ राजेश बैठा]। जगदंबा देवी अधिक पढ़ी-लिखी नहीं हैं। मगर उन्होंने अपने व्यवहार और हिम्मत के बल पर न सिर्फ खुद की सफलता की कहानी लिखी बल्कि कईयों को सफलता की राह भी दिखाई। आज वे इलाके में महिला सशक्तीकरण का पर्याय बन गई हैं। बगहा दो प्रखंड के खरहट त्रिभौनी पंचायत स्थित मदरहनी गांव निवासी जगदंबा ने गांव में सामाजिक बंदिशों व कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद कर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। इसके बाद गांव की दर्जनों महिलाओं को सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाने की ठानी। व्हाट्सएप एवं यू-ट्यूब के जरिए पहले खुद को हुनरमंद बनाया। फिर गुरबत की मार झेल रहे परिवारों को हुनरमंद बनाकर स्वावलंबन की राह दिखाई। उनकी प्रेरणा से गांव की दर्जनों महिलाओं ने सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण लिया तथा अब वे इस काम से हर रोज सैकड़ों रुपये कमाती हैं।

जगदंबा ने बताया कि पति को नियमित रूप से काम नहीं मिलने से परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। तीन-तीन बच्चों की पढ़ाई व परिवार का खर्च उठाना बेहद चुनौतीपूर्ण था। कपड़े की सिलाई कढ़ाई और बुनाई में पारंगत होने के बाद कर्ज लेकर सिलाई मशीन खरीदा। इसके बाद घर से ही काम करने लगी। जब काम लोगों को पसंद आने लगा तो परेशानी दूर हो गई। इसके बाद गरीब महिलाओं के लिए निशुल्क प्रशिक्षण केंद्र खोला। मेरे कार्यों को देखते हुए 2018 में मुझे जीविका समूह का सीएम बनाया गया। मैं फिलहाल पूर्णनिष्ठा से जीविका समूह का संचालन भी करती हूं। सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी देवसिया देवी की बहन कदमहवा में कटाई सिलाई सेंटर चलाती हैं। सुनरमति देवी, राजकली देवी, गुलाब देवी समेत दर्जनों अन्य महिलाएं इस काम को अपनाकर परिवार की आर्थिक सेहत संवार रही हैं।  इसकी वजह से बच्‍चों काेे पढ़ा पाना संभव हो पा रहा है। उम्‍मीद की जा रही है क‍ि वे एक बेहतर नागर‍िक साब‍ित होंगे। 

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