फिंगर प्रिंट के जनक खान बहादुर ने पूर्वी चंपारण में ली थी अंतिम सांसें, जानें उस तेज तर्रार पुलिस अधिकारी की कहानी

East Champaran News एक शख्शियत पुलिस अधिकारी खान बहादुर अजीजुल हक उर्फ काजी अजीजुल हक। कम ही लोग जानते हैं कि विभिन्न तरह के अपराधों के अनुसंधान में आज जिस फिंगर प्रिंट तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है उसको ईजाद करने में उनकी अहम भूमिका रही थी।

By Murari KumarEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 08:11 PM (IST) Updated:Wed, 27 Jan 2021 08:32 AM (IST)
फिंगर प्रिंट के जनक खान बहादुर ने पूर्वी चंपारण में ली थी अंतिम सांसें, जानें उस तेज तर्रार पुलिस अधिकारी की कहानी
खान बहादुर अजीजुल हक उर्फ काजी अजीजुल (फ़ाइल फ़ोटो)

मोतिहारी [धीरज श्रीवास्तव शानू]। पूर्वी चंपारण की मिट्टी हमेशा से लोगो को आकर्षित करती रही है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी इसी पावन धरा से अंग्रेजो के खिलाफ सत्याग्रह का बिगुल फूंका था। उनके अलावे कई दूसरी नामचीन शख्सियतों का भी यहां से गहरा नाता रहा है। ऐसे ही एक शख्शियत थे पुलिस अधिकारी खान बहादुर अजीजुल हक उर्फ काजी अजीजुल हक। कम ही लोग जानते हैं कि विभिन्न तरह के अपराधों के अनुसंधान में आज जिस फिंगर प्रिंट तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, उसको ईजाद करने में उनकी अहम भूमिका रही थी। इसके साथ ही गर्व से सीना तब और चौड़ी हो जाती है जब यह जानकारी मिलती है कि पुलिस अधिकारी खान बहादुर अजीजुल हक उर्फ काजी अजीजुल हक के जीवन का अंतिम क्षण मोतिहारी में ही गुजरा।

फोटो- मोतिहारी। खंडहर लाज पर बना मकान

 इतना ही नहीं उन्होंने इसी धरती पर अपनी अंतिम सांसें भी ली और यहां की मिट्टी में दफन हो कर धरती की महता को व्यापक बना दिया। मगर, अफसोस आज उनसे जुड़ी स्मृतियां भी उसी तरह दफन हो चुकी है। उनके इंतकाल के बाद ऐसा कुछ नहीं किया गया जिससे नई पीढ़ी उनके बारे में जान व समझ सके। नई पीढ़ी की बात तो दूर 70-80 वर्ष के बुजुर्ग भी उनके बारे में नहीं जानते। बेलीसराय स्थित जिस मुहल्ले में खान बहादुर रहते थे उसी मुहल्ले के पूर्व विधायक मो. ओबैदुल्लाह कहते हैं हमने भी किताबों पढ़ा और सुना है कि यही पास के खंडहर लाज में खान बहादुर रहते थे। आज तो यह लाज रहा नहीं मगर उनकी कब्रगाह मौजूद है। मगर, अफसोस इसकी कोई खोजबीन नहीं करता। अगर इस दिशा में पड़ताल की जाय तो मोतिहारी के गौरवशाली अतीत में एक और नया अध्याय जुड़ सकता है। 

फोटो- मोतिहारी। इसी जगह पर खान बहादुर ने अंतिम सांस

खान बहादुर, हेम व हेनरी की तिकड़ी ने ईजाद की थी तकनीक

बताते हैं कि खान बहादुर एक तेज तर्रार पुलिस अधिकारी थे। अपराधों के अनुसंधान में उनकी विशेष रुचि रहती थी। तब फिंगर प्रिंट के पारंपरिक एंथ्रोपोमेट्रिक पद्धति का इस्तेमाल होता था। हालांकि वे इससे संतुष्ट नहीं थे। बाद में उन्होंने खुद एक वर्गीकरण प्रणाली पर काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने बत्तीस स्तंभों में 1024 कबूतरों और बत्तीस पंक्तियों को फिंगरप्रिंट पैटर्न के आधार पर क्रमबद्ध करने के लिए एक गणितीय सूत्र तैयार किया। इस कार्य मे उन्हें अपने वरीय पदाधिकारी एडवर्ड हेनरी व एक दूसरे पुलिस अधिकारी हेम चंद्र बोस ने भी भरपूर मदद की। तीनो के सम्मिलित प्रयास से फिंगर प्रिंट के एक नई तकनीक का आगाज हुआ। यह पहले के मुकाबले हर मायने में बेहतर था। एडवर्ड हेनरी ने ही तब अंग्रेज सरकार को व्यापक उपयोग के लिए नए प्रणाली का मूल्यांकन करने के लिए एक समिति बुलाने के लिए कहा। समिति ने भी  माना कि उंगलियों के निशान एंथ्रोपोमेट्री से बेहतर थे। नई प्रणाली से कम लागत व कम समय मे बेहतर परिणाम मिलने लगे। 

फोटो- मोतिहारी। जंगल झाडियों से घिरी खान बहादुर की कब्रगाह

खान बहादुर का मोतिहारी आगमन

खान बहादुर उनका जन्म 1872 में बंगाल प्रेसीडेंसी (अब बांग्लादेश में) के खुलना संभाग के पुल्ग्राम कस्बा, फुलतला गाँव में हुआ था। जब वह छोटे थे तब उनके माता-पिता की एक नाव दुर्घटना में मृत्यु हो गई। उन्होंने 12 साल की उम्र में अपना  घर छोड़ दिया और कोलकाता चले गए, जहां उन्होंने एक ऐसे परिवार से दोस्ती की जो उनके गणितीय कौशल से प्रभावित हो गया और उनके लिए एक औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने की व्यवस्था की। बाद में वे पुलिस अधिकारी बन गए। सेवा से सेवानिवृत्त होने पर वे मोतिहारी में बस गए।

 यहीं पर बेलिसराय स्थित खण्डहर लॉज के समीप उन्होंने आखरी सांस ली। बताते हैं कि उनकी आठ संतानें थीं।  जिनमें चार बेटे, अमीनुल, असीरुल, अशरफुल व मोतीउल और चार बेटियां अकेफा, अमीना, आरिफ़ा व अबेड़ा शामिल थीं। उनकी पत्नी और बच्चे और उनके परिवार भारत के विभाजन के दौरान पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान चले गए। वर्तमान में उनके वंशज बांग्लादेश, पाकिस्तान, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया उत्तरी अमेरिका और मध्य पूर्व में बसे हैं। हालांकि, आज भी खंडहर लॉज के समीप का पूरा इलाका उनकी रिहाइश का गवाह है।

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