बगहा में अंडों को सुरक्षित की रखने की पहल रंग लाई , मगरमच्छ के 16 में से पांच अंडों से बच्चे निकले
पिपरा-पिपरासी तटबंध में गड्ढा खोद मगरमच्छ ने दिया था अंडा वनकर्मियों ने अंडों को कर दिया था सुरक्षित गंडक में छोड़े जाएंगे बच्चे मादा मगरमच्छ बीते करीब पांच दिनों से प्रतिदिन तटबंध पर पहुंचकर अपने अंडों की तलाश कर रही।
पश्चिम चंपारण, जासं। आखिरकार मगरमच्छ के अंडों को सुरक्षित करने की पहल रंग लाई है। करीब 15 दिन पूर्व पिपरा-पिपरासी तटबंध से जिन अंडों को बरामद किया गया था, उनमें पांच से बच्चे निकल आए हैं। ये अंडे तब दिखे थे जब अभियंताओं की टीम तटबंध के निरीक्षण पर निकली थी। इस बीच अचानक तटबंध पर एक बड़ा होल दिखा। अभियंताओं ने जब तफ्तीश की तो भीतर अंडे दिखे। अगली सुबह पहुंची वन विभाग की टीम ने खोदाई के बाद अंडों को बाहर निकला। जिसके बाद यह पुष्टि हुई कि गंडक नदी से निकले मादा मगरमच्छ ने तटबंध में छेद बनाकर उसमें अपने अंडों को सुरक्षित किया है। कुल 16 अंडों को यहां से सुरक्षित भितहां ले जाया गया। जिन्हें एक सुरक्षित जगह पर गंडक नदी के किनारे रेत पर रखा गया था।
अंडों की देखरेख के लिए वनकर्मियों की टीम को मौके पर तैनात कर दिया गया। ताकि कोई इन्हें नुकसान न पहुंचा सके। वनकर्मी लालसा यादव ने बताया कि रखे गए 16 अंडाें में से पांच से बच्चे निकल गए। जिसकी सूचना आला अधिकारियों को दी गई। अधिकारियों ने पांचों बच्चों को पुन: उसी स्थान पर नदी में छोड़ने का निर्णय लिया है जहां मादा मगरमच्छ अक्सर विचरण करती नजर आती है। मादा मगरमच्छ बीते करीब पांच दिनों से प्रतिदिन तटबंध पर पहुंचकर अपने अंडों की तलाश कर रही। कई बार अभियंताओं से मगरमच्छ का आमना-सामना हो चुका है।
बाघ का पगमार्क मिलने पर बढ़ी चौकसी
मदनपुर वन क्षेत्र के सिरिसिया गांव के समीप बाघ की पगमार्क मिलने के बाद से वन कर्मियों की बेचैनी बढ़ गई है। बताया जाता है कि रविवार की सुबह वन कर्मियों की टीम क्षेत्र भ्रमण कर रही थी। उसी क्रम में बाघ का पग मार्क दिखाई दिया। जिसकी सूचना वरीय पदाधिकारियों को दी गई। सूचना मिलने के बाद वन कर्मियों की चौकसी बढ़़ा दी गई है। सीएफ एसके राय ने बताया कि वनकर्मियों की गश्ती के दौरान बाघ का पगमार्र्क मिला है।बाघ की गतिविधि पर नजर रखने के लिए अधिकारियों के नेतृत्व में वनकर्मियों की टीम के द्वारा चौकसी बरती जा रही है। साथ ही जंगल के आस-पास के गांवों के लोगों से अपील भी की जा रही है कि जंगल की ओर नहीं जाए।