मुजफ्फरपुर में दूध का बढ़ा उत्पादन, पशुपालकों के चेहरे पर खुशी

दुग्ध उत्पादक सहयोग समितियों के गठन से पशुपालकों को राहत मिली। दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार ने समग्र गव्य विकास योजना से पशुपालकों को अनुदान पर दुधारू पशु देकर एक तरफ दूध उत्पादन को बढ़ाया तो दूसरी ओर पशुपालकों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार किया।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 08:49 AM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 08:49 AM (IST)
मुजफ्फरपुर में दूध का बढ़ा उत्पादन, पशुपालकों के चेहरे पर खुशी
सरकार की योजना से दूध की किल्लत हुई खत्म, पशुपालकों की भी बदली तकदीर।

मुजफ्फरपुर, जासं। पशुपालकों के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से दूध उत्पादन बढ़ा है। पशुपालकों के दिन भी बदल गए हैं। पहले जिले के लोग दूध की किल्लत से जूझते थे। हाल के कुछ वर्षों में दूध का उत्पादन बढऩे से लोगों को राहत मिली है। दुग्ध उत्पादक सहयोग समितियों के गठन से पशुपालकों को राहत मिली। दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार ने समग्र गव्य विकास योजना से पशुपालकों को अनुदान पर दुधारू पशु देकर एक तरफ दूध उत्पादन को बढ़ाया तो दूसरी ओर पशुपालकों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार किया। 

पशुपालक टुनटून राय कहते है कि पहले ग्राहकों की मांग के अनुसार दूध की आपूर्ति करना मुश्किल होता था। पिछले कुछ वर्षों में यह स्थिति बदली है। इसका असर पशुपालकों की आय पर भी पड़ा है। तिमूल के एमडी एचएन सिंह कहते हैं कि विगत कुछ वर्षों में दूध का उत्पादन बढ़ा है। हालांकि उनका कहना है कि बाढ़ से कुछ दिनों से उत्पादन में कमी आई है।

जिले में 10 वर्षों में गाय और भैंस की संख्या

- 2003 में हुए सर्वे में जिले में कूल 7 लाख 11 हजार 299 दूधारू पशु थे। इसमें गो प्रजाति चार लाख 11 हजार 401 एवं भैस प्रजाति दो लाख 99 हजार 898 थीं।

- 2009-10 के सर्वे के अनुसार इसकी संख्या पांच लाख 40 हजार 374 तक पहुंच गई। इसमें गो प्रजाति की तीन लाख दो हजार 257 व भैस प्रजाति दो लाख 38 हजार 117 रही।

- 2017 की पशु गणना के अनुसार दुधारू पशुओं की संख्या सात लाख 22 हजार 368 रही। इसमें गो प्रजाति चार लाख 25 हजार 800 एवं भैस दो लाख 96 हजार 568 है।

गव्य विकास योजना से पशुपालकों को सौगात

दुग्ध उत्पाद को बढ़ावा देने व शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार के अवसर देने के उद्देश्य से शुरू की गई 'समग्र गव्य विकासÓ योजना के तहत अब तक जिले में करीब आठ सौ पशुपालकों को दुधारू पशुओं की सौगात दी गई। पशुपालकों को दो एवं चार दुधारू पशु दिए गए। वहीं 2020-21 के लिए 80 पशुपालकों का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए 1253 लोगों ने आवेदन किए हंै। लाभुकों को योजना का लाभ देने के लिए स्क्रीनिंग कमेटी गठित हो चुकी है। जल्द ही आवेदकों को बैंक के माध्यम से दुधारू पशु देने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। जिला गव्य विकास पदाधिकारी जितेंद्र कुमार ने बताया कि योजना के तहत मिलने वाले ऋण में सरकार अनुदान देती है। सामान्य, अति पिछड़ा वर्ग एवं एससी-एसटी के लिए अलग-अलग अनुदान की राशि तय है।  

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