समस्तीपुर में तो नगर व मुफस्सिल थाने के फुटपाथ पर ही है अतिक्रमण
फुटपाथ की सड़कों पर ही स्थायी रूप से लगी रहती है गाडिय़ां। सड़क के अलावा फुटपाथ पर भी भारी तादाद में अवैध रूप से कब्जे हो गए हैं। आने जाने वाले लोगों को काफी कठिनाई हो रही है। निराकरण के लिए नहीं हो रही कोई ठोस पहल।
समस्तीपुर, जासं। शहर में अतिक्रमण की समस्या गहराती जा रही है। सड़क किनारे कब्जा जमाने के बाद फुटपाथ पर भी भारी तादाद में अवैध कब्जे हो गए हैं। जिससे राहगीरों का पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। जाम की समस्या से भी लोग जूझते हैं। यह समस्या बढ़ती जा रही है। लेकिन इसके निराकरण के लिए कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है। अभियान तो चलाया जाता है लेकिन उसको प्रभावी रुप नहीं दिया जाता है। जिससे अतिक्रमण करने वालों के हौसले बुलंद हैं। अतिक्रमण हटाने का काम नगर निगम का होता है। अतिक्रमण हटने के बाद दोबारा अतिक्रमण न हो, इसकी जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस की भी होती है, लेकिन वह आंख मूंदे रहती है। कई जगहों पर तो वह अतिक्रमणकारियों से वसूली कर इसे बढ़ावा देती है। थाने व चौकी के बगल में अतिक्रमण तो यही बताता है। अधिकारियों की नजर रोजाना पड़ती है, फिर भी कार्रवाई नहीं होती। यहां तो नगर व मुफस्सिल थाना के सामने का फुटपाथ ही अतिक्रमित है। फुट के बाद जो पाथ बचता है वह तो स्थायी रूप से वाहनों का स्थानीय स्टैंड बना हुआ है। थाना के समाने ही सड़क किनारे जब्त वाहनों को लगाया गया है। इससे यहां जाने जाने वाले लोगों को काफी कठिनाई हो रही है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि सड़क हो या फिर फुटपाथ किसी को यह अधिकार नहीं है कि वह कब्जा कर लिया है।
जब्त वाहनों से थाना परिसर फुल, सड़क बनी मालखाना
नगर व मुफस्सिल थाना में जब्त वाहनों से पूरा परिसर अस्त व्यस्त हो चुका है। जब्त शराब व अन्य सामान किसी तरह मालखाना में रखे जाते हैं। जबकि जब्त वाहनों से थाना परिसर पूरी तरह फुल हो गया है। मालखाना की लचर व्यवस्था के कारण थाना परिसर ही कबाडख़ाना बनता जा रहा है। आलम यह है कि जब्त किए गए भारी वाहन ट्रक व अन्य बड़े वाहनों को रखने के लिए थाना परिसर में जगह नहीं बची है। वाहन जब्त किए जाने के बाद उसे नगर व मुफस्सिल थाना के बाहर सड़क पर खड़ा कर दिया जाता है। इसके कारण भी फुटपाथ पर अतिक्रमण की स्थिति बन गई है। राहगीरों को काफी कठिनाईयों का समाना करना पड़ रहा है।
दुकानदारों का दर्द
शहर में फुटपाथी दुकानदारों के लिए कोई माकूल व्यवस्था नहीं की गई है। इसके कारण भी अतिक्रमण का दायरा बढ़ता जा रहा है। अभियान चलाकर बार बार अतिक्रमण खाली कराया जाता है। लेकिन फिर अतिक्रमणकारी काबिज हो जाते हैं। फुटपाथी दुकानदारों का कहना है कि वह अपना रोजगार कर सकें। इसके लिए निगम की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई है। फुटपाथ पर फल की दुकान लगाए अनिल कुमार ने बताया कि फुटपाथ पर दुकान लगाकर थोड़ा बहुत धंधा कर लेते हैं। इसके अलावा कोई दूसरा चारा भी नहीं है। किसी ने स्थायी रूप से अतिक्रमण नहीं किया है। परिवार का भरण पोषण करने के लिए फुटपाथ पर बैठ रहे हैं। इतनी पूंजी नहीं है कि कहीं दुकान लेकर व्यवसाय कर सकें।