मुजफ्फरपुर में चीन-यूक्रेन की डिग्री वाले काट रहे जेब, क्या आपके यहां भी बिना लाइसेंस वाले डॉक्टरों ने मचा रखी लूट?

रेमिडिविर के कालाबाजारी में अहियापुर के मेडिको नामक अस्पताल पर प्राथमिकी। कोरोना काल में मरीज की मजबूरी का फायदा उठाने वालों की भी कमी नहीं। सिविल सर्जन की जांच में इस राज पर से पर्दा हटा कि शहर में बिना लाइसेंस लिए कई डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 12:38 PM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 12:38 PM (IST)
मुजफ्फरपुर में चीन-यूक्रेन की डिग्री वाले काट रहे जेब, क्या आपके यहां भी बिना लाइसेंस वाले डॉक्टरों ने मचा रखी लूट?
पांच अस्पतालों में सिविल सर्जन की छापेमारी के दौरान कोविड प्रोटोकाल का मिला उल्लंधन।

मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]। जिले में कोरोना इलाज के नाम पर लूट मची है। हर काेई बस ताक लगाए हुए बैठा दिख रहा है। इसकी मिल रही लगातार शिकायतों के बीच सिविल सर्जन डाॅ.एसके चौधरी दल-बल के साथ जांच में निकले। पांच अस्पतालों की जांच की गई। तत्काल रेमिडेसिविर की कालाबाजारी के आरोप में अहियापुर इलाके के मेडिको नामक अस्पताल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आवेदन अहियापुर थाने को दिया। इस बीच छापेमारी की सूचना मिलने के बाद इस इलाके में अवैध रूप से अस्पताल संचालन कर रहे लोग शटर गिराकर भागने लगे। वहां के लोगें ने सीएस से शिकायत की थी कि एक दर्जन अस्पताल बिना निबंधन के चलते हैं। एसकेएमसीएच से दलाल के माध्यम से मरीज को लाकर जबरन इलाज करते व मनमाना फीस वसूलते हैं। कई लोगों ने अस्पताल के बोर्ड की तस्वीर जांच टीम को उपलबध कराई थी। इस बीच गॉड ग्लोकल अस्पताल को तत्काल बंद करने तथा तीन अस्पतालों से कोरोना प्रोटोकॉल के तहत इलाज नहीं करने के आरोप में जवाब-तलब किया गया है। सिविल सर्जन ने अपनी जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी प्रणव कुमार को दी है। डीएम के आदेश के बाद अगला कदम उठाया जाएगा।

इस तरह से चला जांच अभियान

सिविल सर्जन व सदर अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डाॅ.शिवशंकर सबसे पहले बैंक रोड स्थित हार्ट अस्पताल पहुंचे। अस्पताल के बाहर जांच टीम ने देखा कि वहां पर एक पर्ची था। जिसमें लिखा था कि यहां पर कोविड मरीजों का इलाज नहीं होता है। लेकिन जब टीम ऊपर पहुंची तो देखा कि वहां पर एक कोरोना का मरीज भर्ती है। वहीं कंपाउंडर इलाज कर रहा है। खोजने पर वहां पर एक भी चिकित्सक नहीं मिला। टीम जब बैरिया स्थित गॉड ग्लोकल अस्पताल पहुंची तो वहां पर उनका माथा ठनका। सीएस ने बताया कि बिना निबंधन यह अस्पताल चल रहा था। इलाज करने वाले दो चिकित्सक मिले तो एक यूक्रेन व दूसरा चीन से डिग्री लकर आया है। सीएस ने कहा कि जो लोग विदेश से डिग्री लेकर आते हैं तो उनको यहां पर दक्षता परीक्षा पास करने के बाद ही प्रैक्टिस करनी है। लेकिन, दोेनों ने परीक्षा पास की है या नहीं, यह नहीं बता पाए। तत्काल अस्पताल बंद करने का आदेश दिया गया है। उनसे जवाब मांगा गया है। जवाब आने के बाद अगला एक्शन लिया जाएगा। बैरिया स्थित ग्लैक्सी अस्पताल निबंधित था लेकिन, वहां पर एक यूनानी की डिग्री लेने वाले चिकित्सक अंग्रेजी पद्धति से इलाज करते मिले। उनसे भी जवाब तलब किया गया है। इधर अस्पताल के संचालक डा.जाहिद आरफी ने बताया कि उनके यहां एमबीबीएस से लेकर हर तरह के चिकित्सक इलाज करते हैं। सिविल सर्जन को सारी जानकारी दे दी गई है। जब उनके कार्यालय से पत्र आएगा तो उसका जवाब दे दिया जाएगा। अहियापुर स्थित नोवल अस्पताल में इलाज प्रोटोकॉल के अनुसार सुविधा नहीं थी। वहां पर भर्ती मरीज से तीन लाख शुल्क वसूलने की शिकायत मिली थी। अस्पताल में इलाज से संबंधित शुल्क का बोर्ड नहीं लगा हुआ था। उससे भी जवाब तलब किया गया है।

सीएस को अस्पताल प्रबंधक ने लगा दी क्लास

सीएस कार्यालय में एक मरीज के नाम पर अहियापुर का एक आदमी आया। मेडिको अस्पताल के नाम पर सादा पर्ची परदवा की मांग हुई। सीएस ने बताया कि सहायक औषधी नियंत्रक के यहां से उक्त अस्पताल संचालक ने दवा की मांग पहले से की है। जब मोबाइल पर अस्पताल के प्रबंधक से बात हुई तो उसने सीएस को कहा कि पर्ची पर लिखकर दिए इंजेक्शन दीजिए, बहस क्यों कर रहे हैं? जब सिविल सर्जन ने अपना तेवर दिखाते हुए परिचय दिया तो प्रबंधक ने कहा कि उनके यहां रेमिडेसिविर दवा नहीं दी जाती है। सीएस ने कहा कि जब मरीज को दवा नहीं देते तो सरकारी स्तर पर दवा खरीद कर क्या करते हैं? सीएस ने कहा कि यह कालाबाजारी का मामला है। अहियापुर थाने को तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने को कहा गया है। पुलिस के साथ वह खुद अपने स्तर से भी जांच करेंगे। सिविल सर्जन डाॅ.एसके चौधरी ने कहा कि नियमित छापेमारी अभियान चल रहा है। पांच अस्तपताल की जांच की गई है। एक पर प्राथमिकी, एक को बंद करने तथा तीन से जवाब तलब किया गया है। मरीजों से इलाज के नाम पर शोषण करने वाले पर सख्ती जारी रहेगी।  

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