मधुबनी में रेलवे के अभियान पर उनके ही अधिकारी लगा रहे विराम, नाला बना भी नहीं और शुरू हो गया अतिक्रमण

मधुबनी जिले के झंझारपुर जंक्शन के दोनों ओर बन रहे नाले पर अतिक्रमणकारी काबिज होने लगे हैं। रेलवे सुरक्षा बल इसका ठीकरा अभियंत्रण विभाग पर फोड़ रहा है। रेलवे की करीब दस करोड़ से अधिक की योजना बनी और नाला निर्माण प्रारंभ हुआ। अभी नला का काम अधूरा ही है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Mon, 28 Sep 2020 03:22 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 03:22 PM (IST)
मधुबनी में रेलवे के अभियान पर उनके ही अधिकारी लगा रहे विराम, नाला बना भी नहीं और शुरू हो गया अतिक्रमण
रेलवे के उत्तर एवं दक्षिण का क्षेत्र आमान परिवर्तन के कारण जलजमाव का क्षेत्र रहा है।

मधुबनी, [शैलेंद्र नाथ झा] । पूरे देश में रेल विभाग ने अतिक्रमण हटाओ अभियान चला रखा है। लेकिन, मधुबनी जिले का झंझारपुर जंक्शन रेलवे की इस मुहिम से आज भी अछूता है। आश्चर्य की बात यह है कि देश के अन्य शहरों में जहां अतिक्रमण हटाओ अभियान पूरी मुस्तैदी से चलाया जा रहा है, वहीं झंझारपुर जंक्शन के दोनों ओर बन रहे नाले पर अतिक्रमणकारी काबिज होने लगे हैं। रेलवे सुरक्षा बल इसका ठीकरा अभियंत्रण विभाग पर फोड़ रहा है, जबकि अभियंत्रण विभाग लाचार दिख रहा।

रेलवे कर रहा नाले का निर्माण

रेलवे के उत्तर एवं दक्षिण का क्षेत्र आमान परिवर्तन के कारण जलजमाव का क्षेत्र रहा है। इससे भारी समस्या लोगों को बीते चार वर्षों से हो रही है। स्थानीय सिविल प्रशासन मोटर पंप लगाकर किसी तरह पानी निकासी की व्यवस्था में लगा है। इस बीच रेलवे की करीब दस करोड़ से अधिक की योजना बनी और नाला निर्माण प्रारंभ हुआ। अभी नला का काम अधूरा ही है, लेकिन अतिक्रमण का सिलसिला शुरू हो गया है।

शुरू हुआ अतिक्रमण

अतिक्रमणकारियों की हिम्मत देखिए। रेलवे के बने नाले से सटाकर लोगों ने फूस, बांस की दुकानें बना ली हैं। कई दुकानदार तो रेलवे के नाले को बांस- बल्ले से घेरकर ही नाला के कवर को दुकान में तब्दील कर दिया है। यह तब हो रहा है जब रेलवे की बाह्य संपत्ति की संरक्षा का अधिकार आरपीएफ के पास है। यहां आरपीएफ का पोस्ट अभी नहीं है। आमान परिवर्तन से पूर्व यहां आउटपोस्ट था। आरपीएफ ने यहां अपने दो कांस्टेबल दे रखे हैं। लेकिन, अतिक्रमण हटाने में ये विफल साबित हो रहे। रेलवे के नाले को इस तरह अतिक्रमित किया गया कि उसके नीचले छेद को मिट्टी भरकर बंद कर दिया गया है। मिट्टी भरे जाने के कारण नाला निर्माण का उद्देश्य ही बेकार हो जाएगा। छेद छोड्ने का सीधा मतलब यह था कि सड़क पर लगनेवाला पानी इसी छेद के माध्यम से नाले में जाएगा और जलजमाव की समस्या से यहां मुक्ति मिल सकेगी।

अनजान बनते अधिकारी

आरपीएफ के दरभंगा इंस्पेक्टर ब्रजेश कुमार कहते हैं कि इसकी कोई जानकारी मेरे पास नहीं है। अभियंत्रण विभाग ने इसकी जानकारी नहीं दी है। जानकारी दी जाएगी तो कार्रवाई होगी। दूसरी ओर, ओपेन लाइन के आइओडब्ल्यू संजीव कुमार कहते हैं कि उन्होने सर्वे किया है। वे रेल के एईएन को इस बाबत लिख रहे हैं, ताकि सिविल प्रशासन को मजिस्ट्रेट नियुक्ति के लिए लिखा जा सके। हलांकि, सर्वे के बाबत पूछने पर वे यह नहींं बता सके कि कितने दुकानदारों ने नाले पर अतिक्रमण किया है। वे कहते हैं कि अतिक्रमण हटता है और फिर अतिक्रमित हो जाता है।

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