दरभंगा में शौचालय बंदोबस्ती में छूट देना सशक्त स्थायी समिति को पड़ा महंगा, गंवाना पड़ा पद

सूबे में पहली बार मेयर सहित नौ पार्षदों को घोटाले के कारण गंवानी पड़ी कुर्सी मामला शौचालय की बंदोबस्ती में 27 लाख की छूट देने का 14 पार्षदों ने तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त सहित विभाग को भेजा था पत्र कार्रवाई की मांग की।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 10:07 AM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 10:07 AM (IST)
दरभंगा में शौचालय बंदोबस्ती में छूट देना सशक्त स्थायी समिति को पड़ा महंगा, गंवाना पड़ा पद
किसी को यह यकीन नहीं हो रहा था कि इस तरह की कार्रवाई भी हो सकती है।

दरभंगा, जासं। सूबे में पहली बार बंदोबस्ती मामले में अनियमितता प्रमाणित होने पर एक साथ मेयर सहित नगर निगम के नौ पार्षदों को अपना पद गंवाना पड़ा। सरकार की इस कार्रवाई से जनप्रतिनिधियों में जहां एक ओर हड़कंप मचा हुआ है, वहीं दूसरी ओर निगम की राजनीति गरमा गई है। लोग दबी जुबान से तरह-तरह की बातें कर रहे है। कोई इसे गलत तो कोई इसे सही निर्णय बता रहा है। बुधवार को दोपहर के तीन बजे के करीब जब निगम कर्मियों को सरकार के इस कार्रवाई की जानकारी हुई तो कर्मी अपना कामकाज छोड़ एक-दूसरे की ओर देखने लगे। किसी को यह यकीन नहीं हो रहा था कि इस तरह की कार्रवाई भी हो सकती है। लेकिन, जब इस संबंध का पत्र लोगों के हाथ लगा, सबकी होश उड़ गई। खासकर मेयर गुट में खलबली मच गई। 

बता दें कि शहरी क्षेत्र के नौ शौचालयों की बंदोबस्ती के दौरान 27 लाख 19 हजार रुपयों की अनियमित छूट देने के मामले में मेयर बैजयंती देवी खेड़िया, डिप्टी मेयर बदरूज्जमां खां उर्फ बाबी खान सहित सशक्त स्थाई समिति के सदस्यों को पदमुक्त करने के बाद निगम की राजनीति तेज हो गई है। एक ओर जहां सरकार की इस कार्रवाई से विपक्षी खेमे में खुशी है, वहीं पदमुक्त हुए सदस्य कोर्ट जाने की तैयारी में जुट गए है। हालांकि, सरकार की कार्रवाई के बाद शहरी क्षेत्र के 48 वार्डों में से नौ वार्ड पार्षद विहीन हो गए है। इनमें मेयर, डिप्टी मेयर और सशक्त स्थायी समिति सदस्यों के वार्ड 7, 10, 16, 19, 24, 27, 35, 36 व 39 शामिल है। कार्रवाई के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर अब इन वार्डों की देखरेख का जिम्मा कौन संभालेगा। जानकार बताते हैं कि सशक्त स्थाई समिति का जिम्मा जिलाधिकारी के अधीन होगा। वे स्वयं या प्राधिकृत अधिकारियों को जिम्मा देकर इसका निर्वहन करेंगे। इधर, इसको लेकर निगम के कोई भी पदाधिकारी कुछ भी कहने से परहेज करते नजर आ रहे हैं।

यह है मामला

शौचालय घोटाला को लेकर नगर निगम के 14 पार्षदों ने पहली अगस्त 2018 को तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त को ज्ञापन सौंपा था। इसमें कहा गया था कि नियम को ताक पर रखकर महापौर और सशक्त स्थायी समिति के सदस्य और तत्कालीन नगर आयुक्त ने नगर विकास एवं आवास विभाग के पत्र, नगर पालिका के नियम को ताक पर रखकर निगम को 27 लाख के राजस्व का नुकसान पहुंचाया। इतना ही नहीं, राशि की बंदरबांट भी की। कहा गया कि तीन वर्ष पूर्व नौ शौचालयों की बंदोबस्ती तीन वर्ष के लिए की गई थी। राम शंकर सिंह की संस्था वेलफेयर ट्रस्ट ने वर्ष 2016-17, 17-18 व 2018-19 के लिए बंदोबस्ती गोरखधंधा कर 27 लाख रूपये छूट का अनाधिकार पत्र निकलवा लिया था। जब इससे भी मन नहीं भरा तो एक लाख 20 हजार रुपये और माफी के नाम पर पुन: निगम को पत्र दिया। जबकि, नगर विकास एवं आवास विभाग ने अपने पत्रांक 2798 दिनांक 22 मई 2018 के पत्र में छूट देना नियम के विपरित बताया था। कहा गया कि घोटालेबाजों ने विभाग की आंख में धूंल झोंककर पूर्व के पत्र को गायब कर नए सिरे से पत्राचार किया। इसके बाद विभाग ने सशक्त स्थायी समिति के नियम का हवाला देकर पत्रांक 775 दिनांक पहली फरवरी 2019 को जवाब दिया। घोटालेबाजों ने इस पत्र की गलत व्याख्या देकर स्थायी समिति की बैठक 28 मई 2019 को इसे सर्वसम्मति दिखा दिया। इतना ही नहीं, कुछ पार्षदों की आंख में धूंल झोंककर पुन: एजेंडा में इसे लेकर इसकी राशि माफ करवा ली गई।

नगर निगम का घोटाले से रहा गहरा रिश्ता

दरभंगा : शौचालय घोटाला के साथ ही नगर निगम में हुए कई घोटालों की चर्चा एक बार फिर से सुर्खियों में है। शौचालय घोटाला में कार्रवाई के बाद लोगों को यह उम्मीद जगी है कि पूर्व में हुए डीजल घोटाला की जांच में भी सरकारी स्तर पर जल्द कार्रवाई होगी। डीजल घोटाला में भी मेयर पर कई गंभीर आरोप है। इसकी जांच चल रही है। डीजल घोटला से पूर्व भी डस्टबीन घोटला को लेकर भी निगम सुर्खियों में रहा था। जिसमें तत्कालीन मेयर अजय पासवान सहित कई कर्मी पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। हालांकि, इससे वर्तमान मेयर सबक लेना भूल गए। नतीजा, प्राथमिकी की बात तो दूर पद ही गंवाना पड़ा। घोटला नगर निगम के लिए एक नासुर बन गया है। कई ऐसे घोटाले है, जिसपर से पर्दा हटना अभी बाकी है। सबसे बड़ा घोटाला निगम के भूखंड को लेकर है। जो, सरकारी स्तर पर घालमेल कर अतिक्रमणकारियों के हवाले कर दिया गया है।

संघर्ष की हुई जीत : मधुबाला सिन्हा

शौचालय घोटाला में सरकार की कार्रवाई के बाद कई पार्षदों ने इसपर हर्ष व्यक्त किया है। वार्ड 21 की पार्षद मधुबाला सिन्हा ने बताया कि घोटाले पर लंबी लड़ाई के बाद आया फैसला सुखदायी है। हालांकि, अभी भी डीजल घोटला पर निर्णय आना बाकी है। उम्मीद है कि जल्द ही इसपर सरकार का निर्णय आ जाएगा। इसपर भी जांच रिपोर्ट में मेयर दोषी साबित हो चुके है। इस लड़ाई में साथ देने वालों सबों की जीत है।

नहीं बख्शे जाएंगे नियमों की अवहेलना करने वाले : संजय सरावगी

शौचालय घोटाला पर सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते नगर विधायक संजय सरावगी ने कहा कि इस सरकार में नियम के साथ खिलवाड़ एवं अनियमितता करने वाले कोई भी बख्शे नहीं जाएंगे। कहा कि तत्कालीन समय में भी बोर्ड की बैठक में मैंने अपनी बात को रखते हुए साफगोई से कहा था कि यह जो कार्य हो रहा है वह नियम संगत नहीं है और इसके परिणाम विपरीत होंगे। आज वही बात हुई। नियम को ताक पर रखकर काम करने वाले लोग कानून के शिकंजे से बच नहीं सके। 

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