Bihar Crime: दरभंगा में कपड़े की गांठ में प्रेशर से फटी केमिकल से भरी शीशी

शीशी में अति प्रज्वलनशील केमिकल था जो प्रेशर के कारण फट गया। अधिकारी प्रारंभिक तौर इसे विस्फोटक में मिलाया जानेवाला केमिकल ही मान रहे हैं। हालांकि वास्तविक स्थिति फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट आने के बाद ही सामने आएगी ।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 03:13 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 03:13 PM (IST)
Bihar Crime: दरभंगा में कपड़े की गांठ में प्रेशर से फटी केमिकल से भरी शीशी
दरभंगा जंक्शन पर इसी शीशी में हुआ था विस्फोटजागरण आर्काइव। जागरण

दरभंगा, जासं। दरभंगा जंक्शन पर गुरुवार को हुए ब्लास्ट में आतंकी कनेक्शन की जांच शुरू है। रेल पुलिस और एटीएस की नजर सिकंदराबाद में है, जहां से कपड़े की गांठ पार्सल किए गए थे। आशंका जताई जा रही कि कपड़े की गांठ में जिस तरह से शीशी का कैप उड़ा और विस्फोट हुआ उसको लेकर अटकलें तेज हैं। बताया जा रहा है कि उस शीशी में अति प्रज्वलनशील केमिकल था जो प्रेशर के कारण फट गया। अधिकारी प्रारंभिक तौर इसे विस्फोटक में मिलाया जानेवाला केमिकल ही मान रहे हैं।

हालांकि वास्तविक स्थिति फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट आने के बाद ही सामने आएगी। लेकिन, इस तरह की घटनाओं जांच से जुड़े सूत्रों की मानें तो इस तरह के केमिकल का उपयोग इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आइइडी) बम बनाने में किया जाता है। आतंकी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने के लिए आइइडी बम में इस तरह के केमिकल का उपयोग करते हैं। ताकि, बलास्ट होने पर बड़े पैमाने पर आग की लपटें फैल जाएं। इस तरह के उपयोग वाले बम का इश्तेमाल प्रेशर सेनसिटिव बार्स या ट्रिप वायर सहित इफ्रारेड, मैग्नेटिक ट्रिगर्स अथवा रिमोट कंट्रोल से किया जाता है। लेकिन, देश के विभिन्न जगहों पर हुए धमाकों में आतंकियों ने प्राय: प्रेशर सेंसिटिव बार्स सिस्टम का ही उपयोग किया है। 2011 में जम्मू कश्मीर, 2013 में हैदराबाद, 2016 में पठानकोट धमाका इसका बड़ा उदाहरण है।

दरभंगा जंक्शन पर हुए ब्लास्ट इसी का एक कड़ी हो सकता है ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है। दरअसल, कपड़े की गांठ को जेसे ही कुली ने फर्श पटका, तेज धमाका के साथ गांठ में आग पकड़ लिया। यह विस्फोट प्रेशर के कारण हुआ यह जांच एजेंसी पूरी तरह से मान चुकी है। केमिकल के बोतल में प्रेशर नहीं पड़े इसलिए उसे कपड़े की गांठ के बीच में छिपाकर मंगाया गया था। यह संयोग था कि केमिकल के साथ अन्य किसी तरह का विस्फोटक पदार्थ नहीं था। नहीं तो बड़ी घटना हो सकती थी। धमाका के पावर को इससे अंदाजा लगाया सकता है कि प्रेशर पडऩे पर जब ब्लास्ट हुआ तो केमिकल के बोतल का ढक्कन कपड़े की गांठ के बीच से उड़ गया। काफी मशक्कत बाद भी रेल पुलिस अथवा सुरक्षा एजेंसी उस ढक्कन को नहीं खोज पाई है। बहरहाल, रेल पुलिस और एटीएस के साथ-साथ स्थानीय पुलिस की जांच पूरी होने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि इस केमिकल को छुपाकर क्यों मंगाया गया, यह वास्तविक में किस तरह का केमिकल है, इसे पार्सल करने वाले और प्राप्त करने वाले सुफियान कौन हैं।

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