मुजफ्फरपुर की आबादी के अनुपात में यदि उद्योग बढ़े तो मिला रोजगार

वर्ष 1951 में जिले की आबादी 31 लाख 77 हजार 181 थी। 2011 में यह बढ़कर 48 लाख एक हजार 62 हो गई थी। अभी अनुमानत जिले की आबादी तकरीबन 56 लाख 42 हजार है। आजादी के समय जिले में एकमात्र खादी ग्रामोद्योग बड़ा केंद्र था।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Wed, 25 Aug 2021 11:48 AM (IST) Updated:Wed, 25 Aug 2021 11:48 AM (IST)
मुजफ्फरपुर की आबादी के अनुपात में यदि उद्योग बढ़े तो मिला रोजगार
1951 में 31 लाख 77 हजार से आबादी बढ़कर इस समय तकरीबन 56 लाख 42 हजार हुई।

मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]।जिले की आबादी लगातार बढ़ रही है। उस हिसाब से रोजगार के साधन नहीं बढ़े हैं। आजादी के बाद खादी ग्रामोद्योग ही रोजगार देने का एकमात्र साधन था। तब इससे पांच हजार लोगों को रोजगार मिला था। इसके बाद उद्योग लगने शुरू हुए तो अभी तकरीबन नौ हजार लोगों को रोजगार मिला है। इसके अलावा गृह उद्योग से 10 हजार 625 लोगों को रोजगार मिला है। इस दौरान जिले की आबादी चार गुना से अधिक बढ़ी है। 

वर्ष 1951 में जिले की आबादी 31 लाख 77 हजार 181 थी। 2011 में यह बढ़कर 48 लाख एक हजार 62 हो गई थी। अभी अनुमानत: जिले की आबादी तकरीबन 56 लाख 42 हजार है। आजादी के समय जिले में रोजगार के साधन के रूप में एकमात्र खादी ग्रामोद्योग बड़ा केंद्र था। 1917 में बालूघाट में साढ़े तीन एकड़ में खादी ग्रामोद्योग संघ की शुरुआत हुई थी। 1936 से इसका विस्तार करते हुए 23 एकड़ में सर्वोदय ग्राम में नींव पड़ी। बिहार खादी ग्रामोद्योग संघ (मातृ संस्था) के अध्यक्ष अभय चौधरी व जिला खादी ग्रामोद्योग संघ के मंत्री बीरेंद्र कुमार ने बताया कि 1955 में सर्वोदय ग्राम में 36 यूनिट लगाई गईं। इसमें सूत कातने, कपड़ा बुनने, सरसों का तेल निकालने, ताड़ का गुड़ बनाने, साबुन, कॉपी, मिट्टी के बर्तन और फर्नीचर के निर्माण सहित अन्य इकाइयां थीं। तकरीबन पांच हजार लोगों को रोजगार मिला था। 1990 के बाद स्थिति खराब हुई। कई यूनिट बंद हो गईं। वर्ष 2006 से मुख्यमंत्री के सहयोग से एक बार फिर काम की रफ्तार बढ़ी है। सूत की कताई व बुनाई के अलावा सरसों तेल, साबुन, अगरबत्ती, शहद, सत्तू, बेसन और मिट्टी बर्तन बनाने का काम चल रहा है। इसमें अभी एक हजार लोगों को रोजगार मिला है। पहले जितने लोगों को रोजगार दिया गया था, उस स्थिति तक नहीं पहुंच सके हैं।

बियाडा (बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार) ने वर्ष 1974 में बेला में 300 एकड़ में औद्योगिक परिसर की शुरुआत की थी। यहां फिलहाल 300 छोटे-बड़े उद्योग चल रहे हैं। तकरीबन आठ हजार लोगों को रोजगार मिला है। इसके अलावा जिले में गृह उद्योग के रूप में लहठी बनाने से तकरीबन 10 हजार और लिज्जत पापड़ से 625 लोगों को रोजगार मिला है। इस दौरान जिले में तीन बड़े उद्योग बंद हुए, जिससे 3650 लोग बेरोजगार हुए। बियाडा के कार्यपालक अधिकारी संतोष कुमार सिन्हा ने कहा कि उद्योग के विस्तार की पहल चल रही है। मोतीपुर में 800 एकड़ में औद्योगिक परिसर बनाया गया है। यहां उद्योग लगाने के लिए लोग आगे आ रहे हैं। इससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा।

कहां कितने को मिला रोजगार

औद्योगिक परिसर में : 8000

खादी ग्रामोद्योग : 1000

लहठी निर्माण : 10,000

लिज्जत पापड़ गृह उद्योग : 625

कुल कितने को मिला रोजगार : 19625

------------

बंद पड़ी इकाइयां और बेरोजगार हुए लोग

मोतीपुर चीनी मिल : 2500

इंडियन ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड : 400

भारत वैगन : 750

--------- 

chat bot
आपका साथी