पश्चिम चंपारण में बार्डर पर रास्ता रोकती हैं पहाड़ी नदियां, दुर्गम इलाकों में गश्त की चुनौती
West Champaran News एक तरफ प्रकृति व जंगल की दुष्वारियां तो दूसरी तरफ नक्सलियों की सक्रिया बनी चुनौती पहाड़ी नदियों की वजह से गश्त करने में होती है परेशानीवीटीआर में एसएसबी की करीब डेढ़ दर्जन टुकड़ियां तैनात ।
पश्चिम चंपारण {विभोर कुमार}। बगहा में वीटीआर (वाल्मीकि टाइगर रिजर्व) के गोबर्द्धना वन क्षेत्र के बीओपी में तैनात एसएसबी जवान जान जोखिम में डालकर सरहद की सुरक्षा कर रहे हैं। करीब डेढ़ दशक से इस क्षेत्र में एसएसबी की 21, 44 और 65 वी वाहिनी नेपाल सीमा की रक्षा को तैनात हैं। जवान विपरीत परिस्थितियों के बीच खुद की सुरक्षा करते व सरहद पर हर गतिविधि पर नजर बनाए रखते हैं।
टाइगर रिजर्व में 32 किलोमीटर जंगल की सीमा नेपाल से जुड़ी है। वीटीआर के साथ नेपाल का चितवन राष्ट्रीय उद्यान भी जुड़ता है। पड़ोसी देश की सीमा क्षेत्र कि गतिविधियों को लेकर हमेशा सतर्क रहते है। एसएसबी के 21 और 65 वीं वाहिनी के डेढ़ दर्जन बीओपी इस क्षेत्र में है। जो शिकारियों और तस्करों को रोकने में वनकर्मियों के साथ कदमताल करते हैं। यहां तैनात जवान का जीवन कई चुनौतियों से भरा हैं। जंगल, नदियां और दुरुह रास्ते चुनौतियों से भरे हुए हैं। वीटीआर में समय समय पर नक्सलियों के सक्रिय होने की बात भी सामने आती रहती है। बीते साल जुलाई में हरनाटांड़ वन क्षेत्र में नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में आधा दर्जन नक्सलियों के मारे जाने के बाद इसकी तस्दीक हुई कि अभी भी नक्सली इलाके में सक्रिय हैं।
करीब 22 गांव हैं नक्सली प्रभावित
वीटीआर के बीचों बीच बसे दोन के 22 गांव भी नक्सली प्रभावित हैं। दूसरी तरफ इलाके के दुरूह रास्ते, दुर्गम पहाड़ियां और नेपाल से निकलीं 25 की संख्या में नदियां भी इसकी भौगोलिक दुष्वारियों को और बढ़ाती हैं। बरसात के चार महीने तो पहाड़ी नदियों के उफान के चलते इस इलाके में वाहनों का प्रवेश पूरी तरह से रुक जाता है। एकमात्र ट्रैक्टर से ही लोग आते-जाते सफल होते हैं। जंगल में गश्त के दौरान बाघ समेत वन्यजीवों से खुद को बचाना एक चुनौती है। बरसात में नदियों को पार कर ड्यूटी देनी पड़ती है। जहां विषम प्रकृति की मार झेलनी पड़ती है। नेपाल सीमा की सुरक्षा में पहाड़ की दुर्गम उचाईयां आड़े आती है। वहां कदम कदम पर फिसलने का खतरा रहता है।
प्रशिक्षित होते हैं जवान
एसएसबी 21 वीं वाहिनी के कार्यवाहक सेनानायक प्रकाश ने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान जवानों को हर परिस्थिति से निपटने के लिए आवश्यक जानकारी दी जाती है। जंगल में चुनौतियां कम नहीं हैं। लेकिन, जवान सरहद की सुरक्षा को संकल्पित हैं। सेना की टुकड़ी में भी प्रशिक्षकों की तैनाती होती है जो समय समय पर जवानों का हौसला बढ़ाते हैं।