बेतिया नप सभापति गरिमा देवी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को हाइकोर्ट ने किया रद

हाईकोर्ट का ऑर्डर जारी होने के बाद सिकारिया ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है परन्तु पराजित नहीं। करीब 11 माह की लड़ाई के बाद मिली न्याय की जीत वास्तव में नगर निगम क्षेत्र के समस्त जनता जनार्दन की जीत है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 09:43 AM (IST) Updated:Sat, 27 Nov 2021 09:43 AM (IST)
बेतिया नप सभापति गरिमा देवी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को हाइकोर्ट ने किया रद
कोर्ट का निर्णय आने के बाद सभापति भावुक हो गईं। फोटो- जागरण

पश्चिम चंपारण,जासं। आठ माह से अधिक विचारण के बाद नगर परिषद (अब नगर निगम) की सभापति गरिमा देवी सिकारिया पर अविश्वास लगाने, विशेष बैठक बुलाने और अविश्वास को पारित करने की पूरी प्रक्रिया को हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाले बेंच ने अवैधानिक बताकर रद कर दिया और उन्हें पद पर पुनः बहाल कर दिया है। हालांकि प्रोन्नत नगर निकायों के बोर्ड को सरकार द्वारा भंग कर देने के एक अन्य मुकदमे का फैसला आने के बाद ही गरिमा देवी सिकारिया पुनः कुर्सी सम्भाल पाएंगीं। हाईकोर्ट का ऑर्डर जारी होने के बाद सिकारिया ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है परन्तु पराजित नहीं। करीब 11 माह की लड़ाई के बाद मिली न्याय की जीत वास्तव में नगर निगम क्षेत्र के समस्त जनता जनार्दन की जीत है। उन्होंने बताया कि वे एक विशेष रोडमैप और दूरदर्शिता पूर्वक बीते चार साल से नगर निगम क्षेत्र के सर्वांगीण विकास में अपने तन, मन, धन से लगी रही हैं। इसको लेकर मिले जनता जनार्दन के अपार स्नेह और सरकारी राशि के लूट खसोट पर काफी हद तक रोक से नाराज लोगों ने विरोध करने में नियम कानून व सामाजिक मर्यादा की सीमाएं लांघ दी। हाईकोर्ट के इस फैसले से मुझे अपनी सेवा जारी रखने का रास्ता फिर साफ हो गया है। मौके पर पूर्व सभापति जनक साह, वार्ड 8 मनोज कुमार, वार्ड 10 श्रीमती देवी, वार्ड 15 कैसर जहाँ, वार्ड 16 शकीला खातून, वार्ड 17 अरुण कुमार, वार्ड 19 जरीना सिद्दीकी, वार्ड 21 मधु देवी, वार्ड 22 शहनाज खातून, वार्ड 26 दीपेश सिंह, वार्ड 27 रीता रवि इत्यादि मौजूद रहे।

भावुक हो गयीं गरिमा

उन्होंने अपनी पीड़ा साझा करते हुए बताया कि नगर में वार्ड 28 के पार्षद मोहम्मद कयूम अंसारी, वार्ड 7 के संजय उर्फ छोटे सिंह, वार्ड 14 की मुन्नी खातून, वार्ड 3 के सुजीत कुमार मंटू, वार्ड 30 के जवाहिर प्रसाद, वार्ड 34 की रजिया बेगम, वार्ड 33 की कृष्णा देवी, वार्ड 39 के रमाकांत महतो, वार्ड 12 की नाजिया प्रवीण, वार्ड 1 की हसन तारा खातून, वार्ड 31 की सविता देवी, वार्ड 4 के अश्विनी प्रसाद, वार्ड 18 सुनैना देवी और वार्ड 36 की रूही सिंह आदि ने बीते 16 दिसंबर को अविश्वास तब लाया गया जब मैं नगर के सर्वांगीण विकास को ले उपमुख्यमंत्री सह नगर विकास मंत्री तारकिशोर प्रसाद के स्तर से आयोजित सरकारी बैठक में शामिल होने के लिए पटना में थी। इसके बाद उपसभापति एवं विरोधी पार्षदों के द्वारा अवैध और अनाधिकार पूर्वक अविश्वास पर कथित बहस और मतदान के लिये 28 दिसंबर 2020 की तिथि निर्धारित कर दी गई। इस षड्यंत्र के भी नाकाम हो जाने और पार्षदगण द्वारा मेरे विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव खारिज कर दिए जाने के बाद और मेरे बेतिया से बाहर होने पर किया। मेरे पक्ष में पड़े मत को मेरे विरुद्ध गिनवा कर मुझे जबरन पराजित घोषित कर दिया। इसका विरोध करते हुए मतपत्रों की दुबारा गिनती की मांग कर रहीं दर्जनभर महिला पार्षदगण के सामने और नगर आयुक्त के कार्यालय कक्ष में ही कुछेक पार्षदों ने अर्द्ध नग्न प्रदर्शन किया।

आनन- फानन में बैलेट को किया सील

इसके अवैधानिक प्रक्रिया के विरोध में डीएम के पास पहुंच कर पार्षदगण के रिकाउंटिंग की गुहार लगाई। तब तक साजिश कर बैलेट्स को आनन फानन में सील करवा दिया गया। इसका साक्ष्य मेरे द्वारा प्रस्तुत करने पर हाईकोर्ट ने रिकाउंटिंग का आदेश पारित कर दिया। लेकिन न्याय की जीत के विरोधी वार्ड 4 के पार्षद अश्विनी प्रसाद ने रिकाउंटिंग के विरोध में डबल बेंच के समक्ष पुनर्विचार याचिका दायर कर दी। फिर वार्ड 7 के पार्षद संजय उर्फ छोटे सिंह ने भी नये सभापति का चुनाव कराने की याचिका दायर कर दी। जिसपर कोर्ट ने तत्काल सुनवाई पर रोक लगा दिया। वही अश्वनी प्रसाद के द्वारा दायर याचिका पर विचारण प्रारंभ करने के साथ ही मेरे अधिवक्ता की अपील पर सरकारी राशि की लूट खसोट की आशंका को लेकर चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने कार्यकारी सभापति बने कयूम अंसारी के वित्तीय अधिकारों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी।

नहीं दे पाए सबूत

हाईकोर्ट में महीनों चले विचारण के बाद भी विरोधी पार्षद मेरे विरुद्ध एक भी सबूत पेश नहीं कर पाए। अब वार्ड 4 के पार्षद अश्विनी कुमार की याचिका को निष्पादित करने के साथ न्यायालय ने मेरे विरूद्ध लाये गये अविश्वास के प्रस्ताव ग़ैरवैधानिक करार कर दिया है। अंततः न्याय की जीत पर आज बेहद मुझे खुशी के साथ मेरे मन मे पीड़ा भी कम नहीं है।

राशि बंदरबांट की लगाई आरोप

नगर निगम के केवल दो ही सैरात (बस स्टैंड और माल बाहकों से टैक्स वसूली) की ही बंदोबस्ती होने दी गयी हैं। मीना बाजार, शीतला माई मार्केट, छोटा रमना कौड़ी वसूली और सोवाबाबू चौक बाइक स्टैंड समेत लाखों की वसूली वाले करीब डेढ़ दर्जन सैरातों की विभागीय व सरकारी वसूली के नाम पर बंदरबांट हो रही हैं। बीते एक साल में साफ सफाई का भी बंटाधार हो गया है। जिसके कारण सौ साल से भी अधिक पुराने बेतिया शहर के इतिहास में पहली बार इस बार की बरसात में भारी जलजमाव के कारण बोट चलने की नौबत आयी। दर्जनों मुहल्ले के लाखों की आबादी को कोरोना त्रासदी जैसे जानलेवा संकट काल में गंदगी, सड़ांध और अनेकों बार का जल जमाव के साथ नारकीय जीवन झेलने को मजबूर होना पड़ा।  

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