बिना लाइट व उपकरण के स्वास्थ्य विभाग दिखा आंखों के आपरेशन का सब्जबाग, मोतिहारी का मामला
पूर्वी चंपारण में सदर अस्पताल परिसर स्थित आंख अस्पताल का हाल बेहाल आई केंद्र का मुआयना किया गया तो चारों तरफ अव्यवस्था का नजारा था। जुगाड़ तकनीक के सहारे मरीज के आंखों की जांच की जा रही थी।
मोतिहारी, जासं। मुजफ्फरपुर कांड के बाद हरकत में आया स्वास्थ्य महकमा अब दिन में भी लोगो को तारें दिखाने की जुग्गत में लगा है। महकमे के मुखिया सिविल सर्जन डॉ अंजनी कुमार की माने तो अब यहां जल्द ही सदर अस्पताल में मोतियाबिंद के मरीजो का ऑपेरशन शुरू किया जाएगा। लेकिन, धरातल पर जो स्थिति है उससे नहीं लगता कि आने वाले दिनों में फिलहाल यह सुविधा मरीजों को मिले। जब सदर अस्पताल स्थित आई केंद्र का मुआयना किया गया तो चारों तरफ अव्यवस्था का नजारा था। जुगाड़ तकनीक के सहारे किसी तरह मरीज के आंखों की जांच की जा रही थी। वहां जांच कराने पहुंचे लोगो ने पूछने पर बताया कि मजबूरी में यहां आना पड़ा है। क्योंकि सरकारी कार्य व नौकरी में यही से जारी की गई रिपोर्ट ही मान्य होती है।
सिर्फ जारी होती रिपोर्ट
लाखों की लागत से बने आंख अस्पताल में शायद ही कभी मरीजों का ऑपेरशन किया गया है। हद तो यह है कि अस्पताल की व्यवस्था से खिन्न लोग भी यहां इलाज के लिए कम ही पहुंचते हैं। यहां आने वाले अधिकतर वैसे लोग होते हैं जिन्हें ड्राइविंग लाइसेंस अथवा अन्य किसी सरकारी कार्य या नौकरी में रिपोर्ट देनी होती है। यहां कहने को तो तीन नेत्र सर्जन पदस्थापित हैं लेकिन आमजनों को इसका थोड़ा भी फायदा मिलता नही दिख रहा है। अस्पताल में महज एक ही माइक्रोस्कोप उपलब्ध है, वह भी पिछले कई महीनों से खराब पड़ी है। ऐसे में किसी तरह से जुगाड़ तकनीक का इस्तेमाल कर चिकित्सक यहां जांच कराने के लिए आने वाले लोगो की जांच करते हैं। ऑपेरशन बेड जरूर है लेकिन आपरेशन करने में काम आने वाले एक भी उपकरण उपलब्ध नहीं।
बिजली गुम होते ही काम हो जाता ठप
एक तरफ यहां मोतियाबिंद की आपरेशन शुरू करने की बात कही जा रही है। वहीं दूसरी तरफ आलम यह है कि बिजली गुम होते ही यहां दिन में भी जांच कार्य बाधित हो जाता है। न तो यहां जेनेरेटर की व्यवस्था है न ही किसी अन्य तरह की वैकल्पिक व्यवस्था। सूत्र बताते हैं कि आंख अस्पताल में प्रमाणपत्र जारी करने के नाम पर जमकर गड़बड़ी भी की जाती है।
- जो कमियां हैं उन्हें दुरुस्त की जाएगी। संसाधन भी उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि लोगों को निजी अस्पतालों का चक्कर नहीं लगाना पड़े। -डॉ अंजनी कुमार सिविल सर्जन, पूर्वी चंपारण