Muzaffarpur News: स्कूल व आंगनबाड़ी आनेवाले बच्चों का बनेगा स्वास्थ्य कार्ड, बीमारियों की होगी जानकारी

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य जांच सर्जरी वाले बच्चों का भी होगा इलाज। आंगनबाड़ी सेंटर व स्कूलों में बच्चों की की जा रही जांच। जिन बच्चों को सर्दी खासी या बुखार जैसी छोटी परेशानी होगी तो वह इन द स्पॉट दूर किया जाएगा।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Mon, 15 Nov 2021 10:27 AM (IST) Updated:Mon, 15 Nov 2021 10:27 AM (IST)
Muzaffarpur News: स्कूल व आंगनबाड़ी आनेवाले बच्चों का बनेगा स्वास्थ्य कार्ड, बीमारियों की होगी जानकारी
बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत आंगनबाड़ी सेंटर व स्कूलों में बच्चों की जांच की जा रही है।

मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। कोरोना को लेकर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्कूलों व आंगनवाड़ी सेंटर के बच्चों की जांच थम गई थी। लेकिन एक बार फिर यह जांच चल रही है। जांच के दौरान जिन बच्चों की सर्जरी की जरूरत होगी उसे सरकार की ओर से चिन्हित निजी व बड़े अस्पतालों में सर्जरी कराई जाएगी। बच्चों का बेहतर इलाज हो सके इसके लिए सिविल सर्जन ने जांच टीम में शामिल चिकित्सकों से एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट मांगी है। सिविल सर्जन डॉ विनय कुमार शर्मा ने बताया कि बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत आंगनबाड़ी सेंटर व स्कूलों में बच्चों की जांच की जा रही है।जिस बच्चों को वहां पर सर्दी खासी बुखार जैसी छोटी परेशानी होती है तो वह इन द स्पॉट दूर कर दिया जाता है। अगर जरूरत होती है तो उसे सदर अस्पताल में इलाज के लिए रेफर किया जाता है।लेकिन वैसे कुछ बच्चे हैं जिन्हें सर्जरी की जरूरत है उनको बेहतर इलाज मिले। बच्चों के बेहतर इलाज करने वाले निजी व बड़े अस्पतालों में उनकी सर्जरी के लिए भेजा जाएगा। जिन बच्चों की स्वास्थ जांच की जायेगी, उसकी रिपोर्ट अब पोर्टल पर डाले जायेंगे। इसके अलावा हर बच्चा का बनने वाला स्वास्थ्य कार्ड पर बीमारी को भी अंकित की जायेगी।

6 साल के 18 साल के बच्चों की जांच

सिविल सर्जन ने बताया कि जिले में 6 साल तक के बच्चे को आंगनबाड़ी व 6 से 18 साल के बच्चे की सरकारी स्कूल में जांच हो रही है। इसके लिए जिले में 25 टीमों को लगाया गया है। एक टीम में दो आयुष चिकित्सक, एक एएनएम व एक फार्मासिस्ट शामिल हैं। यह टीम प्रतिदिन बच्चों की स्वास्थ्य जांच करती हैं। स्वास्थ्य जांच टीम की ओर से जांच के बाद सर्दी, खांसी, बुखार व अन्य छोटी बीमारी के लिए तत्काल पीएचसी में इलाज कराया जा रहा है। उसके बाद रेफर बच्चों को सदर अस्पताल भेजा जा रहा है। लेकिन, सर्जिकल चिकित्सा नहीं होने से बच्चे परेशान थे। सभी टीमों से रेफर बच्चों की सूची का ताजा अपडेट मांगा गया है। उसके आधार पर सूची बनाकर चयनित अस्पताल में बच्चों को भेजा जायेगा। सभी चयनित अस्पताल में एक नोडल पदाधिकारी होंगे। जिला समन्वयक नोडल पदाधिकारी के संपर्क में रहेंगे।

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