समय के बदलाव के साथ मजबूती से चला रहे कारोबार

कोरोना से उपजे संकट ने एक तरह से नए युग की शुरुआत की है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 03 Jul 2020 01:46 AM (IST) Updated:Fri, 03 Jul 2020 01:46 AM (IST)
समय के बदलाव के साथ मजबूती से चला रहे कारोबार
समय के बदलाव के साथ मजबूती से चला रहे कारोबार

मुजफ्फरपुर : कोरोना से उपजे संकट ने एक तरह से नए युग की शुरुआत की है। इस बदलाव की आंधी में कितने लोग अर्श से फर्श पर आ गए। लेकिन कुछ ऐसे है जिसने अपनी हिम्मत नहीं हारी। समय के बदलाव के साथ खुद को बदलते हुए मजबूती से अपना कारोबार चला रहे। मजदूरों को रोजगार दिया। इस संकट में अपनी यूनिट को चालू कर दूसरे के लिए मिसाल प्रस्तुत कर रहे हैं लघु उद्योग भारती के निवर्तमान अध्यक्ष श्यामसुंदर भीमसेरिया।

उद्यमी भीमसेरिया बताते हैं कि जब कोरोना की बात सामने आई तो उनके मन में भय था। आखिर क्या होगा। कारोबार के साथ इसमें लगे मजदूरों का क्या होगा। लेकिन लॉकडाउन के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन व उसके बाद सरकार की गाइडलाइन आने के बाद हिम्मत को बल मिला। उसके बाद फैक्ट्री में उत्पादन को नहीं रोका।

पहले से सबकुछ बदला-बदला :

बेला औद्योगिक परिसर में भीमसेरिया एग्रो प्राइवेट लिमिटेड की एक यूनिट है, जहां धान से चावल व उससे जुड़े उतपाद तैयार हो रहे हैं।

पहले कोई मजदूर आता था तो उसको सीधे प्रवेश था। लेकिन अब सबके शरीर के तापमान की जांच के साथ सैनिटाइजर से हाथों की सफाई कराई जाती है।

आई समस्या, किया गया निदान : मुजफ्फरपुर सहित पूरे बिहार के अलग-अलग जिले के उद्यमी भी उनसे संपर्क में रहे। सभी के मन में उत्साह भरने के साथ जरूरी सहयोग किया। यहां भी लॉकडाउन में मजदूरों का पास व दूसरी जो समस्या आई। उसको जिलाधिकारी व बियाडा के अधिकारियों से समन्वय बनाकर दूर कराते रहे। यह सिलसिला अभी भी जारी है।

इधर, एमएसएमई को लेकर सरकार की ओर से नई घोषणा हुई है। लेकिन अगर बैंक समय पर सही तरीके से सहयोग करें तो बहुत बड़ा परिवर्तन दिखेगा। बड़ी संख्या में प्रवासियों को अपने जिले में रोजगार मिलेगा।

उच्च शिक्षा के बाद नौकरी से रोका : उद्यमी भीमसेरिया बताते हैं कि दो पुत्र उनके काम में सहयोग करते हैं। बड़े पुत्र शशांक शेखर ने एमबीए की पढ़ाई की है तो छोटे पुत्र शशिकांत ने बीटेक की। बहु दीपिका ने भी एमसीए की पढ़ाई की है। उच्च शिक्षा के बाद भी सरकारी नौकरी करने के बदले ये सभी सरकारी नौकरी के बजाए उद्योग में सहयोग कर रहे हैं। अभी उनके यहां 150 से 200 मजदूर नियमित काम करते हैं।

नई यूनिट की पहल तेज : उद्यमी भीमसेरिया ने बताया कि इधर कोरोना के बाद बड़ी संख्या में प्रवासी आ रहे हैं। उनको यहां पर काम मिले इस संकल्प के साथ एक और यूनिट लगाने की प्रक्रिया तेज है। बहुत जल्द यूनिट काम करेगा। उसमें भी 150 मजदूरों को रोजगार मिलेगा।

इस तरह चल रहा उत्पादन :

- उत्पादन यूनिट से प्रति घंटा 14 टन धान से चावल तैयार करने की क्षमता, औसतन प्रतिदिन 150 टन तैयार होता चावल

- पांच किलो, 10 किलो, 20 किलो, 25 किलो बैग में भरा जाता चावल।

- बिहार के साथ असम, दिल्ली, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश तक होती चावल व उससे तैयार अन्य उत्पाद की आपूर्ति।

- उत्पादन में 150 से 200 मजदूर प्रतिदिन कर रहे काम।

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