कार्यालयों का चक्कर काटते-काटते स्वर्ग सिधार गईं बगहा की गुलबानो नेशा
भूमि संबंधित आंकड़े ऑनलाइन अपडेट करने के दौरान ऑपरेटर ने कर दी थी गलती। सुधार के लिए कार्यालय का चक्कर काटती रह गई गुलबानो। सोता रहा सिस्टम। सिस्टम की नाकामी से थी परेशान। कई महीनों तक लगाती रही कार्यालयों का चक्कर।
बगहा (पश्चिम चंपारण), जासं। सिस्टम की नाकामी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता कि एक आवेदक अपने भूमि अभिलेखों के ऑनलाइन सुधार के लिए महीनों तक कार्यालयों का चक्कर काटती रही। कभी किसी ने उसकी बात सुनी ही नहीं तो कभी सिर्फ आश्वासन मिला। काम नहीं होना था सो न हो सका। आखिरकार आवेदक ने दम तोड़ दिया। मामला बगहा एक प्रखंड का है। अल्पसंख्यक बस्ती कोल्हुआ चौतरवा की पत्नी नियामक अली की पत्नी गुलबानो नेशा अपनी जमीन को मस्जिद को दान देना चाहती थी। लेकिन, जून में आवेदन देने के बावजूद अबतक प्रशासनिक स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हाे सकी। नौ सितंबर को उसकी मौत हो गई। बस्ती के लोग भी अंचल कार्यालय और राजस्व कर्मचारी से मिलकर आवेदन को निष्पादित करने के लिए मिन्नत आरजू करते रह गए। बावजूद इसके ऑनलाइन अभिलेख में कोई सुधार नहीं किया गया। बस्ती के लोग सहित उनके स्वजनों का राजस्व विभाग की लापरवाही को लेकर आक्रोश चरम पर है।
गलती विभाग की सजा भोग रहे लोग
सरकार ने सभी भूखंडों का आंकड़ा ऑनलाइन करने का आदेश दिया था। आदेश के आलोक में संबंधित सीओ ने स्थानीय ऑपरेटरों के माध्यम से जमाबंदी, खाता, खेसरा, रकबा, कंप्यूटर पर लोड करवाया था। स्थानीय ऑपरेटरों की गलती यह रही कि जानकारी के अभाव और प्रति जमाबंदी इंट्री पर निर्धारित राशि के लिए जल्दबाजी में डाटा अपडेट किया गया। इस दौरान तमाम त्रुटियां इंट्री में शामिल हो गई हैं। पूर्व के दस्तावेज रसीद लेकर भूमि धारक परिमार्जन करा कर अंचल का चक्कर काट रहे हैं। निर्धारित समय के बाद भी सुधार नहीं किया जा रहा है। ऐसे में भूमि धारक परेशान हैं। अब आक्रोश भी उनका बढ़ता जा रहा है। लोगों ने मुख्यमंत्री से इस मामले में संज्ञान लेकर पहल करने की मांग की है। बगहा एक के सीओ अभिषेक आनंद ने बताया कि मेरे कार्यकाल के पूर्व का मामला है। चुनाव में व्यस्तता थी। परिमार्जन सहित लंबित कार्यों को पूरा किया जा रहा है।