खाने में आयोडीन के महत्व के प्रति मरीजों को किया जाएगा जागरूक

जिले में आयोडीन-युक्त नमक के सेवन का मानव जीवन में महत्व विषय पर जनमानस को जागरूक करने के लिए सदर अस्पताल अनुमंडलीय अस्पताल रेफरल अस्पताल एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर 21 से 27 अक्टूबर तक ग्लोबल आयोडीन अल्पता बचाव सप्ताह का आयोजन किया जाना है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 09:13 AM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 09:34 AM (IST)
खाने में आयोडीन के महत्व के प्रति मरीजों को किया जाएगा जागरूक
राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक ने जारी किया पत्र। फोटो- जागरण

समस्तीपुर, जासं। खाने में आयोडीन के महत्व और उपयोगिता की जानकारी देने को लेकर ग्लोबल आयोडीन अल्पता बचाव सप्ताह आज से शुरू होगी। ओपीडी में आने वाले सभी मरीजों खास कर गर्भवती महिलाओं को आयोडीन के बारे में जागरूक किया जाएगा। राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने सीएस को पत्र लिखकर निर्देश दिया है। जिले में आयोडीन-युक्त नमक के सेवन का मानव जीवन में महत्व विषय पर जनमानस को जागरूक करने के लिए सदर अस्पताल, अनुमंडलीय अस्पताल, रेफरल अस्पताल एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर 21 से 27 अक्टूबर तक ग्लोबल आयोडीन अल्पता बचाव सप्ताह का आयोजन किया जाना है। साथ ही कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते स्वास्थ्य विभाग एवं आपदा प्रबंधन विभाग के निदेशों का पालन करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

आयोडीन से रखें गर्भ में पल रहे शिशु का ख्याल

आयोडीन की संतुलित मात्रा हमारे भोजन में होना बहुत जरूरी है। जन्म के बाद हमारे शारीरिक व मानसिक विकास में आयोडीन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसकी कमी से कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए गर्भावस्था के दौरान ही बच्चे के विकास के लिए आयोडीन का पर्याप्त सेवन बहुत जरूरी है। गर्भवती महिलाओं में आयोडीन की कमी से गर्भपात, नवजात शिशुओं का वजन कम होना, शिशु का मृत पैदा होना आदि समस्याएं आती हैं।

आहार का प्रमुख पोषक तत्व है आयोडीन

सिविल सर्जन डॉ. सत्येंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि आयोडीन मानव शरीर के लिए बहुत जरूरी है। इसकी कमी से हार्मोन का उत्पादन भी बंद हो सकता है। इससे शरीर के सभी अंग अव्यवस्थित हो सकते हैं। इसकी कमी से होने वाले रोगों में प्रमुख रूप से गलगंड होता है। इसमें गले के नीचे ग्रंथी में सूजन हो जाती है। गर्भवती महिलाओं में इसकी कमी से गर्भपात भी हो सकता है। इसके अलावा बहरापन, बौनाकद, अविकसित मस्तिष्क और सीखने और समझने की क्षमता में कमी की समस्या भी होती है। अधिक मात्रा में आयोडीन वाले आहार हैं मूली, गाजर, टमाटर, पालक, आलू, केला, दूध और समुद्र से पाए जाने वाले आहार।

शिशु के दिमाग के विकास में आयोडीन की भूमिका महत्वपूर्ण

शिशु रोग विशेषज्ञ डा. नागमणि राज ने बताया कि आयोडीन शिशु के दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मां में आयोडीन की कमी से पैदा होने वाले बच्चे का शारीरिक विकास भी पूरा नहीं हो पाता। भ्रूण के समुचित विकास के लिए आयोडीन एक जरूरी पोषक तत्व है। यह शिशु के दिमाग के विकास में अहम भूमिका अदा करता है। शरीर के तापमान को नियंत्रित करने का काम भी आयोडीन करता है। कोविड काल के चलते हमें यह जानना बड़ा जरूरी है कि अन्य विकारों के अलावा शरीर में आयोडीन की कमी हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करती है। 

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