गरीबों की तारणहार बनीं पश्‍चिम चंपारण की गरिमा, मुफ्त में खिला रहीं भोजन

बेतिया नगर निगम की निवर्तमान सभापति गरिमा देवी सिकारिया की ओर से संचालित शिविर में गरीबों और को निशुल्‍क भोजन कराया जा रहा है। यहां प्रतिदिन 300 लोगों का भोजन बनता है। दोपहर एक से 330 बजे तक आने वाले लोगों को भोजन परोसा जाता है।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 10:53 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 10:53 PM (IST)
गरीबों की तारणहार बनीं पश्‍चिम चंपारण की गरिमा, मुफ्त में खिला रहीं भोजन
गरीब व असहायों को भोजन परोसती निवर्तमान सभापति गरिमा देवी सिकारिया। जागरण

पश्‍चिम चंपारण, जासं। बेतिया शहर के प्रसिद्ध छड़ सीमेंट व्यवसायी रोहित सिकारिया की धर्मपत्नी नगर निगम की निवर्तमान सभापति गरिमा देवी सिकारिया गरीबों के लिए तारणहार बनी है। गरिमा सिकारिया की ओर से असहायों, गरीबों और निशक्ततों को प्रतिदिन भोजन कराया जा रहा है। नगर के लालबाजार स्थित उनके आवास के समीप निशुल्क भोजन शिविर चलाया जा रहा है, जहां प्रतिदिन गरीबों को मुफ्त में भोजन परोसा जाता है। शिविर में कोविड-19 गाइडलाइन का पूरी तरह पालन होता है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों लोग दोनों समय भोजन करते हैं। शिविर में जो भी आता है भोजन करने के बाद ही वापस जाता है। भोजन के लिए किसी प्रकार का कोई बंधन नहीं है।

एसडीएम ने किया था शिविर का उद्घाटन

लालबाजार के हजारीमल धर्मशाला के समीप बाबा पातालेश्वर मंदिर परिसर से इसका संचालन गरिमा देवी सिकारिया के निजी कोष से लगातार दूसरे साल किया जा रहा है। विगत 9 मई को सदर एसडीएम विद्यानाथ पासवान ने शिविर का उद्घाटन किया था। लॉकडाउन के दौरान गरीबों को दोनों समय भोजन दिया जाता था। लेकिन अब एक समय भोजन दिया जा रहा है। प्रतिदिन 300 लोगों का भोजन बनता है। श्रीमती सिकारिया समय-समय पर शिविर का निरीक्षण करती है। वहां पकने वाली भोजन की गुणवत्ता की खुद जांच करती है। इस दौरान अपने हाथ से गरीबों को थाली भी परोसती है। इस काम के लिए उसने कुछ लोगों को भी रखा है, जो खाना बनाने और परोसने का काम करते हैं। शिविर की देखरेख कुछ खास व्यक्तियों की जिम्मे है। इस पर आने वाला सारा खर्च खुद वहन करती है।

रिक्शा, ठेला, ऑटो चालक भी करते हैं भोजन

इस शिविर में भोजन करने के लिए कोई बंधन नहीं है। दोपहर एक से 3:30 बजे तक आने वाले लोगों को भोजन परोसा जाता है। असहाय और गरीबों के अलावा ग्रामीण इलाकों से आने वाले रिक्शा, ठेला, टांगा,ऑटो चालक भोजन करते हैं। ये खाना खाने के नियत समय पर आ जाते हैं। शिविर में साठ फीसद लोग नियमित भोजन करने वाले हैं।

पिछले वर्ष लॉकडाउन में पांच माह तक चला था शिविर

पिछले वर्ष के लॉकडाउन में भी गरिमा देवी शिकारिया ने निजी कोष से शिविर का संचालन किया था। निशुल्क भोजन शिविर में 5 माह तक गरीबों को मुफ्त में भोजन दिया गया था। सिकारिया के इस पहल के लोगों ने जमकर तारीफ की थी। श्रीमती सिकारिया ने बताया कि कोरोना त्रासदी की इस दौर में भूखे को भोजन कराना पुण्य का काम है। इस काम में उसके पूरे परिवार के लोग सहयोग कर रहे हैं।

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