Ganga Dussehra 2021: गंगा दशहरा आज, घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर करें स्नान, जानें स्नान का शुभमुहूर्त

Ganga Dussehra 2021 हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। जिले में यह रविवार को मनाया जाएगा। 1202 बजे दोपहर तक गंगा स्नान का शुभमुहूर्त। कोरोना काल में घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर करें स्नान।

By Murari KumarEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 09:40 AM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 09:40 AM (IST)
Ganga Dussehra 2021: गंगा दशहरा आज, घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर करें स्नान, जानें स्नान का शुभमुहूर्त
गंगा दशहरा आज, गंगा स्नान से मिलता पुण्यफल।

मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा मनाया जाता है। जिले में यह रविवार को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव और विष्णु के साथ ही मां गंगा की पूजा की जाती है। दान-पुण्य करने से उसका कई गुना फल बढ़ जाता है और सभी तरह के पाप धुल जाते हैं।

पुराणों के मुताबिक गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करना चाहिए। अगर गंगा नदी नहीं है तो आप किसी भी नदी में स्नान कर सकते हैं। कोरोना के संक्रमण के खतरे को देखते हुए घर में नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करने से भी गंगा स्नान के समान ही फल की प्राप्ति होगी। आध्यात्मिक गुरु पं.कमलापति त्रिपाठी बताते हैं कि दशमी तिथि का आरंभ 19 जून शनिवार को दोपहर 02 बजकर 09 मिनट पर होगा। साथ ही इसका समापन 20 जून रविवार को दोपहर 12 बजकर 02 मिनट पर होगा। कहा कि मां गंगा का स्मरण करते हुए घर में ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूजन करें। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। पूजा के बाद घर में भी गंगाजल का छिड़काव करने से सुख-समृद्धि बनी रहती है।

मां गंगा के अवतरण की पौराणिक कथा

पं.कमलापति त्रिपाठी बताते हैं कि धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक ऋषि भगीरथ ने अपने पूर्वजों को जन्म-मरण (जीवन चक्र) के बंधन से मुक्ति दिलाने के लिए मां गंगा की कड़ी तपस्या की। इससे प्रसन्न होकर मां गंगा ने धरती पर आना स्वीकार तो किया, लेकिन समस्या थी कि अगर सीधे वह पर आतीं तो उनके प्रचंड वेग से धरती को हानि पहुंचती। इसीलिए फिर भगवान शिव ने अपनी जटा में पहले गंगा को धारण किया और फिर शिव की जटा से एक निश्चित वेग से मां गंगा धरती पर आई थीं। कहा जाता है कि ज्येष्ठ मास की दशमी को ही गंगा धरती पर आई थीं। इसके बाद से इस दिन गंगा दशहरा मनाने की परंपरा शुरू हुई।

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