कई शुभ संयोगों में मनेगा गणेश उत्सव
सनातन समाज में कोई भी शुभ कार्य से पहले गौरीनंदन भगवान गणपति की पूजा की जाती है।
मुजफ्फरपुर। सनातन समाज में कोई भी शुभ कार्य से पहले गौरीनंदन भगवान गणपति की पूजा की जाती है। वे सभी संकटों को तारने वाले हैं। शास्त्रों के मुताबिक, भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। इस उपलक्ष्य में हर साल भक्तगण बड़े ही धूमधाम से उत्सव मनाते हैं। दस दिनों तक पूजा होती है। ज्योतिषाचार्य पं.प्रभात मिश्र बताते हैं कि इस साल गणेश चतुर्थी पर कई शुभ संयोग बन रहा है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न काल में गणपति का जन्म हुआ था। इस बार गणेश चतुर्थी शुभ तिथि, नक्षत्र, योग और वार में होने के कारण शुभ फल देने वाला होगा। दस दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव में हर दिन एक शुभ योग बन रहा है। साथ ही इस गणेश उत्सव पर एक भी तिथि क्षय नहीं होगी। गुरुवार 13 सितंबर को गणेश चतुर्थी स्वाति नक्षत्र के स्थिर नाम के शुभ योग में गणपति की स्थापना करने पर सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी। साथ ही गजकेसरी का राजयोग भी बन रहा है। 13 से 23 सितंबर तक हर दिन शुभ योग और शुभ नक्षत्र में गणेश उत्सव रहेगा। इन दस दिनों में अमृत, रवि, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, सर्वार्थसिद्धि, सुकर्म और धृति योग बनेगा।
पूजा विधि
एक चौकी पर लाल रेशमी वस्त्र बिछाकर उसपर मिट्टी या धातुई मूर्ति रखें और 'ऊं गं गणपतये नम:' कहते हुए गणपति को पूजन सामग्री अर्पित करें। फिर एक पान के पत्ते पर सिंदूर में हल्का सा घी मिलाकर स्वास्तिक चिह्न बनाएं। उस पर कलावा से लिपटी एक सुपारी को रख दें। इन्हीं को गणपति मानकर या फिर मिट्टी की प्रतिमा के साथ रखकर पूजा करें। गजानन को उनके सबसे प्रिय मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं। लड्डू केसाथ गेहूं, धान का लावा, सत्तू, गन्ने के टुकड़े, तिल, नारियल और केले चढ़ाएं।
रातभर होती रही गणेशोत्सव की तैयारी
गुरुवार को शहर में जगह-जगह होने वाले गणेशोत्सव की तैयारी अंतिम चरण में है। पूर्व दिवस पर बुधवार को शहर व गांव के विभिन्न पूजा-पंडालों में जोर-शोर से तैयारी चलती रही। शहर के सर्राफा बाजार, पंकज मार्केट, बालूघाट बांध, सिकंदरपुर, अहियापुर, भगवानपुर, एफसीआइ गोदाम कन्हौली, छोटी सरैयागंज स्थित श्री नवयुवक समिति ट्रस्ट आदि जगहों पर धूमधाम से पूजा होगी।