पश्चिम चंपारण में गंडक का जलस्तर दो लाख क्यूसेक पार, सभी फाटक उठाए गए
West Champaran नेपाल में लगातार हो रही बारिश से बढ़ा गंडक का जलस्तर। अभियंताओं की बेचैनी बढ़ी कर रहे कैंप। वहीं बारिश के कारण इन दिनों जलजमाव से किसान पहले से पेरशान है बाढ़ की संभावना के बीच फसल को और नुकसान पहुंचने का डर है।
पश्चिम चंपारण, जासं। गंडक नदी का जलस्तर एक बार फिर बढऩे लगा है। वर्तमान जलस्तर दो लाख क्यूसेक के आसपास बना हुआ है। वैसे पानी बढऩे के साथ ही आसपास के क्षेत्र खासकर नदी किनारे रहने वालों में अफरातफरी का माहौल कायम हो गया है। सीमावर्ती नेपाल में हो रहे मूसलाधार बारिश से एक बार फिर गंडक नदी उफान पर है। गंडक नदी का जलस्तर दो लाख क्यूसेक को पार कर गया है। गंडक बराज नियंत्रण कक्ष में तैनात अभियंताओं की बेचैनी बढ़ गई है।
अभियंता टीम के साथ नियंत्रण कक्ष में कैंप कर रहे हैं। इस बाबत गंडक बराज नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के मुताबिक एहतियात के तौर पर गंडक बराज के सभी गेटों को आंशिक तौर पर ऊपर उठा दिया गया है। अभी खतरे की कोई बात नहीं है। 3.14 ग्राम पर लीटर सिल्ट की मात्रा पानी में बढ़ जाने के पर बराज मैनुअल के मुताबिक नहरों के जल स्त्राव को शून्य कर दिया जाएगा। पोखरा नेपाल से मिली जानकारी के मुताबिक गंडक नदी का जल स्त्राव बढऩे की संभावना है।
रामनगर के उत्तरांचल क्षेत्र में बीते तीन दिनों से बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही है। बीती रात से लगातार वर्षा ने दोन इलाके के जनजीवन को पूरी तरह प्रभावित कर दिया है। पहाड़ी नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी शुरू हो गई है। नदियों को पार कर आवागमन जारी है। दोन के सभी रास्ते पर फिसलन बढ़ गई है। इससे मुसाफिरों को आवागमन के लिए भारी मुश्किल शुरू हो गई है। पहाड़ी नदी मसान, हरहा, कापन, सुखौडा का जलस्तर बढऩे लगा है। फिर से आवागमन की भारी परेशानी से गुजरना पड़ गया है। गन्ने को तो फायदा हुआ है। लेकिन धान की फसल को नुकसान है। औरहिया के समीप जंगल में कीचड़ बढ़ गया है। चुनाव को लेकर तरह तरह की जरूरत आ रही है। इससे प्रत्याशियों के लिए मुश्किल हो गई है।
बीते चार दिनों से लगातार हो रहे बारिश का सिलसिला बुधवार को भी जारी है। सुबह से ही अच्छी बारिश हुई। वहीं पूरे दिन रुक-रुक कर हल्की बारिश होती रही। जिसके कारण रामनगर में नीची विस्तार वाले भूमि में लगे गन्ना व धान की फसलों के अलावा सब्जी के लिए तैयार खेत में भी जलजमाव होने लगा है। इधर बदले मौसम का प्रभाव तापमान भी पड़ा है। तापमान गिरकर सीधे 23 डिग्री पर पहुंच गया है। वहीं अधिकतम तापमान 27 डिग्री दर्ज किया गया है। जो अन्य दिनों से पांच डिग्री तक नीचे है। तापमान गिरने से लोगों को बुधवार को चादर का सहारा लेना पड़ा। अनुमान है कि पारा अभी और और नीचे गिरेगा। इधर खेतों में धान के फसलों के नुकसान की आशंका भी जताई जा रही है। नगर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों के सड़कों पर भी बारिश के पानी का जलजमाव दिखाई दिया। जिससे राहगीरों को परेशानी हुई। कीचड़ व सड़क के गडढ़े में बारिश का पानी भर जाने के कारण वाहन चालकों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। अनुमान लगाया जा रहा है कि अभी दो दिनों तक मौसम का मिजाज ऐसा ही बना रहेगा।
बता दें कि बीते 17 अक्टूबर के बाद से ही जारी अलर्ट के बाद से मौसम बदल गया है। प्रतिदिन बारिश के कारण सूर्य देवता के दर्शन भी नहीं हो रहे हैं। हालांकि बारिश से लोगों को उमस वाली गर्मी से राहत मिल गई है। वहीं ठंड में इजाफा हुआ है। बता दें कि इस बार मई से हीं लोगों का सामना लगातार बारिश से हो रहा है। जिससे अभी तक पीछ़ा नहीं छूट रहा है। बारिश व बाढ़ के कारण सैकड़ों एकड़ फसल नगर व प्रखंड में बर्बाद हो चुके हैं। अब बचे फसलों पर भी तलवार लटकी हुई है।