August Kranti Diwas: आजादी की जंग का बड़ा केंद्र था मुजफ्फरपुर, गांवों में केंद्रित थी भारत छोड़ो आंदोलन की रणनीति
August Kranti Diwas स्वतंत्रता सेनानी रामसंजीवन ठाकुर की आंखों में आज भी आंदोलन के महान दृश्य। नौ अगस्त 1942 की सुबह से ही होने लगी थी नेताओं की गिरफ्तारी।
मुजफ्फरपुर [अजय पांडेय] आजादी के दीवानों की एक ही चाहत, वो थी अंग्रेजी हुकूमत का अंत। स्वाधीनता के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की मंशा लिये वे आगे बढ़ रहे थे। क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद देश में बड़े आंदोलन की तैयारी थी। देश के अलग-अलग हिस्सों में रणनीति बन रही थी। महात्मा गांधी खुद बड़े नेताओं से संपर्क में थे। तब, आजादी की जंग का बड़ा केंद्र था मुजफ्फरपुर। उत्तर बिहार में आंदोलन की रूपरेखा यहीं तैयार होती थी। भारत छोड़ो आंदोलन के उस दौर को याद कर वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी रामसंजीवन ठाकुर की आंखों में क्रांति के दृश्य उभर आते हैं।
नौ अगस्त, 1942 की सुबह गांधीजी के भारत छोड़ो आंदोलन की सूचना मिलती, इससे पहले गोरों को भनक लग गई थी। यहां भी गिरफ्तारियां शुरू हो गईं। सभी बड़े नेता भूमिगत हो गए। कुछ गांवों की ओर निकल गए। पूरा आंदोलन ग्रामीण क्षेत्रों में ही केंद्रित हो गया। पुलिस को हमारी रणनीतियों की जानकारी हो चुकी थी। उनकी अलग-अलग टुकडिय़ां हमारे पीछे लगा दी गई थीं।
बांगुर सहनी को गोली लगने के बाद भड़का मामला
बड़े नेताओं का साथ छूटने के बाद ग्रामीणों ने बड़े विवेक से मोर्चा संभाला। अंग्रेजों का गांवों से संपर्क भंग कर दिया। सड़क-पुल-पुलियों को काट दिया और इलाके में बचे पुलिस अफसरों को घेर लिया गया। मीनापुर क ा थानाकांड इसी रणनीति का परिणाम रहा। वहां का अंग्रेज थाना इंचार्ज लियो वालर क्रांतिकारियों के निशाने पर था। मीनापुर में हो रहे आंदोलन को दबाने के लिए उसने गोली चलवा दी। इसमें बांगुर सहनी शहीद हो गए। मामला भड़क गया। बांगुर के चचेरे भाई जुब्बा सहनी, बिहारी शाह और कई लोगों ने मिलकर 16 अगस्त, 1942 को वालर को पकड़ लिया। पिटाई के बाद उसे थाने में ही जिंदा जला दिया। यहां का मामला बढ़ गया। पुलिस गांव-गांव क्रांतिकारियों को खोजने लगी। अंग्रेजों के दमन में मीनापुर, कटरा व साहेबगंज के पांच लोग शहीद हुए।
गांंधीजी के संपर्क में थे जगदीशबाबू
स्वतंत्रता सेनानी बताते हैं कि बंदरा के टेपरी में बड़े आंदोलन की तैयारी चल रही थी। इस बात की भनक अंग्रेजों को लग गई। उन्होंने गांव को चारों ओर से घेर लिया और आग लगा दी। इसमें 20 से 25 घर जल गए। इस दौरान नौ लोग गिरफ्तार कर लिए गए।
हुकूमत के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में बोचहां के बुधौली इलाके से भी छह लोग जेल गए। जगदीश नारायण ठाकुर के नेतृत्व में चल रही लड़ाई में त्रिलोक ठाकुर, रामलखन ठाकुर, चतुर्भुज ठाकुर, रामस्वरूप ठाकुर के साथ रामसंजीवन ठाकुर को भी पुलिस ने पकड़ लिया। जगदीश बाबू की गिरफ्तारी से कांग्रेस को बड़ा आघात हुआ।
उस दौरान वे मुजफ्फरपुर सदर कांग्रेस के अध्यक्ष थे और गांधीजी के आंदोलन से सीधे संपर्क में थे।
कटरा में आंदोलन को जीयन बाबू और जयनंदन बाबू संभाल रहे थे। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान यहां सबसे ज्यादा 150 लोग जेल गए। इधर, शहरी क्षेत्र में एजाजी बंधुओं ने मोर्चा को संभाल रखा था। वे लगातार सामाजिक सुधार के प्रति लोगों को जागरूक कर गांधीजी के विचारों से अवगत करा रहे थे।