Bihar Panchayat Election-2021: चार दशक पहले बिहार के पंचायत चुनावों में नहीं होते अधिक प्रत्याशी

Bihar Panchayat Election-2021चुनाव लड़ने के लिए कई जातीय व सांप्रदायिक आधार नहीं था। चुनाव को मनोरंजन की तरह लिया जाता था। पश्चिम चंपारण जिले के बगहा अनुमंडल के रामनगर और लौरिया दोनों प्रखंडों में छठे चरण में तीन नवंबर को चुनाव होने वाले हैं।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Fri, 08 Oct 2021 02:50 PM (IST) Updated:Fri, 08 Oct 2021 02:50 PM (IST)
Bihar Panchayat Election-2021: चार दशक पहले बिहार के पंचायत चुनावों में नहीं होते अधिक प्रत्याशी
पश्‍च‍िम चंपारण में पंचायत चुनाव को लेकर तैयारी तेज। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पश्चिम चंपारण, जासं। पूरे बिहार में कुल ग्यारह चरणों में पंचायत चुनाव हो रहे हैं। बगहा अनुमंडल के रामनगर और लौरिया दोनों प्रखंडों में छठे चरण में तीन नवम्बर को चुनाव होने वाले हैं। प्रत्याशियों ने नामांकन कराना शुरू कर दिया है। पहले के चुनाव में और आज के चुनाव में काफी अंतर है। सन् 2001 में एक लम्बे अंतराल 22 वर्षों के बाद पंचायत चुनाव हुआ। वो चुनाव हुए बीस वर्ष तथा उसके पूर्व का 22 साल कुल मिलाकर 42 साल पहले का चुनावी मंजर कुछ और था।

रामनगर प्रखंड के जोगिया पंचायत के मुख्यालय गांव जोगिया वार्ड संख्या 5 के रहनेवाले 70 वर्षीय बुजुर्ग हुकुम मियाँ ने बताया कि वे ब्यालीस साल पहले का पंचायत चुनाव भी देखे हैं तथा आज का चुनाव भी देख रहे हैं। पहले केवल दो ही पदों मुखिया और सरपंच के लिए चुनाव होते थे। प्रत्याशियों की इतनी भीड़ भी नहीं होती थी। गांव के कुछ संभ्रांत लोग ही चुनाव लड़ते थे। साधारण आदमी चुनाव लड़ने की बात सोचता भी नहीं था। मुश्किल से प्रत्याशी मिलते थे, कारण कि लोगों को अपना कृषि कार्य ही अधिकतर पसंद था। वे उस समय नौजवान थे। अपने समर्थीत मुखिया का झंडा लेकर वे भी गांवों में घूमा करते थे।

हुकुम ने बातचीत के क्रम में बताया कि टायर गाड़ी पर बैठकर प्रचार होता था। प्रत्याशी पैदल भी वोट मांगते थे। उस समय आज की तरह सांप्रदायिक तथा जातिगत चुनाव नहीं होता था। आज की तरह आपसी रंजिश भी नहीं थी। मतगणना के बाद फिर सभी आपस में मिलजुल कर रहते थे। गांव के विकास के लिए पराजित प्रत्याशियों से भी राय ली जाती थी। मतदाताओं को लुभाने के लिए आज की तरह विभिन्न तिकड़म नहीं अपनाए जाते थे। सभी प्रत्याशी अपने प्रशंसकों के बीच एक रात भोज का आयोजन करते थे। विजयी मुखिया या सरपंच अपने गांवों में लवंडा का नाच भी कराते थे। हुकुम मियां ने बहुत खुश होकर कहा कि अनारकली बीड़ी कंपनी का नाच भी हर पंचायत में हुआ करता था।

बगल में बैठे ग्रामीण चंद्रेव पटेल ने बताया कि जब पंचायत भवन बनता था तो सभी ग्रामीण मुश्तैदी से रहकर बनाते थे। भवन निर्माण में कोई राजनीति या गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं होता था। पंचायत भवन में ही सभी सरकारी कार्य होते थे। सरकारी मुलाजिम ग्राम सेवक साहब होते थे जो प्रायः मुखिया लोगों के घर ही रहते थे। ग्राम सेवक प्रतिदिन समय पर पंचायत भवन आ जाते थे। गांव के विकास की बात इसी जगह होती थी। सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पंचायत भवन में ही होते थे। गांवों में होनेवाले नाटकों का रियाज इसी जगह होता था। मुखिया जी ही ऐसे कार्यक्रमों का उद्घाटन फीता काटकर करते थे।

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