मुजफ्फरपुर के पूर्व महापौर का दावा, अविश्वास प्रस्ताव हार चुके हैैं उपमहापौर मानमर्दन शुक्ला

पूर्व महापौर ने दिया उच्च न्यायालय के एक फैसले का हवाला नगर आयुक्त को किया कठघरे में खड़ा। उपमहापौर को पदमुक्त करने की रखी मांग न्यायालय में नगर आयुक्त के खिलाफ अवमानना वाद दायर करने की दी चेतावनी।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 12:59 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 12:59 PM (IST)
मुजफ्फरपुर के पूर्व महापौर का दावा, अविश्वास प्रस्ताव हार चुके हैैं उपमहापौर मानमर्दन शुक्ला
उपमहापौर द्वारा बैठक की अध्यक्षता करना कानून संगत नहीं। फोटो- जागरण

मुजफ्फरपुर, जासं। पूर्व महापौर सुरेश कुमार ने कहा है कि मानमर्दन शुक्ला अविश्वास प्रस्ताव हारने के बाद भी उपमहापौर बने हुए हैं। नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय की मिलीभगत से वे पद पर बने हंै। नगर आयुक्त उनको तत्काल पद मुक्त करें नहीं तो उनके खिलाफ न्यायालय में अवमानना वाद दाखिल करेंगे।  लक्ष्मी चौक स्थित अपने आवास पर बुधवार को उन्होंने मीडिया से मुखातिब होकर उच्च न्यायालय के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के लिए बुलाई गई विशेष बैठक में उपस्थित तथा अपने मताधिकार का प्रयोग करने वाले पार्षदों के बहुमत के आधार पर निर्णय होता है। इस हिसाब से देखें तो 23 जुलाई को उपमहापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए बोर्ड की विशेष बैठक में 40 सदस्य उपस्थित थे। बैठक में 11 पार्षदों ने मतदान किया। इसमें आठ अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में व दो विरोध में गए थे। एक वोट रद हो गया था। न्यायालय के फैसले के आलोक में उपमहापौर अपनी कुर्सी 8-2 के बहुमत से गवां चुके हंै। इसके बाद भी उन्होंने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए आयोजित विशेष बैठक की अध्यक्षता की। इस पर से उनकी अध्यक्षता में आयोजित बैठक वैध नहीं थी। इसलिए उनकी कुर्सी अभी बरकरार है।

पूर्व महापौर ने कहा कि नगर आयुक्त की मिलीभगत से मानर्मदन शुक्ला अपने पद पर बने हुए हैं। यही नहीं उनके द्वारा अवैध तरीके से बोर्ड की सामान्य बैठक बुला रहे हंै। नगर आयुक्त मानमर्दन शुक्ला को पद मुक्त करने की कार्रवाई करें नहीं तो वे उनके खिलाफ न्यायालय में आदेश की अवहेलना की शिकायत करते हुए वाद दायर करेंगे।

कार्यकारी महापौर मानमर्दन शुक्ला ने कहा कि नगर निगम बिहार नगरपालिका अधिनियम से चलता है न कि पंचायती राज कानून से। पूर्व महापौर सुरेश कुमार का दावा सही नहीं है। बैठक में जिला प्रशासन के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। उनको लगता है कि गलत हुआ है तो न्यायालय में जाएं। इस बारे में नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय का कहना है कि निष्पक्ष रूप से अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया को पूर्ण कराना किसी भी नगर आयुक्त का दायित्व है। मैंने नियमानुसार सारी प्रक्रिया पूरी की है। हम निवर्तमान महापौर सुरेश कुमार द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन करते हंै। किसी भी पक्ष या विपक्ष से कोई मिलीभगत नहीं की गई है।

अधिवक्ता संजीव कुमार कहते हैं कि बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 25 (4) के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए बुलाई गई विशेष बैठक में तत्समय पदधारण करने वाले पार्षदों की संपूर्ण संख्या के बहुमत से पारित प्रस्ताव द्वारा मुख्य पार्षद या उप मुख्य पार्षद को पद से हटाया जा सकता है। इसलिए पूर्व महापौर द्वारा लगाया गया आरोप सही नहीं है।  

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