बिहार सरकार के पूर्व कृषि मंत्री रामविचार राय का निधन, पटना के अस्पताल में ली अंतिम सांस

Former Minister Ramvichar Rai Passes Away बिहार के कद्​दावर नेता व बिहार सरकार के पूर्व कृषि मंत्री रामविचार राय का बुधवार को पटना के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन की खबर फैलते ही साहेबगंज विधानसभा क्षेत्र के गांवों में शोक की लहर दौड़ पड़ी।

By Murari KumarEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 06:54 PM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 06:54 PM (IST)
बिहार सरकार के पूर्व कृषि मंत्री रामविचार राय का निधन, पटना के अस्पताल में ली अंतिम सांस
बिहार सरकार के पूर्व कृषि मंत्री रामविचार राय का निधन

मुजफ्फरपुर, जासं। बिहार के कद्​दावर नेता व बिहार सरकार के पूर्व कृषि मंत्री रामविचार राय का बुधवार को पटना के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। उन्होंने 69 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर फैलते ही साहेबगंज विधानसभा क्षेत्र के गांवों में शोक की लहर दौड़ पड़ी। हर लोगों की जुबान से उनके साहस और संघर्ष की चर्चा आम हो गई। उन्होंने 1990 मे जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ कर पहली बार साहेबगंज से विधायक चुने गए थे, उसके बाद लगातार 2005 तक विभिन्न मंत्री पदो पर रहे । पुनः2015 मे राजद के टिकट पर चुनाव जीत कर कृषि मंत्री बने । इसी दौर में किडनी रोग से ग्रसित हो गए, जिनका इलाज मेदान्ता मे कराया गया, उसके कुछ महीनों बाद किडनी बदला गया था। उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए पूर्व नगर विकास व आवास मंत्री सुरेश शर्मा ने कहा कि राय एक मजबूत विपक्ष के नेता थे। उनके जाने के बाद राजनीति शून्यता की स्थिति बन गई है। ईश्वर से प्रार्थना है कि परिवार को दुख सहने की ताकत दे।

गांव के राजनेता से संघर्ष कर की थी राजनीति की शुरुआत 

पारू प्रखंड के माधोपुर बुजुर्ग गांव में जन्म लिए रामविचार राय ने पड़सी गांव के दरबार कहे जाने वाले नवल किशोर सिंह की राजनीति के खिलाफ संघर्ष कर ग्रामीण क्षेत्रों में विरोधी राजनीति की धुरू बने। 1974 में जेपी आन्दोलन के दौरान जेल गए थे, 1989 में चीनी मिल के मजदूरों को नियमित करने की मांग को लेकर पूर्व सांसद उषा सिन्हा के साथ चीनी मिल पर धरना-प्रदर्शन में शामिल हुए थे जहां पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जेल में आन्दोलनकारियों के साथ इन्हे भी बुरी तरह पुलिस ने पिटाई की थीं। 1990 में जनता दल के टिकट पर चुनाव जीते और  पहली बार  1992 में लघु उद्योग के चेयर मैन बनाए गए थे। उसके बाद लगातार 2005 तक मंत्री बनाए जाते रहे। 

कर्पूरी ठाकुर के सानिध्य में रहकर सीखीं थी राजनीति के गुड़ 

रामविचार राय हमेशा स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर की राजनीति को मार्गदर्शन  मान कर राजनीति करते रहे। उन्होंने देवरिया मे उन्हे सिकका से तौल कर उनके बहुत करीबी बन गये थे। उन्होंने विषम परिस्थितियों में भी पार्टी के विचारों परिस्थितियों में भी पार्टी के विचारों से अलग नहीं हुए, यही वजह था कि लालू प्रसाद यादव कभी अपनो से अलग नहीं कर सके। 

परिवार से हो गई राजनीति की शून्यता 

एक गरीब परिवार मे जन्मे रामविचार राय के पीछे अब कोई राजनीति करने वाले नहीं रहे। उनके बड़े भाई रामजी राय पीएचडी मे चतुर्थवर्गीय कर्मचारी थे। अन्य भाई किसानी करते हैं। उन्हे तीन बेटी है। इस स्थति में परिवार मे अब राजनीति का लौ बुझ गया लेकिन उनके नाम मिटाया नहीं जा सकता।

मुजफ्फरपुर जिले में शोक की लहर

मुजफ्फरपुर जिले के राजनीतिक जगत के मजबूत जनप्रतिनिधि रहे पूर्व मंत्री रामविचार राय अब नहीं रहे‌। निधन पर शोक की लहर है। मुजफ्फरपुर के  सांसद अजय निषाद ने उनके निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि पूर्व मंत्री रामविचार राय उनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री कैप्टन जयनारायण निषाद जी के अत्यंत करीबी रहे हैं।  साहेबगंज के विधायक राजू कुमार सिंह राजू ने कहा कि पूर्व मंत्री रामविचार राय हमारे अभिभावक की तरह रहे ।‌ उनसे बहुत कुछ सीखने का मौका मिला ।‌उनका निधन व्यक्तिगत क्षति है ।‌  उन्होंने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि भगवान दुख सहन करने की ताकत  उनके परिवार को दें।‌ उनके निधन पर राजद के प्रदेश प्रवक्ता डॉ इकबाल मोहम्मद शमी, जिला अध्यक्ष रमेश गुप्ता, विधायक निरंजन राय, विधायक इसराइल मंसूरी, विधायक राजीव कुमार मुन्ना यादव विधायक अनिल साहनी, पूर्व  विधायक प्रो सुरेंद्र यादव आदि ने उनके निधन को अपूरणीय क्षति  बताते हुए शोक व्यक्त किया है। 

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