Bihar Elections 2020: उत्तर बिहार की आधा दर्जन सीटों पर पहली बार चुनावी समर में उतरीं बहू व बेटियां, विरासत को बचाने की चुनौती
Bihar Elections 2020 40 में से आधा दर्जन से अधिक सीटों पर ये बेटियां दमखम दिखा रही हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह कि कई अपने पिता की पार्टी से इतर चुनाव लड़ रही हैं। साथ ही एक बहू भी ससुर की विरासत संभालने के लिए जनता के बीच आई हैं।
मुजफ्फरपुर, [प्रेम शंकर मिश्रा]। आमतौर पर पिता की विरासत उत्तराधिकारी के रूप में पुत्र संभालते रहे हैं। मगर, इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में पिता या मां की राजनीतिक विरासत बचाने बेटियां पहली बार चुनावी समर में कूदी हैं। उत्तर बिहार की 40 में से आधा दर्जन से अधिक सीटों पर ये बेटियां दमखम दिखा रही हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह कि कई अपने पिता की पार्टी से इतर चुनाव लड़ रही हैं। साथ ही एक बहू भी ससुर की विरासत संभालने के लिए जनता के बीच आई हैं। उनकी हार या जीत अभी भविष्य के गर्त में है। मगर, उत्साह महिला सशक्तीकरण की दिशा में बढ़ते कदम का उदाहरण जरूर है। क्योंकि इन सभी के पास उच्च शिक्षा भी है। राजनीति में यह बड़े परिवर्तन का संकेत भी है। सबसे पहले बात उस बेटी की जो चुनाव की तारीख घोषित होने से पहले ही चर्चा में थीं।
द प्लूरल्स से पुष्पम प्रिया (33) मधुबनी की बिस्फी सीट से मैदान में उतरी हैं। इसके अलावा पटना की बांकीपुर सीट से भी उम्मीदवारी है। जदयू पृष्ठभूमि के विधान पार्षद रहे पिता विनोद कुमार चौधरी की पार्टी से इतर वे मैदान में हैं। लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स एंड सोशल साइंस से लोक प्रशासन में एमए की डिग्रीधारी पुष्पम बिहार में रोजगार, औद्योगिक विकास, बेहतर जीवन स्तर, पुलिस में आमूलचूल बदलाव आदि मुद्दों को लेकर उतरी हैं। खुद को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत करने हुए उन्होंने चुनाव से पहले राज्य के गांवों का दौरा किया। प्रथम राजनीतिक संघर्ष में वह कितना सफल होती हैं यह 10 नवंबर को तय होगा। मगर, चुनाव लड़ने के अंदाज ने जरूर प्रभावित किया है।
पिता की पार्टी से अलग मैदान में उतरने में एक और चर्चित नाम हैं शालिनी मिश्रा। पिता कमला मिश्र मधुकर वामपंथी थे। भाकपा से ही मोतिहारी से सांसद रहे। वामपंथ पृष्ठभूमि की शालिनी (47) केसरिया से जदयू की सीट पर मैदान में है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से प्रभावित होकर वह जदयू के रूप के रूप में मैदान में हैं। राजद के कद्दावर नेता रमई राम की बेटी डॉ. गीता देवी (47) चुनावी जमीन की तलाश में मैदान में हैं। उन्होंने पिता की सीट व पार्टी नहीं चुनीं। रमई राम बोचहां तो गीता मुजफ्फरपुर की सकरा से। पार्टी बसपा है। एक तरह से रमई अपनी अंतिम राजनीतिक पारी खेल रहे। इस चुनाव में जीत-हार के निर्णय के बाद वह आगे की रणनीति तय कर सकती हैं।
इस चुनाव के युवा चेहरे में से एक कोमल सिंह (27) मुजफ्फरपुर की गायघाट सीट पर लोजपा से मैदान में है। एमबीए में पीजी की डिग्री है। राजनीति विरासत में मिली है। पिता दिनेश प्रसाद सिंह जदयू के विधान पार्षद है। वहीं मां वीणा देवी वैशाली से लोजपा सांसद। पिछले लोकसभा चुनाव में मां के चुनाव प्रचार का कमान संभाली थीं। बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट के चिराग पासवान के मुद्दे को लेकर मुखर हैं। उत्तर बिहार की दो बहू भी ससुर की राजनीतिक विरासम संभालने उतरी हैं। इनमें मधुबनी की बाबूबरही सीट से मीना कुमारी (27) जदयू उम्मीदवार हैं। ससुर पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत की अस्वस्थता को देखते हुए ही उन्हें सिंबल दिया गया था। इस बीच मंत्री का निधन भी हो गया। चुनाव के दौरान ही इस बड़े सदमे के साथ वह मैदान में हैं।
दरभंगा की गौड़ा बौराम सीट से स्वर्णा सिंह (47) भी ससुर की राजनीतिक विरासत को जिंदा रखने के लिए मैदान में हैं। भाजपा के विधान पार्षद रहे स्व. सुनील सिंह के अधूरे कार्य को पूरा करने की सोच के साथ चुनाव लड़ रहीं। वीआइपी के खाते में यह सीट गई थी। यह सीट पहले जदयू के खाते में थी। मंत्री मदन सहनी यहां से विधायक थे।
उम्मीदवार उम्र डिग्री
पुष्पम प्रिया 33 एमए
कोमल सिंह 27 पीएम इन एमबीए
मीना कुमारी 31 एमए
स्वर्णा सिंह 47 स्नातक
गीता कुमारी 47 पीएच.डी
शालिनी मिश्रा 47 एमए