Muzaffarpur : बाग में 20 दिनों तक तो डिब्बे में बंद होने सालभर बाजार में रहती लीची

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के साथ किसान भी कर रहे अपना उत्पाद कोरोना से पड़ा असर चीन व ताइवान से रहता बेहतर स्वाद इसलिए रहती अच्छी मांग बाजार पर कोरोना संक्रम के प्रभाव से किसानों में थोड़ी मायूसी है।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 11:42 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 11:42 AM (IST)
Muzaffarpur : बाग में 20 दिनों तक तो डिब्बे में बंद होने सालभर बाजार में रहती लीची
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के साथ लीची उत्पादक किसान भी इस दिशा में पहल कर रहे हैं।

मुजफ्फरपुर, { अमरेंद्र तिवारी }। बिहार की पहचान लीची बाग में 15 से 20 दिनों तक तो डिब्बा बंद होने के बाद वह नौ से 12 माह तक बाजार में रहती है। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के साथ लीची उत्पादक किसान भी इस दिशा में पहल कर रहे हैं। बाजार पर कोरोना के प्रभाव से इसके प्रोडक्ट निर्माण करने वाले मायूस हैं। लीची के बने प्रोडक्ट की मांग दिल्ली, मुंबई में खूब हो रही है। देश से बाहर अमेरिका व ङ्क्षसगापुर तक यह जाती है।

श्यामा एग्रो फूडस एंड एक्सपोर्ट रतवारा के संचालक किसान केशव नंदन कहते हैैं कि मौसम की मार व कोरोना से बाजार में मंदी का दौर चल रहा है। पहले 100-150 टन तक रसगुल्ला का उत्पादन करते थे। इस साल 40 से 50 टन का लक्ष्य लेकर चल रहे हंै। एक डिब्बा 850 ग्राम का होता है और इसे तैयार करने में 70 से 75 रुपये लागत आती है। बाजार में 100 से 150 तक बिकता है। जूस पर भी एक लीटर में 65 से 70 रुपये लागत और बाजार में 100 से 125 रुपये तक कीमत मिलती है। किसान केशवानंद ने कहा कि वह अपने प्रोडक्ट केवल दिल्ली भेजते हैं। वहां के व्यापारी उसेमुंबई, चेन्नई व अन्य बाजार में भेजते हंै।

विदेश से इस बार अभी नहीं आया आर्डर

लीची इंटरनेशनल के प्रोपराइटर केपी ठाकुर ने बताया कि वह अमेरिका, कनाडा व ङ्क्षसगापुर में लीची का जूस भेजते रहे हैं। कोरोना से दो साल से परेशानी है। इस बार अभी आर्डर नहीं आया है। बरसात के बाद नवंबर से अगर आर्डर आएगा तो वहां पर भेजा जाएगा। राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के विज्ञानी डा. अलेमवती पोंगेनर बताते हैं कि लीची का मुरब्बा, रसगुल्ले, किशमिश, शहद व जूस तैयार किया जा रहा है। लीची विज्ञानियों की सलाह के अनुसार बाग की देखभाल करते हंै तो उनकी लीची को बाजार मिल जाता है। पोंगेनर ने बताया कि लीची में विटामिन सी, विटामिन बी 6, नियासिन, राइबोफ्लेविन, फोलेट, तांबा, पोटेशियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम व मैंगनीज सहित खनिज और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसलिए इसकी मांग रहती है। बिहार लीची उत्पादक संघ के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद ङ्क्षसह कहते हैं कि बाग में 15-20 दिनों तक तो बाजार में नौ से से 12 माह तक यह रहती है।

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