East Champaran: भारत-नेपाल सीमा से बढ़ी खाद्य वस्तुओं की तस्करी, जान‍िए कैसे चल रहा खेल

East Champaranनेपाल में सरसों तेल चावल महंगा होने से इसकी अधिक हो रही तस्करीवहां से चाइनीज मटर के अलावा दाल लाकर भारतीय बाजार में बेच रहे तस्कररक्सौल अनुमंडल में चावल की कीमत 60 से लेकर 130 रुपये प्रति किलो तक है।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 02:39 PM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 02:40 PM (IST)
East Champaran: भारत-नेपाल सीमा से बढ़ी खाद्य वस्तुओं की तस्करी, जान‍िए कैसे चल रहा खेल
पश्‍च‍िम चंपारण के रक्‍सौल में तस्‍करों की चुनौती। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

रक्सौल (पूचं.), {विजय कुमार गिरि}। भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र में खाद्यान्न की तस्करी जोरों पर है। तस्करों का जाल ग्रामीण इलाकों तक फैला है। ये भारतीय सीमा से चावल, सरसों तेल और चीनी लेकर जाते हैं और उधर से मटर और दाल लेकर आते हैं। दाम में काफी अंतर होने के कारण ऐसा हो रहा है।

रक्सौल अनुमंडल में चावल की कीमत 60 से लेकर 130 रुपये प्रति किलो तक है। तस्कर इसे भारतीय बाजार से खरीद नेपाल में 100 से लेकर 200 रुपये प्रति किलो बेच रहे हैं। इसी तरह सरसों का तेल 190 से 200 प्रति लीटर है। नेपाल में 240 से 250 रुपये में बेचा जा रहा है। चीनी 45 रुपये प्रति किलो खरीद 60 रुपये में नेपाल ले जाकर बेच रहे हैं। चीन का हरा व सफेद मटर नेपाल में क्रमश: 75 व 60 रुपये प्रति किलोग्राम है। भारत में 100 से 80 रुपये में बेचा जा रहा है। अरहर दाल 95 रुपये प्रति किलो लाकर 110 तो मसूर दाल 87 में लाकर 100 रुपये में बेच रहे।

सीमावर्ती रक्सौल, बेतिया, मधुबनी व सीतामढ़ी से इन वस्तुओं की तस्करी हो रही है। इन क्षेत्रों में साइकिल व बाइक से तस्करी की जा रही है। एक साइकिल में पांच से छह बोरी चावल और दो से तीन बोरी मटर लेकर तस्कर ग्रामीण रास्तों से आते-जाते हैं। कुछ तस्करों ने गोदाम भी बनाए हैं। वे नेपाल से तस्करी कर लाई गई खाद्य सामग्री का इसमें भंडारण करते हैं। वहां से रक्सौल के रास्ते मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, पटना सहित अन्य जगहों पर भेजते हैं। एक अनुमान के मुताबिक रक्सौल अनुमंडल से जुड़े बार्डर से ही प्रतिदिन 10 से 15 लाख के खाद्यान्न की तस्करी हो रही है।

सशस्त्र सीमा बल 47वीं बटालियन पनटोका मुख्यालय के कमांडेंट प्रियव्रत शर्मा ने बताया कि बार्डर काफी संवेदनशील और खुला है। तस्करी पर पूर्णरूप से अंकुश लगाने में थोड़ी परेशानी होती है। सघन जांच अभियान शुरू किया गया है।

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