West Champaran: एक स्टेयरिंग पर तो दूसरा हाथ कलेजे पर रखकर पार करते पुल
पश्चिम चंपारण में पुल के दस फीट ऊपर से गुजर गया बाढ़ का पानी एप्रोच क्षतिग्रस्त पुल के दस फीट ऊपर से गुजर गया बाढ़ का पानी एप्रोच क्षतिग्रस्त आधा दर्जन पंचायतों के लिए उपयोगी पुल कभी भी हो सकता ध्वस्त डुमरिया और सुगौली पंचायतों को जोड़ता है यह पुल।
पश्चिम चंपारण, जासं। प्रखंड क्षेत्र में करीब आधा दर्जन पंचायतों के लिए सर्वाधिक उपयोगी रामपुर और मुरली खरकटवा के बीच बावड़ नदी पर पुल कभी भी ध्वस्त हो सकता है। बाढ़ का पानी पुल के दस फीट ऊपर से गुजर कर उसे और कमजोर कर दिया है। उसका एप्रोच भी क्षतिग्रस्त हो गया है। पुल के दोनों तरफ का रेङ्क्षलग पहले से ही टूट चुकी है। ऐसे में खतरनाक बन चुका यह पुल कभी भी ध्वस्त हो सकता है। बता दें कि करीब चार दशक पहले निर्मित यह पुल काफी जर्जर हो गया है।
बाढ़ ने उस पुल को और भी खतरनाक बना दिया है। भारी वाहन के आवागमन में मुश्किलें खड़ी हो गई है। सबसे अधिक समस्या किसानों को उठानी पड़ रही है। चालक ललन ने बताया कि पुल पार करते समय एक हाथ स्टेयङ्क्षरग पर होता है तो दूसरा हाथ कलेजे पर आ जाता है। भारी वाहन लेकर पुल पार करना काफी चुनौतीपूर्ण हो गया है। इस नदी की खासियत है कि इसमें सालों भर पानी का प्रवाह होता है। नदी जैसे-जैसे आगे बढ़ती है। इसकी चौड़ाई भी बढ़ती जाती है और बरसात के दिनों में विकराल रूप धारण कर लेती है। डुमरिया पंचायत के रामपुर, सक्रौल, तितुहिया, मधुबनी, कंचनपुर गांवों का सुगौली पंचायत से जुडऩे के महत्वपूर्ण मार्ग में यह पुल है। वहां के लोगों का इसी पुल से होकर प्रखंड, अनुमंडल मुख्यालय आना जाना होता है। देवराज से भी काफी संख्या में लोगों का इस मार्ग से आवागमन होता है।
किसानों की खेती किसानी एक दूसरे क्षेत्र में है, जिससे के लिए भी लोग इस पुल से होकर आते जाते हैं। लेकिन यह क्षतिग्रस्त पुल कभी भी गिर सकता है। ग्रामीण घनश्याम तिवारी, महेंद्र यादव, हरेंद्र यादव का कहना है कि विवशता में लोग भारी वाहन लेकर आ जा रहे हैं। लेकिन कोई हादस कब हो जाए। इसको लेकर लोगों में ङ्क्षचता बनी हुई है। लोगों का कहना है कि कई गांवों और विद्यालयों में खाद्यान्न आपूर्ति में खतरा बना रहता है। पुल की स्थिति बेहद खतरनाक हो चुकी है।
-- कई गांवों के लोग इस पुल से आपस में जुड़ते हैं। पुल के निर्माण की दिशा में पहल की जाएगी ताकि आवागमन सुचारू रूप से जारी रहे। --सतीश चंद्र दुबे
राज्यसभा सदस्य