नदियों का जलस्तर बढ़ने से मुजफ्फरपुर में फिर मंडराया बाढ़ का खतरा, खरीफ फसल पर संकट
खरीफ फसल पर संकट कई गांवों में फैलने लगा पानी पिछले दिनों आई बाढ़ में डुमरी-पहसौल मार्ग में सड़क दो जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गई। जलस्तर कम होने के बाद सड़क पर बने गड्ढे में ईंट का टुकड़ा भरकर मार्ग चालू करने की योजना बनी थी।
मुजफ्फरपुर (कटरा), जासं। बागमती के जलस्तर में आंशिक वृद्धि हुई जिससे बाढ़ का खतरा एक बार फिर मंडराने लगा है। कई मार्ग में पानी भर जाने से आवागमन बाधित हो गया। वहीं, खरीफ फसल पर भी संकट छाने लगा है। किसानों के लिए बाढ़ जुए का खेल बन गया है।
सोमवार को हुई तेज बारिश के कारण जलस्तर में वृद्धि शुरू हो गई। उधर, लखनदेई में भी वृद्धि जारी है। पिछले दिनों आई बाढ़ में डुमरी-पहसौल मार्ग में सड़क दो जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गई। जलस्तर कम होने के बाद सड़क पर बने गड्ढे में ईंट का टुकड़ा भरकर मार्ग चालू करने की योजना बनी थी। काम शुरू भी कर दिया गया, लेकिन पुन: पानी बढ़ जाने से आवागमन बंद हो गया। बसघटृा डायवर्सन में चार फीट पानी बह रहा है जिससे यहां नाव चलाई जा रही है। यात्री नाविकों के शोषण का शिकार बन रहे हैं। उनकी शिकायत है कि एक यात्री से 20 रुपये वसूला जा रहा हैै।
जलस्तर बढऩे से बर्री-तेहवारा मार्ग में पानी आ गया है और आवागमन बाधित है। तेहवारा-बुधकारा के लोगों को प्रखंड जाने के लिए 40 किमी की दूरी तय कर बेनीबाद-जारंग मार्ग से गुजरना पड़ता है जिससे समय और खर्च अधिक लगता है। बागमती पर स्थित पीपा पुल में चचरी जोड़कर आवागमन चालू किया गया है। जलस्तर में वृद्धि जारी रही तो चचरी बहने का खतरा बढ़ जाएगा। लखनदेई के जलस्तर बढऩे से कटरा के उत्तरी भाग में कई गांवों में पानी बहने लगा है। डुमरी, मोहनपुर, बरैठा, बरदवारा, खंगुरा, पहसौल आदि गांव लखनदेई के काला पानी से त्रस्त है। इन क्षेत्रों में जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। जलनिकासी के लिए नदी पर बने स्लूस गेट को खोलना होगा जिसकी इजाजत बागमती परियोजना के अधिकारी से लेनी होगी। जलस्तर में वृद्धि को देखते हुए यह आदेश नहीं दिया जा सकता है। बाढ़ पीडि़तों को जलस्तर में कमी का इंतजार करना होगा।
लखनदेई व मनुषमारा के जलस्तर में उतार-चढ़ाव से दहशत
औराई । प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत मनुषमारा व लखनदेई नदी के जलस्तर में 24 घंटे में उतार-चढ़ाव जारी रहा। रविवार को जलस्तर में देर रात तक वृद्धि हुई, लेकिन सोमवार की दोपहर बाद जलस्तर घटने लगा। किसानो में धान की फसल को लेकर उपापोह की स्थिति बनी हुई है। कई किसान दरवाजे पर धान का बिचड़ा गिराकर दोबारा धानरोपनी करा रहे हैं। वहीं, जलस्तर के उतार- चढ़ाव से संशय में हैं। हलीमपुर के किसान छोटेलाल राय, महेंद्र राय ने बताया कि मनी पर खेत लिए हुए हैं। कुछ भी धान नहीं हुआ तो घर और घाट दोनों चला जाएगा। मजबूरीवश हिम्मत जुटाकर धानरोपनी करा रहे हैं। पानी का समय सावन व भादो अभी बचा ही हुआ है।