मधुबनी के बेनीपट्टी में फिर मंडराया बाढ़ का खतरा, नदियों का तेजी से बढ़ रहा जलस्तर

अधवारा समूह की धौंस खिरोई थुम्हानी एवं कोकरा नदी का तेजी से बढ़ रहा जलस्तर चौर एवं गांवों की और फैलने लगा नदी का पानी संभावित बाढ़ से लोगों में भय का माहौल पिछले दिनों आई बाढ़ ने प्रखंड क्षेत्र में मचाई काफी तबाही कई सड़कें हुई थी ध्वस्त

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 05:20 PM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 05:20 PM (IST)
मधुबनी के बेनीपट्टी में फिर मंडराया बाढ़ का खतरा, नदियों का तेजी से बढ़ रहा जलस्तर
बेनीपट्टी के सोइली में धौस नदी का बढ़ता जलस्तर। जागरण

मधुबनी, जासं। बेनीपट्टी प्रखंड क्षेत्र में बाढ़ का खतरा एक बार फिर मंडराने लगा है। अधवारा समूह के धौंस, खिरोई, थुम्हानी एवं कोकरा नदी का जलस्तर तेजी से बढऩे लगा है। नदियों की पानी चौर एवं गांवों की ओर फैलना शुरू हो गया है। प्रखंड के करहारा, बिर्दीपुर, सोहरौल, हथियरवा, खसियाघाट, नवगाछी गांव चारों ओर से बाढ़ की पानी से घिरकर टापू में तब्दील हो गए हैं। जबकि, बररी विशनपुर, रजवा, धनुषी, फूलबरिया, रजघट्टा, चानपुरा पश्चिम, सिमरकोण, गुलरियाटोल, समदा, उच्चैठ, अंधरी, गंगुली, मानसिपट्टी, नवटोलिया, बलिया, छूलकाढ़ा, अगई, बगवासा, भगवतीपुर, लडूगामा, विशेलडूगामा सहित तीन दर्जन गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है।

प्रखंड में एक माह से बाढ़ एवं बारिश के पानी ने भारी तबाही मचा रखी है। पिछले दिनों आई बाढ़ ने प्रखंड क्षेत्र की कई सड़कों को तोड़ दिया है। उन सड़कों से पानी उतरने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली ही थी कि एक बार फिर नदियों में पानी बढऩे से लोग संभावित बाढ़ से भयभीत हो उठे हैं। बाढ़ की आशंका से भयभीत लोगों ने एक बार फिर बांधों पर शरण लेना शुरू कर दिया है। भाजपा महिला मोर्चा के जिलाध्यक्ष सह जिला परामर्शी समिति की सदस्या खुशबू कुमारी ने सरकार एवं प्रशासन से जल्द से जल्द बाढ़ से निपटने के लिए नाव व अस्पतालों में दवा की व्यवस्था करने और पॉलीथिन व पशुचारा का इंतजाम करने का अनुरोध किया है। बाढ़ प्रभावित गांवों में कोविड टीकाकरण की व्यवस्था किए जाने की मांग भी की है।

गागन नदी के पानी से एक दर्जन गांव के लोग परेशान, सुधि नहीं ले रहा प्रशासन

लदनियां प्रखंड के दर्जन भर गांव के लोग गागन नदी से उत्पन्न त्रासदी को प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी झेल रहे हैं। गांव से बधार तक विगत डेढ़ महीने से पानी भरा है। किसानों के बिचड़े व आच्छादित धान गल चुके हैं। पशुपालकों की भूसी पानी में बर्बाद हो गई है। खेतों में आच्छादित चारे गल चुके हैं। चारागाहों में पानी भरा है। किसान व पशुपालक मुश्किल के दौर से गजर रहे हैं। इन गांवों में पथलगाढ़ा, दोनवारी, मोतनाजे, जानकीनगर, महुलिया, विषहरिया, महुआ, कमतौलिया, तेनुआही, मरनैया आदि गांव शामिल हैं। खेतों में गागन नदी का पसरा पानी टापू की तरह दिख रहा है। खेत को आबाद करना असंभव हो गया है। किसान विपिन यादव, धर्म विजय कुमार, रङ्क्षवद्र कुमार आदि ने बताया कि धान के बिचड़े नहीं बचे हैं। पशुचारे की भारी कमी हो गई है। प्रशासन की ओर से अभी तक कोई क्षति का जायजा लेने नहीं पहुंचा है। पशुपालक योगी यादव समेत दर्जनों लोगों ने बताया की गागन नदी के पानी में पशुचारे गल गए। पशु को चराने की कोई जगह नहीं बची है। पंचायत समिति सदस्य राम कुमार यादव ने कहा कि इन समस्याओं से प्रशासन को अवगत कराया गया है। किसी ने किसान व पशुपालकों की सुधि नहीं ली है। पदाधिकारी के द्वारा नदी से हुई क्षति के आकलन का प्रयास नहीं किया गया है। सरकारी महकमा ईमानदारी से पहल करे तो समस्या का समाधान संभव है। बीडीओ अखिलेश्वर कुमार ने कहा कि प्रशासन इस समस्या के प्रति संवेदनशील है।

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