डीएमसीएच में गलत खून चढ़ाने से गंगा देवी की मौत मामले में एक वर्ष बाद प्राथमिकी दर्ज

एससीएसटी आयोग के संज्ञान पर आनन-फानन में हुई कार्रवाई डीएमसीएच की पांच सदस्यीय और डीएम की तीन सदस्यीय कमेटी ने अलग-अलग जांच कर विभाग को सौंप चुकी है रिपोर्ट दोषियों पर कार्रवाई की अनुशंसा होने के बाद भी पीडि़त पक्ष के लोग लगाते रहे चक्कर।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 04:17 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 04:17 PM (IST)
डीएमसीएच में गलत खून चढ़ाने से गंगा देवी की मौत मामले में एक वर्ष बाद प्राथमिकी दर्ज
डीएमसीएच में गलत खून चढ़ाने को कार्रवाई शुरू। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

दरभंगा, जासं। दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की स्थिति इन दिनों ठीक नहीं है। लापरवाही में कई कोरोना मरीजों की मौत पर उठे सवालों का उत्तर सही से मिला भी नहीं कि गंगा देवी की मौत मामले में एक बार फिर डीएमसीएच सुर्खियों में आ गया। गलत खून चढ़ाने से 17 मई 2020 को डीएमसीएच में गंगा देवी की मौत हो गई थी। इसे लेकर पीडि़त पक्ष के समर्थन में वाम दलों ने लगातार व्यवस्था पर सवाल उठाने का काम किया। दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। सड़क जाम किया गया। धरना-प्रदर्शन किया गया। विधि-व्यवस्था पर चोट नहीं पहुंचे इसे लेकर डीएम डा. त्यागराजन एसएम सहित डीएमसीएच के तत्कालीन अधीक्षक डॉ. राज रंजन प्रसाद ने अलग-अलग जांच कमेटी गठित की।

जांच रिपोर्ट पर विभाग को कार्रवाई के लिए पत्र भी भेजा गया। लेकिन, पीडि़त पक्ष को इंसाफ नहीं मिला। दोषियों पर प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए पीडि़त पक्ष बेंता ओपी का चक्कर लगाते रहे। इंसाफ नहीं मिलने पर पीडि़त पक्ष ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, एसीएसटी राष्ट्रीय आयोग सहित कई को इंसाफ के लिए पत्राचार किया। इस बीच एसीएसटी राष्ट्रीय आयोग ने इस मामले पर संज्ञान लिया। दरभंगा डीएम और एसएसपी से एक सप्ताह के अंदर रिपोर्ट तलब किया। इसके बाद अचानक एसीएसटी थाना में पीडि़त पक्ष के बयान पर प्राथमिकी दर्ज कर दी गई है। बहरहाल, एक साल बाद ही सही प्राथमिकी दर्ज होने से पीडि़त पक्ष में जहां खुशी है वहीं डीएमसीएच के कर्मियों की मुश्किलें बढ़ गई है।

यह है घटना :

दरभंगा मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में 17 मई 2020 को सीतामढ़ी जिले के परसौनी निवासी मिठ्ठू पासवान की गर्भवती पत्नी गंगा देवी को भर्ती कराया गया। ऑपरेशन के लिए ब्लड बैंक से एक्सपायर ब्लड दे दिया गया। विरोध करने पर ब्लड बैंक के टेक्नीशियन ने डांट दिया। कहा- सही है। तब तक प्रसूता जुड़वा बच्चे को जन्म दे चुकी थी। दो घंटे बाद मरीज को ब्लड चढ़ाया गया। इसके बाद मरीज की हालत बिगडऩे लगी। इसके बाद कई बार गलत ब्लड चढऩे की शिकायत की गई। बाद में अस्पताल से सभी कर्मी फरार हो गए। अंत में एक बजे प्रसुता की मौत हो गई। इस मामले को लेकर प्रसुता मृतका गंगा देवी के भाई व दरभंगा के विश्वविद्यालय थानाक्षेत्र के बेलाशंकर निवासी पवन कुमार पासवान सहित कई राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं ने लंबी लड़ाई लड़ी।

डीएमसीएच में हुई थी मामले की जांच 

डीएमसीएच के गायनी विभाग में इलाज के दौरान गंगा देवी की हुई मौत मामले 9 जून 2020 मेडिसिन विभाग में डीएमसीएच अधीक्षक डॉ. राज रंजन प्रसाद के आदेश पर जांच की गई। इसमें मेडिसिन विभागध्यक्ष डॉ. सीएम झा की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय कमेटी ने नतीजे तक पहुंचने के लिए विभिन्न पक्षों का बयान दर्ज कराया। इसके बाद कमेटी ने सरकार को रिपोर्ट भेज दी। कमेटी में शामिल उपाधीक्षक डॉ. बालेश्वर सागर, सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. वीएस प्रसाद, ईएनटी विभागाध्य डॉ. एमके बोस और क्लीनिकल पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा ने गायनी विभाग की यूनिट इंचार्ज डॉ. शशि बाला प्रसाद, एसओडी डॉ. प्रतिभा झा व डॉ. स्नेह प्रिया, ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ. ओपी चौरसिया, निश्चेतना विभाग के वरीय चिकित्सक डॉ. हरि दामोदर ङ्क्षसह, मेडिसिन विभाग के पीओडी डॉ. कुणाल राज, ब्लड बैंक के चिकित्सक डॉ. राज आर्यन व डॉ. हर्षवर्धन का भी बयान लिया था।

डीएम ने भी कराई थी जांच, कार्रवाई के लिए की थी अनुशंसा :

डीएम डॉ. त्यागराजन ने लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी ने मामले की जांच की थी। इसमें यह पाया गया कि ब्लड के रिएक्शन की जानकारी रात्रि 8:45 को मिली। बावजूद, संबंधित कर्मियों ने मरीज की जान बचाने के लिए अपनी जिम्मेवारी का निर्वाहन नहीं किया । जबकि, दिन के 2 बजे से रात्रि के 10 बजे तक डॉ. स्नेहा प्रिया एवं रात्रि के 10 बजे से अगले दिन के सुबह 6 बजे तक डॉ. प्रतिभा झा ड्यूटी पर उपस्थित थी। लापरवाही बरतने के लिए यूनिट में तत्क्षण कार्य पर उपस्थित चिकित्सक डॉ. स्नेही प्रिया, डॉ. प्रतिभा झा, वार्ड एटेंडेंट संजय मंडल, ब्लड बैंक के चिकित्सक डॉ. हर्षवर्धन, कर्मी राजकिशोर और टेक्नीशियन रामचंद्र रजक के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने की अनुशंसा प्रधान सचिव को की गई थी।

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