दरभंगा में पल भर में हंसता-खेलता परिवार उजड़ गया, मरे हुए बेटे को उठा रही थी मां, उठो पिता को मुखाग्नि कौन देगा...
पांच बहनों में रंजन इकलौता भाई था। यही कारण था कि रंजन की मां अपने पुत्र के शव से लिपटकर बार-बार कह रही थी उठो तुम्हें पिता का अंतिम संस्कार करना है। तुम इकलौते चिराग हो। तुम मुखाग्नि नहीं दोगे तो कौन देगा।
दरभंगा, जासं। विश्वविद्यालय थानाक्षेत्र के आजमनगर मोहल्ला में शनिवार की शाम हंसता-खेलता एक परिवार पल भर में उजड़ गया। रविवार को गांव में सन्नाटा पसरा रहा। कुदरत के करिश्मा से आस-पास के लोग भी हैरान थे। एक साथ पिता-पुत्र के शव को देख लोग भी अपने आंसू को रोक नहीं पा रहे थे। किसी को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि जो युवक अपने पिता के अंत्येष्टि की तैयारी कर रहा था उसकी पल भर में मौत हो जाएगी। घर के बाहर लोग अर्थी सजा रहे थे। जबकि, घर के अंदर रंजन की मां अपने पति की मौत पर दहाड़ मारकर रो रही थी। मां को देख रंजन महतो अपने आप को रोक नहीं पाया।
दहाड़ मारते हुए घर से बाहर निकल गया। जहां वह बिजली पोल से सहारा लेने की कोशिश की। उसे क्या पता था यह पोल सहारा देने की जगह उसकी जिंदगी ही छीन लेगा। बिजली प्रवाहित पोल में सटने के साथ ही वह खामोश हो गया। झटका के साथ उसके गिरने पर लोगों को उसकी मौत का एहसास हुआ। हालांकि, लोगों ने उसे आनन-फानन में उठाकर चिकित्सक के पास ले गए। जहां उसे मृत घोषित कर दिया। रंजन का शव घर पर पहुंचते ही स्वजनों में कोहराम मच गया। दूसरे अर्थी की तैयारी शुरू कर दी गई। पिता मनोज महतो के शव के पास ही पुत्र के शव को रखा गया। पति और पुत्र के शव को देख मां दहाड़ मारकर रोने लगी। तीन कुंवारी बेटियों काे कौन देखेगा, अब वृद्ध मां की जिंदगी कैसे कटेगी यह भीड़ से आवाज आ रही थी।
हालांकि, सूचना मिलते ही थानाध्यक्ष सत्यप्रकाश झा ने स्थिति को नियंत्रित कर लिया। इसके बाद उन्होंने घटना स्थल से रंजन के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। बताते चले कि पांच बहनों में रंजन इकलौता भाई था। यही कारण था कि रंजन की मां अपने पुत्र के शव से लिपटकर बार-बार कह रही थी उठो, तुम्हें पिता का अंतिम संस्कार करना है। तुम इकलौते चिराग हो। तुम मुखाग्नि नहीं दोगे तो कौन देगा।