Rahat indori Death News : ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था, मैं बच भी जाता तो इक रोज मरने वाला था...
Rahat indori Death News मुजफ्फरपुर में गूंजती रहती थी राहत इंदौरी की शायरी जागरण हास्य कवि सम्मेलन में रहती थी दमदार उपस्थिति।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। ' ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था, मैं बच भी जाता तो इक रोज मरने वाला था...।' नामचीन शायर राहत इंदौरी की यह शायरी आज की स्थिति बयां कर रही है। कोरोना ने हमसे उन्हें छीन लिया। इंदौर की जमीन पर जन्मे इस महान शायर के साथ नाम इंदौरी जुड़ा था। मगर, मुजफ्फरपुर समेत उत्तर बिहार की धरती पर उनकी शायरी गूंजती रहती थी। दैनिक जागरण के अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन में उनकी दमदार उपस्थिति कई बार हुई। अंतिम बार उन्होंने मुजफ्फरपुर के जिला स्कूल के मैदान में दो मई 2018 को दैनिक जागरण के अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन में अपनी शायरी का जलवा बिखेरा था। तत्कालीन डीआइजी अनिल कुमार ङ्क्षसह उनसे इतने प्रभावित थे कि पुत्र सतलज से विशेष कार्यक्रम कराने का आग्रह किया था। उनके अचानक चले जाने से शहर गमगीन है।
कार्यक्रम शुरू करने से पहले श्रोताओं का भांपते थे मिजाज
राहत इंदौरी यह मानते थे कि उर्दू शायरी पर भारतीय भाषाओं का रंग चढ़ा है। गंगा-जमुनी यही पहचान है। यह हर दिल में बसती है। सच, वे हर दिल में बसते थे। यही कारण था कि उनकी शायरी लोगों की जुबान पर रहती थी। वे अपनी आधी शायरी कहकर चुप हो जाते थे। श्रोता इसे पूरा करते थे। इससे वे श्रोताओं के मिजाज को भांप लेते थे। वे कहते थे कि जो कुछ लिखकर लाया वह रह गया। आप का मिजाज तय करेगा कि क्या सुनना चाहते हैं। इसके बाद वे अपने जाने-पहचाने अंदाज में हाथों को लहराते हुए शमां बांध देते थे। वे प्राय: Óराज जो कुछ हो, इशारों में बता भी देना। हाथ जब उससे मिलाना तो दबा भी देनाÓ या Óकिसने दस्तक दी, ये दिल पर। कौन है। आप तो अंदर हैं। बाहर कौन हैÓ से कार्यक्रम की शुरुआत करते थे।
...तब डीएम कोठी में जम गई थी महफिल
वर्ष 2015 के जागरण के अखिल भारतीय हास्य कवि सम्मेलन में खुदीराम बोस स्टेडियम में राहत इंदौरी ने कार्यक्रम प्रस्तुत किया था। अपने बड़े प्रशंसकों में से एक तत्कालीन डीएम अनुपम कुमार के आग्रह पर वे सुबह उनकी कोठी पर चले गए। जबकि रात के थके थे। सुबह की गुनगुनी धूप में डीएम कोठी में ही उनकी महफिल सजी थी।