दो दशक बाद खुला मुजफ्फरपुर नगर निगम के साथ किया गया फर्जीवाड़ा, लाखों रुपये की चपत

नगर निगम में दो दशक पहले हुआ फर्जीवाड़ा अब सामने आया है। सामने आए फर्जीवाड़ा से निगम को लाखों रुपये के राजस्व की चपत लगी है। वर्ष 1999 में निगम मार्केट के प्रथम तल पर फर्जीवाड़ा कर होटल सिद्धार्थ खोला गया था।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 08 Jan 2021 02:04 AM (IST) Updated:Fri, 08 Jan 2021 02:04 AM (IST)
दो दशक बाद खुला मुजफ्फरपुर नगर निगम के साथ किया गया फर्जीवाड़ा, लाखों रुपये की चपत
दो दशक बाद खुला मुजफ्फरपुर नगर निगम के साथ किया गया फर्जीवाड़ा, लाखों रुपये की चपत

मुजफ्फरपुर। नगर निगम में दो दशक पहले हुआ फर्जीवाड़ा अब सामने आया है। सामने आए फर्जीवाड़ा से निगम को लाखों रुपये के राजस्व की चपत लगी है। वर्ष 1999 में निगम मार्केट के प्रथम तल पर फर्जीवाड़ा कर होटल सिद्धार्थ खोला गया था। नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय ने जांच के बाद निगम के तत्कालीन प्रशासक डीके वर्मा एवं होटल मालिक श्रीधर कुमार वर्मा के बीच हुए स्थल आवंटन के एग्रीमेंट को अवैध, अप्रावी एवं शून्य करार देते हुए 15 दिनों के अंदर खाली करने का आदेश दिया है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि 15 दिनों के अंदर होटल को खाली नहीं किया गया तो बिना नोटिस निगम उसे खाली करा लेगा। इस फर्जीवाड़ा के कारण निगम को भारी नुकसान हुआ है। श्रीधर कुमार वर्मा तत्कालीन प्रशासक डीके वर्मा के रिश्तेदार बताए जाते हैं। मामला सामने आने के बाद निगम के कई कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आ सकती है।

नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय ने कहा कि तत्कालीन प्रशासक डीके वर्मा द्वारा कराया गया एग्रीमेंट कानूनी रूप से मान्य नहीं रहने के कारण तथा पूर्व में किए गए शर्तो का उल्लंघन करने की वजह से अप्रभावी, अवैध एवं शून्य करार दिया गया है। भवन को खाली करने का आदेश दिया गया है।

महापौर सुरेश कुमार कहते हैं कि यह बहुत ही गंभीर मामला है। निगम में इतना बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ लेकिन किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। निगम को भी लाखों रुपये का चूना लगाया गया। भवन के खाली कराने के साथ कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच की जाएगी।

इस प्रकार किया गया फर्जीवाड़ा :-

- श्रीधर कुमार वर्मा ने निगम मार्केट के ग्राउंड फ्लोर के 13 दुकानों के उपर प्रथम तल आवंटन के लिए 29 दिसंबर को आवेदन किया था।

- तत्कालीन प्रशासक योगेंद्र प्रताप सिंह ने इस आवेदन के आलोक में 13 दुकानों के ऊपर का तल होटल के लिए 15 वर्षों के लिए आवंटित करने की 27 अक्टूबर 2099 को सहमति दी थी।

- श्रीधर कुमार वर्मा को 30 नवंबर 19999 से पहले जमा राशि 1.31 लाख रुपये एक मुश्त निगम के खाते में जमा करने का आदेश दिया था। साथ ही निर्धारित तिथि तक राशि जमा नहीं करने पर आवेदन को अस्वीकार करने की बात कहीं थी।

- लेकिन इसी बीच योगेंद्र प्रताप सिंह का तबादला हो गया और उनकी जगह जीके वर्मा निगम के प्रशासन बने

- होटल मालिक ने फर्जीवाड़ा करते हुए सभी तथ्यों एवं वस्तुस्थिति को छुपाकर 13 दुकानों के बदले 20 दुकान के ऊपर प्रथम तल पर 5424 वर्गफीट जगह 15 वर्षों की जगह 30 वर्षो के लिए तीन दिसंबर 1999 को लीज एग्रीमेंट करा लिया। वह भी महज 20 रुपये के ज्यूडिसियल स्टांप पर।

- फजी एग्रमेंट में जो राशि तय की गई थी वह भी उसके द्वार निगम में जमा नहीं किया गया। और तो और निगम में उसका किराया भी जमा नहीं हो रहा था।

- नगर आयुक्त पिछले एक माह से इस मामले की जांच करा रहे थे। जांच के बाद उन्होंने यह कार्रवाई की है।

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