समस्तीपुर में आंगनबाड़ी केंद्रों पर गुणवत्तापूर्ण पौष्टिक आहार देने की कवायद, इन बिंदुओं पर विशेष रूप से रखना है ध्यान

Samastipur News पोषण अभियान के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाले पूरक पोषाहार की गुणवत्ता का अब पूरा ध्यान रखा जाएगा। पूरक पोषाहार की स्टॉक प्राप्ति के बाद सैंपलों की होगी जांच। मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में पोषाहार जांच के निर्देश।

By Murari KumarEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 12:45 PM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 12:45 PM (IST)
समस्तीपुर में आंगनबाड़ी केंद्रों पर गुणवत्तापूर्ण पौष्टिक आहार देने की कवायद, इन बिंदुओं पर विशेष रूप से रखना है ध्यान
समस्तीपुर में आंगनबाड़ी केंद्रों पर गुणवत्तापूर्ण पौष्टिक आहार देने की कवायद

समस्तीपुर, जागरण संवाददाता। पोषण अभियान के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिलने वाले पूरक पोषाहार की गुणवत्ता का अब पूरा ध्यान रखा जाएगा। इसको लेकर  महिला व बाल विकास मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर आवश्यक निर्देश दिया गया है। पूरक पोषाहार संबंधित निर्देशों में कहा गया है कि अब लाभार्थी को दिए  जाने वाले पूरक पोषाहार खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत दिए गए मापदंडों को  पूरा करते हों जिसके तहत गुणवत्तापूर्ण पौष्टिक आहार देना सुनिश्चित किया जाना है। 

निर्देश के मुताबिक लाभुक को दिए जाने वाले टेक-होम राशन को पहले भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) या राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) द्वारा मान्यता प्राप्त  प्रयोगशाला से जांच किया जाना अनिवार्य है। इसके लिए आंगनबाड़ी सेवा से जुड़े अधिकारियों जैसे सीडीपीओ व सुपरवाइजर को आंगनबाड़ी केंद्रों पर पूरक पोषाहार की स्टॉक की प्राप्ति के बाद सैंपलों की जांच जरूर करानी है। गर्म पके हुए भोजन दिए जाने की स्थिति में यह अवश्य  सुनिश्चित किया जाए कि खाना उचित तरीके से तैयार किया गया हो। इसमें रसोई घर की सही तरीके से सफाई व साफ पेयजल का ध्यान रखना भी शामिल है। राज्यों में निर्देश दिया गया है कि पूरक पोषहार की आपूर्ति श्रृंखला की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाये तथा किसी प्रकार की आपूर्ति में बाधा नहीं हो। पंजीकरण व भंडारण प्रक्रियाओं के तहत पोषाहार संबंधी मानकों का पालन हो रहा है, इसे भी सुनिश्चित करना है। 

जिला स्तर पर डीएम होंगे नोडल अधिकारी 

पोषण की स्थिति का जायजा लेने व नियमकों का पालन करवाने के लिए जिला स्तर पर डीएम नोडल अधिकारी होंगे। जिलाधिकारी अनुश्रवण व निगरानी के लिए तैयार जिला पोषण समिति के  अध्यक्ष होंगे। जिला पोषण समिति द्वारा नियुक्त किये गये पोषण विशेषज्ञ प्रमाणित होंगे। आइसीडीएस व पोषण कार्यक्रमों के संचालन के लिए समेकित बाल विकास पदाधिकारी डीएम के निगरानी में काम करेंगे। सीडीपीओ जिला स्तर पर पोषण की मदद से लाभार्थियों विशेष कर कुपोषित बच्चों की सेहत में हुए परिवर्तन की जांच करेंगे।

 वहीं उनकी जिम्मेदारी समय समय पर पूरक पोषाहार के सैंपल की जांच करवाने और खाद्य सुरक्षा व स्वच्छता से जुड़े मानकों का पालन करवाने की भी होगी। ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता व पोषण दिवस व सामुदायिक स्तर पर आयोजित कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर लाभुकों व क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों का उत्साहवर्धन करेंगे। प्रखंड स्तर पर ब्लॉक कंनवरजेंस एक्शन प्लान बनाने व इसके क्रियान्वयन का काम भी सीडीपीओ की जिम्मेदारियों में शामिल है। 31 जनवरी तक अतिकुपोषित बच्चों की सूची बनाकर उन्हे उचित उपचार दिया जाए और सभी ऐसे बचहोन को आयुष केंद्रों से जोड़ा जाए जहां उनका सर्वांगीण विकास हो सके।

इन बिंदुओं पर विशेष रूप से रखना है ध्यान  सीडीपीओ स्वास्थ्य विभाग के मेडिकल ऑफिसर के साथ संयुक्त रूप से क्षेत्र भ्रमण करेंगे और मासिक बैठक कर अतिकुपोषित बच्चों के संबंध में जांच पड़ताल कर पोषण में सुधार लाने के लिए आवश्यक कार्यवाही करेंगे। मासिक बैठक की रिपोर्ट जिला स्तर पर साझा करनी है।  आंगनबाड़ी केंद्रों के भ्रमण के साथ सीडीपीओ गर्भवती महिलाओं, नवजात व 6 माह के उम्र वाले बच्चों का गृह भ्रमण कर उसके पोषण के स्तर की विस्तृत जानकारी लेते हुए पोषण संबंधी आवश्यक परामर्श देना है। साथ ही आंगनबाड़ी सेविकाओं को नियमित गृह भ्रमण के प्रोत्साहित करना व इसके लिए प्रशिक्षण भी देना है।

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