कचरे का निष्पादन बड़ी चुनौती बन हमारे सामने खड़ी

शहरी आबादी बढ़ रही है और साथ में कचरे का उत्सर्जन भी। हर शहर इस समस्या से जूझ रहा है। यह कचरा हमारी सेहत का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया है। देश में रोजाना 1.5 लाख मीट्रिक टन कचरा उत्पादित होता है। शहरी आबादी सालाना 3 से 1.5 फीसदी की दर बढ़ रही है। लिहाज ठोस कचरे की मात्रा में सालाना पांच फीसदी वृद्धि हो रही है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 Aug 2020 02:10 AM (IST) Updated:Tue, 11 Aug 2020 06:10 AM (IST)
कचरे का निष्पादन बड़ी चुनौती बन हमारे सामने खड़ी
कचरे का निष्पादन बड़ी चुनौती बन हमारे सामने खड़ी

मुजफ्फरपुर । शहरी आबादी बढ़ रही है और साथ में कचरे का उत्सर्जन भी। हर शहर इस समस्या से जूझ रहा है। यह कचरा हमारी सेहत का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया है। देश में रोजाना 1.5 लाख मीट्रिक टन कचरा उत्पादित होता है। शहरी आबादी सालाना 3 से 1.5 फीसदी की दर बढ़ रही है। लिहाज ठोस कचरे की मात्रा में सालाना पांच फीसदी वृद्धि हो रही है। मुजफ्फरपुर शहर से भी प्रतिदिन दो सौ टन कचरा उत्सर्जित होता है। कचरे का निष्पादन बड़ी चुनौती बन हमारे सामने खड़ी है। इस चुनौती का सामना करने के लिए कचरे का उचित प्रबंधन एवं लोगों के सोच में बदलाव जरूरी है। यह कहना है प्रोजेक्ट ऑक्सीजन के संयोजक रवि कपूर का।

उन्होंने कहा कि शहरों को अपने ही आंगन में अपना कचरा प्रबंधन करना होगा। इसके लिए कचरा प्रबंधन की सहज पद्धति इस्तेमाल करनी होगी। कचरे को उसके मूल स्त्रोत पर छांट लेना कुशल प्रबंधन का पहला चरण होता है। इससे कचरा एकत्र करने और उसे प्रोसेस करने में आसानी होती है। लेकिन स्त्रोत पर ही कचरे को अलग-अलग कर लेने के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और सख्त कानून की दरकार होगी। उन्होंने कहा कि ऐसा तंत्र बनाना होगा जिससे अलग-अलग किए गए कचरे को ठीक तरीके से ले जाया जा सके और उसे प्रोसेस किया जा सके। ऐसे नियम भी बनाने होंगे जो कचरे को अलग-अलग करने के लिए लोगो को बाध्य करें। हम चाहें तो गीले कचरे से अपने घर पर ही आसानी से खाद तैयार कर सकते हैं और सूखे कचरे का अधिकांश भाग कबाड़ वाले को बेच सकते हैं। ऐसे में अपने घर से निकलने वाले कचरे से कमाई हो सकती है। लेकिन इसके लिए लोगों को अपनी सोच बदलनी होगी। कचरा प्रबंधन सिर्फ निगम या किसी संस्था की जिम्मेदारी न मानकर अपनी भी जिम्मेदारी समझनी होगी। गली-मोहल्लों में समूह बनाकर भी इस कार्य को किया जा सकता है। निगम प्रशासन को भी चाहिए की वह अपने स्तर पर तो कचरे का प्रबंधन करे ही लोगों को भी जागरूक करे। लोगों को अपने गली-मोहल्ले एवं घरों में भी कचरा प्रबंधन को प्रेरित करे। उन्होंने कहा कि सामाजिक एवं व्यवसायिक संगठनों को भी आगे आकर कचरा प्रबंधन के तरीकों को छोटे-छोटे स्तर पर विकसित करने में मदद करनी होगी। तभी कचरे से आजादी मिलेगी।

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