पटना एम्स में इलाज के बाद भी होम आइसोलेशन में बनाए रखा आत्मानुशासन, मोतिहारी के अधिकतर मुहल्ले संक्रमण की चपेट में
व्यवसायी भी इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। वहीं अपनों से दूर और घर की चाहारदीवारी में कैद होकर कई लोगों ने सकारात्मक सोच और अनुशासन के जरिए बीमारी और इससे उपजे तनाव से लड़कर जिंदगी की जंग जीत ली है।
पूर्वी चंपारण, जासं। कोरोना की दूसरी लहर घातक साबित हो रही है। आम हो या खास इस महामारी ने अब हर तबके में अपनी पहुंच बना ली है। खासकर जिला मुख्यालय मोतिहारी के अधिकतर मुहल्ले इसकी चपेट में हैं। इधर संक्रमण की चपेट में आकर कई लोग अस्पताल में भर्ती हैं तो कई होम क्वारंटाइन हैं। बीते दिनों कई व्यवसायी भी इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। वहीं अपनों से दूर और घर की चाहारदीवारी में कैद होकर कई लोगों ने सकारात्मक सोच और अनुशासन के जरिए बीमारी और इससे उपजे तनाव से लड़कर जिंदगी की जंग जीत ली है। इस वायरस को मात देकर आज पूरी तरह सामान्य जिंदगी जी रहे कपड़ा व्यवसायी गौरीशंकर प्रसाद बताते हैं कि एक दिन अचानक से काफी बुखार आया। बदन में भी जोरो का दर्द था। शक होने पर उन्होंने अपना कोरोना टेस्ट करवाया तो रिपोर्ट पॉजिटिव था।
कुछ समय के लिए वे काफी घबरा गए थे। बावजूद इसके उन्होंने तत्काल अपनी दुकान में काम करने वाले कर्मियों को इसकी सूचना दी व उनको भी अपनी जांच कराने को कहा। इस बीच उनकी हालत बिगड़ गई तो चिकित्सकों ने उन्हें पटना एम्स रेफर कर दिया। वे वहां 14 दिन तक तक एडमिट रहें। शुरू के दिनों में उन्हें अपने परिवार की काफी ङ्क्षचता रहती थी। स्थानीय वार्ड पार्षद हरीश कुमार व समाजसेवी राम भजन उन्हें लगातार हौंसला देते रहे। पटना एम्स में उन्हें लगातार 14 दिनों तक भर्ती रहना पड़ा। एम्स से डिस्चार्ज होने के बाद वे पटना स्थित अपनी पुत्री के घर में 14 दिनों तक आइसोलेट रहें। इस दौरान लगातार प्राणायाम व व्यायाम करते रहे। पौष्टिक आहार, डॉक्टर के बताए निर्देशों का पालन के साथ ही ईश्वर का भक्ति भाव के साथ भजन कीर्तन करते हुए मजबूत शक्ति के साथ कोरोना पर विजय पा लिया।
पूरी तरह ठीक होने के बाद जब वे मोतिहारी अपने परिवार में वापस लौटे तो उनके साथ उनका पूरा परिवार भावुक हो गया था। इतने दिनों के बाद खुद को अपने परिवार व बच्चों के बीच पाकर जो अनुभूति हुई उन लम्हों को शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल है। श्री प्रसाद बताते हैं कि कोरोना से बचने के लिए जरूरी है कि लोग मास्क लगाएं व शारीरिक दूरी जैसे नियमों का पालन करें। दुर्भाग्यवश अगर वायरस की चपेट में आ भी जाते हैं तो इससे डरने की नही अपितु लडऩे की जरूरत है। ²ढ़ इच्छाशक्ति, संतुलित जीवनशैली व चिकित्सकों द्वारा बताए गए दवाओं का नियमित सेवन कर महामारी को परास्त किया जा सकता है।
हां, मैंने कोरोना को हराया है...
मोतिहारी। कोरोना की दूसरी लहर एक बड़ी चुनौती बनकर फिर हमारे सामने है। उम्मीद ही नहीं, पूरा विश्वास है कि अपने आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति के बूते एक बार फिर हम इसे हराएंगे। इस समय कोरोना से जूझ रहे लोगों को उन लोगों का आत्मविश्वास संबल देगा, जो इसे हरा चुके हैं। अगर आपने अस्पताल या होम आइसोलेशन में रहकर कोरोना को हराया है तो आप हमें 98524 12770 पर फोन कर या व्हाट््सएप कर बताएं। हम आपके उस अनुभव प्रकाशित करेंगे।