मना करने के बाद भी मनोज बाजपेयी का शूटिंग देखने पहुंच गये थे पिता राधाकांत बाजपेयी

अभिनेता मनोज बाजपेयी के मित्र शिक्षाविद डा. ज्ञानदेव मणि त्रिपाठी ने बताया कि वर्तमान परिवेश में पिता - पुत्र का यह रिश्ता अनुकरणीय है। वर्ष 1999 में रीलिज मनोज की फिल्म शूल की शूटिंग की चर्चा करते हुए बताया कि इस फिल्म को फिल्मफेयर अवार्ड मिला।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sun, 03 Oct 2021 01:25 PM (IST) Updated:Sun, 03 Oct 2021 01:25 PM (IST)
मना करने के बाद भी मनोज बाजपेयी का शूटिंग देखने पहुंच गये थे पिता राधाकांत बाजपेयी
वर्तमान परिवेश में पिता-पुत्र का यह रिश्ता अनुकरणीय है। फाइल फोटो

पश्चिम चंपारण, जासं। मशहूर फिल्म अभिनेता मनोज बाजपेयी और राधा का वाजपेयी के बीच अनोखा रिश्ता रहा है। मनोज के संघर्ष के दिनों में उनके पिता ने काफी सपोर्ट किया। हाई प्रोफाइल एवं व्यस्त जीवनशैली के बावजूद मनोज का अपने पिता से गहरा लगाव था। व्यस्त शिड्यूल को छोड़ मनोज अक्सर पिता से मिलने के लिए गांव आते थे। पुत्र मनोज को मिल रही लगातार सफलता से पिता राधाकांत बाजपेयी भी गदगद रहते थे। अभिनेता मनोज बाजपेयी के मित्र शिक्षाविद डा. ज्ञानदेव मणि त्रिपाठी ने बताया कि वर्तमान परिवेश में पिता - पुत्र का यह रिश्ता अनुकरणीय है। वर्ष 1999 में रीलिज मनोज की फिल्म शूल की शूटिंग की चर्चा करते हुए बताया कि इस फिल्म को फिल्मफेयर अवार्ड मिला। फिल्म की शूटिंग चंपारण में होनी थी। मनोज को यह पता था कि चंपारण में शूटिंग देखने के लिए लोगों की भीड़ जुटेगी और सुरक्षा मानक को लेकर सुरक्षाकर्मी घेरा बनाएंगे। ऐसे में मनोज के किसी दोस्त व स्वजन को परेशानी नहीं हो इसलिए उन्होंने फोन‌ कर सेट पर नहीं आने को कहा था। 

स्टेशन पर पिता को देख रह गए थे दंग

जब शूटिंग के लिए मनोज बाजपेयी नरकटियागंज रेलवे स्टेशन पर उतरे तो लोगों की काफी भीड़ थी। भीड़ को पुलिस कर्मी नियंत्रित कर रहे थे। उसी भीड़ में मनोज ने अपने पिता देखा, वे दंग रह गये। इशारों में पिता - पुत्र की वार्तालाप भी हुई।

तुम अपना काम करो...

पिता को देख मनोज जब उनकी ओर बढ़े तो उन्होंने इशारे से रोका। कहा, तुम अपना काम करो। मैं तुझे परेशान नहीं कर रहा। पिता का आदेश मिला, फिर मनोज शूटिंग में व्यस्त हो गये।

बीमार पिता से मिलने जून में आए थे मनोज

कोरोना की वजह से दो वर्ष तक मनोज बाजपेयी गौनाहा प्रखंड के बेलवा गांव में अपने घर नहीं आए थे। पिता के बीमार होने की सूचना मिलते ही जून 2021 में वे गांव आए थे। पत्नी व बच्ची के साथ एक सप्ताह तक रहे। पिता की खूब सेवा की। उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए इलाज के साथ - साथ घर में अनुष्ठान भी हुआ। 

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