मधुबनी: चारि जगह स उपटि क घर बनेने छलहु, सेहो अहि बेर कोसी में कटि गेल ...
कोसी में कटाव तेज राधिकापुर गांव के आधा दर्जन से अधिक घर अब तक नदी में समा चुके। गांव के स्कूल में रह रहे आठ परिवार सभी का घर नदी में समाया। कई पोलों पर कटान का संकट ठप हो सकती बिजली आपूर्ति।
मधेपुर (मधुबनी), संस। चारि जगह स उपटि क एतय घर बनेने छली बाबू, सेहो अहि बेर कोसी मे कटि गेल। आब अङ्क्षह कहु कतय घर बनाएब। अपना त एक बीत जमीन नई यै। ई त पांच धूर कय पर्चा भेटल छल त बनेने रही। वेदनाओं से सराबोर यह कहानी है राधिकापुर गांव के सोनदाई देवी की। तीन दिन पहले इनका घर कोसी नदी के कटाव का शिकार हो गया। अब रहने को घर नहीं है। बगलगीर के घर रहकर दिन काट रही है। सरकारी राहत अब तक नदारद है। कोई जनप्रतिनिधि अब तक सुधि लेने नहीं पहुंचे हैं। प्रशासन भी नदारद है। कोसी के आतंक से लोग भयभीत हैं। आक्रोशित दर्जनों महिला-पुरुष सीओ को आवेदन देने गुरुवार को मधेपुर आए थे। इन लोगों के लिए मधेपुर पहुंचना भी अभी आसान नहीं है। नाव से बकुआ घाट आना होता है। वो भी निजी नाव से। सरकारी नाव यहां नहीं है। वहां से लगभग पांच किलोमीटर पैदल चलने के बाद सवारी गाड़ी मिलती है। जहां से मधेपुर आना होता है। मीना देवी कहती हैं कि सर चावल बेच क भाड़ा कय जुगाड़ केने रही। तइयो कियो किछ नई देलक। बता दें कि मधेपुर में कोसी नदी कटनियां का ताडंव मचा रही है। एक तरफ जहां सैकड़ों एकड़ उपजाऊ भूमि को अपने अंदर समा चुकी है, वहीं दूसरी तरफ अब बसावट को भी बख्शने के मूड में नहीं दिखती। यह हाल है भेजा थाना क्षेत्र में पडऩे वाले महादलित बस्ती राधिकापुर गांव का। लगभग डेढ़ दर्जन घर नदी में कट चुके हैं। कई घर निशाने पर हैं। नदी का रुख भांपते हुए लोग अब अपना-अपना घर उजाड़ रहे हैं। क्या पता कब उनका घर नदी में विलीन हो जाए। गांव पहुंचने पर बड़े-बड़े मिट्टी का भाग नदी में कटते देख डर लगता है।
करीब आठ परिवार गांव के स्कूल में रह रहे हैं। इन सबों का घर कटाव का शिकार हो चुका है। इनमें भोगी लाल यादव, मुन्नी लाल सदाय, शंकर सदाय, प्यारे लाल सदाय, मलहु सदाय, ठीठर सदाय व लक्ष्मण सदाय का परिवार शामिल है। सबों ने अब तक किसी प्रकार के सरकारी सहायता से इंकार किया। ग्रामीणों ने बताया कि शुक्रवार को सीआई आए थे। देखकर चले गए। गांव की स्थिति भयावह बनी हुई है। पीडि़त परिवार को अविलंब सरकारी सहायता की जरूरत है, लेकिन अंचल प्रशासन इस बात से बेपरवाह है। इस वार्ड छह के वार्ड सदस्य सुरेश कुमार सदाय बतातें हैं अब तक रात को बिजली का प्रकाश सहारा होता था, शायद आज से वो भी बंद हो जाए। कुछ बिजली पोल के पास कटनियां लगा है। गौरतलब है कि यह गांव एक तरह से टापू बना हुआ है। चारो तरफ कहीं भी संपर्क के लि नाव ही एकमात्र सहारा है। अगर इन्हें जल्द प्राथमिक राहत मुहैया नहीं कराई गई तो स्थिति और भयावह हो सकती है।
बंबू पाइलिंग की व्यवस्था में जुटा विभाग
इधर, कटनियां की भयावहता को देख जल संसाधन विभाग के बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल-2 झंझारपुर के कार्यपालक अभियंता शरद कुमार ने बताया कि शुक्रवार को विभाग के जेई रंजीत कुमार ने राधिकापुर पहुंचकर स्थल निरीक्षण के उपरांत अपनी रिपोर्ट दी है। जिसके आलोक में जहां बसावट का कटनियां हो रहा है, वो काफी ऊंची जगह है, इसलिए वहां पहले स्लोप काटकर बंबू पाइङ्क्षलग करने को कहा गया है। फिर उस जगह पर बोरा फिङ्क्षलग करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि लगभग दो सौ मीटर में यह काम होगा। अन्य जगह भी जरूरत के मुताबिक काम होगा। बंबू पाइङ्क्षलग के लिए जयनगर (सुक्की) से मशीन आ रही है। अन्य सामान जुटाया जा रहा है। शनिवार से काम चालू होने की उम्मीद है।
सीओ, मधेपुर पंकज कुमार ने कहा कि राधिकापुर के पीडि़तों का आवेदन मिला है। शुक्रवार को सीआई को स्थल निरीक्षण कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। रिपोर्ट मिलते ही विधिसम्मत राहत उपलब्ध करा दिया जाएगा। अन्य जो भी समस्या संज्ञान में आएगी, उसके लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।